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उत्तर पूर्वी राज्यों और सिक्किम में टियर 3 से टियर 6 केंद्रों तथा ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी केंद्रों में शाखाएँ खोलने के लिए देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को स्वतंत्रता

27 अक्टूबर 2009

उत्तर पूर्वी राज्यों और सिक्किम में टियर 3 से टियर 6 केंद्रों तथा
ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी केंद्रों में शाखाएँ खोलने
के लिए देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को स्वतंत्रता

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा गठित एक कार्यदल ने अनुशंसा की है कि देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रमीण बैंकों को छोड़कर) को रिपोर्टिंग के अधीन भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमति लिए बिना टियर 3 से टियर 6 केंद्रों (49,999 तक की जनसंख्या वाले केंद्रों) में शाखाएँ खोलने की स्वतंत्रता दी जाए।

इस दल ने यह अनुशंसा भी की है कि देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रमीण बैंकों को छोड़कर) को उत्तर पूर्वी राज्यों और सिक्किम में ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी केंद्रों में शाखाएँ खोलने के लिए सामान्य अनुमति दी जाए।

यह दल पुनः अनुशंसा करता है कि बैंक टियर 1 और टियर 2 केंद्रों (वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार 50,000 और उससे अधिक की जनसंख्या वाले केंद्रों) में शाखाएँ खोलने की पूर्व अनुमति के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से संपर्क करें। ऐसे आवेदनों के आधार पर उन शाखाओं की संख्या जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किया जाएगा, अन्य बातों के साथ-साथ इस एक अपेक्षा सहित कि बैंक अपना वार्षिक शाखा विस्तार इस तरीके से करें कि किसी वित्तीय वर्ष में खोली जाने वाली कुल शाखाओं की कम-से-कम एक तिहाई संख्या कम बैंक सुविधा वाले राज्यों के कम बैंक सुविधा वाले जिलों और वित्तीय सुविधा से वंचित जिलों में हों तथा ग्रामीण शाखाओं में ऋण वृद्धि की दर, ग्रामीण क्षेत्रों में जमा लेखे की संख्या में वृद्धि तथा 25,000/-रु. से कम के ऋण खातों में वृद्धि आदि जैसे वित्तीय समावेशन के लक्ष्य की प्राप्ति के प्रति बैंक द्वारा किए गए उपायों के महत्वपूर्ण आकलनों पर भी निर्भर करेगी।

दल ने यह अनुशंसा भी की है कि विदेशी बैंकों के संबंध में शाखा प्राधिकरण नीति विदेशी बैंकों की रूपरेखा की समीक्षा तक अपरिवर्तित रहेगी।

दल का यह विचार भी है कि बैंकिंग प्रसार तथा वित्तीय समावेशन को सुनिश्चित करने के लिए आगे जाकर भौतिक ‘पारंपरिक’ शाखा प्रतिदर्श और ऑफ-साइट एटीएम/विक्रय टर्मिनल विन्दु, कारोबारी संवाददाता प्रतिदर्श, मोबाइल बैंकिंग आदि जैसे शाखा-विहीन प्रतिदर्शों का समुचित संयोजन होगा और प्राथमिक रूप से इसे स्वयं बैंकों पर छोड़ दिया जाएगा कि वे यह निर्णय करें कि किसी क्षेत्र की विशेष आवश्यकताओं पर निर्भर करते हुए किसी खास क्षेत्र में बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने में कौन प्रतिदर्श उपयुक्त होगा।

पृष्ठभूमि

सितंबर 2005 से प्रचलित विद्यमान शाखा प्राधिकरण नीति के अनुसार कम बैंक सुविधा वाले जिलों और ग्रमीण क्षेत्रों में बैंकों को शाखाएँ खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अतिरिक्त वार्षिक आधार पर अपनी शाखा विस्तार योजनाओं को प्रस्तुत करनेवाली बैंकों की प्रणाली के होते हुए भी वे कम बैंक सुविधा वाले/ग्रामीण क्षेत्रों में शाखाएँ खोलने के लिए वर्ष के दौरान कभी भी अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र हैं जिन पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा गुणवत्ता के आधार पर विचार किया जाता है। सामान्यतःकम बैंक सुविधा वाले/ग्रामीण क्षेत्रों में शाखाएँ खोलने के लिए बैंकों से प्राप्त सभी प्रस्तावों पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुग्रहपूर्वक विचार किया जा रहा है।

हाल की रियायत

जहाँ तक ऑफ-साइट एटीएम का संबंध है, प्रत्येक मामले में रिज़र्व बैंक से अनुमति लेने की आवश्यकता के बिना बैंकों को रिपोर्टिंग के अधीन 12 जून 2009 से ऑफ-साइट एटीएम संस्थापित करने की सामान्य अनुमति प्रदान की गई है। तथापि, यह उस किसी भी निर्देश के अधीन है जिसे ऐसे किसी ऑफ-साइट एटीएम को बंद करने/हटाए जाने सहित जहाँ कहीं रिज़र्व बैंक आवश्यक समझे जारी कर सकता है।

शाखा प्राधिकरण नीति की समीक्षा

विभिन्न क्षेत्रों से यह माँग होती रही है कि भारतीय रिज़र्व बैंक शाखा लाइसेंसिंग को मुक्त करे। इस पर विभिन्न समितियों जैसे कि वित्तीय समावेशन पर समिति (डॉ. रंगराजन समिति) और वित्तीय क्षेत्र सुधारों पर समिति (डॉ. रघुराम राजन समिति) द्वारा अपनी अनुशंसाएँ प्रस्तुत किए जाने के बाद चर्चा और तेज हो गई। जबकि वित्तीय समावेशन पर समिति ने अनुशंसा की है कि वित्तीय सुविधा से वंचित और कम बैंक सुविधा वाले जिलों में शाखाएँ खोलने पर व्यापक जोर डालना चाहिए, वित्तीय क्षेत्र सुधारों पर समिति ने शाखा लाइसेंसिंग को एकदम से समाप्त करने की वकालत की है।

इस पृष्ठभूमि के बदले वर्ष 2009-10 के वार्षिक नीति वक्तव्य में यह घोषणा की गई थी कि वित्तीय स्थिरता के अनुरूप व्यापक लचीलापन, परिवर्धित प्रसार और प्रतिस्पर्धी दक्षता उपलब्ध कराने की दृष्टि से एक कार्य दल का गठन किया जाएगा। तद्नुसार, श्री पी. विजय भास्कर, प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग की अध्यक्षता में तथा सदस्य के रूप में चयनित वाणिज्यिक बैंकों और भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकारियों के साथ एक कार्य दल का गठन किया गया। इस दल ने अब अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है।

विद्यमान शाखा प्राधिकरण नीति की समीक्षा के लिए इस दल की रिपोर्ट का संपूर्ण पाठ भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर डाल दिया गया है।

जी. रघुराज
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/633

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