माइक्रोफाइनेंस ऋणों पर जोखिम भार की समीक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
माइक्रोफाइनेंस ऋणों पर जोखिम भार की समीक्षा
भारिबैं/2024-25/119 25 फरवरी 2025 सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित), भुगतान बैंकों को छोड़कर महोदया / महोदय, माइक्रोफाइनेंस ऋणों पर जोखिम भार की समीक्षा I. वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंकों सहित, लेकिन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर) 01 अप्रैल 2024 के ‘मास्टर परिपत्र – बेसल III पूंजी विनियमावली’ के पैरा 5.9.1 के अनुसार[1], समय-समय पर यथा संशोधित, ऐसे दावे (निधि आधारित और गैर-निधि आधारित दोनों सहित) जो उक्त मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 5.9.3 में सूचीबद्ध सभी चार मानदंडों को पूरा करते हैं, उन्हें विनियामक पूंजी प्रयोजनों के लिए खुदरा दावों के रूप में माना जा सकता है और उन्हें विनियामक खुदरा संविभाग (आरआरपी) में शामिल किया जा सकता है, जिस पर 75 प्रतिशत का जोखिम भार लगेगा। उक्त मास्टर परिपत्र के पैरा 5.9.2 में व्यक्तिगत ऋण सहित उपभोक्ता ऋण जैसे कुछ दावों को आरआरपी के अंतर्गत वर्गीकृत करने की अनुमति नहीं दी गई है। 2. इसके अलावा, 16 नवंबर 2023 के परिपत्र ‘उपभोक्ता ऋण और एनबीएफसी को बैंक ऋण से संबंधित विनियामक दिशा निर्देश ’ के अनुसार, व्यक्तिगत ऋणों सहित उपभोक्ता ऋणों पर जोखिम भार को 125 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया, लेकिन आवास ऋण, शिक्षा ऋण, वाहन ऋण और सोने तथा सोने के आभूषणों द्वारा सुरक्षित ऋणों को इसमें शामिल नहीं किया गया। समीक्षा के पश्चात यह निर्णय लिया गया है कि उपभोक्ता ऋण की प्रकृति वाले माइक्रोफाइनेंस ऋणों को भी उक्त परिपत्र में निर्दिष्ट उच्च जोखिम भार की प्रयोज्यता से बाहर रखा जाएगा तथा तदनुसार, वे 100 प्रतिशत के जोखिम भार के अधीन होंगे। 3. यह भी स्पष्ट किया जाता है कि माइक्रोफाइनेंस ऋण जो उपभोक्ता ऋण की प्रकृति के नहीं हैं तथा उक्त मास्टर परिपत्र के पैरा 5.9.3 में निर्दिष्ट सभी चार मानदंडों को पूरा करते हैं, उन्हें आरआरपी के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है, बशर्ते कि बैंक अर्हता मानदंडों की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त नीतियां और मानक परिचालन प्रक्रियाएं लागू करें। II. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) और स्थानीय क्षेत्र बैंक (एलएबी) 4. आरआरबी और एलएबी द्वारा दिए गए सभी माइक्रोफाइनेंस ऋणों पर 100 प्रतिशत का जोखिम भार लगेगा। 5. उपर्युक्त अनुदेश बकाया तथा नए माइक्रोफाइनेंस ऋणों के संबंध में इस परिपत्र के जारी होने की तिथि से लागू होंगे। उपर्युक्त परिपत्र के अन्य सभी अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे। 6. उपर्युक्त अनुदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और 35ए द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं। भवदीय, (वैभव चतुर्वेदी) [1]जैसा कि 06 अक्तूबर 2016 के लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालन दिशानिर्देशों के अनुबंध के पैराग्राफ 1.4 के अनुसार एसएफबी पर भी लागू है |