भारत में विदेशी निवेश संबंधी मास्टर परिपत्र - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में विदेशी निवेश संबंधी मास्टर परिपत्र
आरबीआइ/2007-08/18
मास्टर परिपत्र सं. 02 /2007-08
जुलाई 2, 2007
सेवा में,
सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंक श्रेणी I
महोदया /महोदय
भारत में विदेशी निवेश संबंधी मास्टर परिपत्र
भारत में निवेश समय-समय पर यथा संशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 की उप-धारा (3) द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं। विनियामक ढांचे और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों को इस मास्टर परिपत्र में समेकित किया गया है। इसके अलावा, इस मास्टर परिपत्र में निम्नलिखित क्षेत्र भी शामिल हैं।
i) अचल संपत्ति का अधिग्रहण जिसे मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 21/ 2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 की धारा 6(3)(i) द्वारा विनियमित किया जाता है।
और
ii) भारत में शाखा/ संपर्क कार्यालय की स्थापना, जो मई 2007 की अधिसूचना सं. फेमा 22/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6(6) के अनुसार विनियमित होते हैं।
iii) साझेदारी फर्म अथवा स्वामित्व प्रतिष्ठान के पूंजी में निवेश जिसे मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 24/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 की धारा 47 की धारा 2(ज) के अनुसार विनियमित किया जाता है।
2. यह मास्टर परिपत्र उपर्युक्त क्षेत्रों के संबंध में फेमा के तहत एपी(डीआइआर सिरीज़) परिपत्रों के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी वर्तमान अनुदेशों को समेकित करता है। निहित परिपत्रों / अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट में दी गई है।
3. इस मास्टर परिपत्र को एक वर्ष के "सनसेट खंड" के साथ जारी किया जा रहा है। इस परिपत्र को जुलाई 1, 2008 को वापस ले लिया जाएगा तथा उसके स्थान पर इस विषय पर अद्यतन मास्टर परिपत्र जारी किया जाएगा।
भवदीय
सलीम गंगाधरन
मुख्य महाप्रबंधक