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भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय क्षेत्र का मूल्यांकन करने के संबंध एक समिति गठित करने की घोषणा की

14 सितंबर 2006

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय क्षेत्र का मूल्यांकन करने के संबंध एक समिति गठित करने की घोषणा की

समष्टि आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए लचीली, सुविनियमित वित्तीय प्रणाली आवश्यक है। भारत में वित्तीय सुधारों के एक अभिन्न अंग के रूप में यह बात उत्तरोत्तर स्वीकार की जा रही है। एशियाई वित्तीय संकट के परिणामस्वरूप विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष द्वारा 1999 में वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन कार्यक्रम (एफएसएपी) प्रारंभ करने और सदस्य देशों में मूल्यांकन करने में हुए अपने अनुभवों के अनुसरण में उक्त दोनों संस्थाओं ने सितंबर 2005 में संयुक्त रूप से एक विशद पुस्तक ‘हैंड बुक आन फायनांशियल सेक्टर असेसमेंट’ प्रकाशित की। यह पुस्तक वित्तीय क्षेत्र के मूल्यांकन के उपयोग हेतु डिज़ाइन की गई, चाहे यह मूल्यांकन देश के प्राधिकरणों द्वारा स्वयं किया जाए या विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के दलों द्वारा किया जाए। जनता के लिए उपलब्ध इस हैंडबुक का उद्देश्य वित्तीय क्षेत्र के मूल्यांकन के उद्देश्यों, विश्लेषणात्मक ढांचे और पद्धतियों के संबंध में एक अधिकारिक स्रोत तथा ऐसे मूल्यांकनों की तकनीक के संबंध में एक बृहद संदर्भ ग्रंथ के रूप में कार्य करना है।

आपको याद होगा कि भारत, वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन कार्यक्रम में स्वैच्छिक रूप से भाग लेनेवालो शुरुआती सदस्य देशों में से एक होने के अलावा विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय मानकों और संहिताओं के व्यापक स्वमूल्यांकन में अग्रणी रहा है। रिज़र्व बैंक ने भी मई 2002 में एक संश्लेषण (सिंथेसिस) रिपोर्ट तथा जनवरी 2005 में एक प्रगति रिपोर्ट जारी की थी। इस प्रकार यह अनुभव बहुत उत्साहवर्धक रहा है और वित्तीय प्रणाली की सुदृढ़ता को आगे बढ़ाते हुए तथा वित्तीय स्थिरता का संवर्धन करते हुए वित्तीय क्षेत्र के सुधार हाल के वर्षों में काफी आगे बढ़े हैं।

इसी दृष्टिकोण के अनुरूप भारत के लिए यह उचित और व्यावहारिक होगा कि वह वित्तीय क्षेत्र के मूल्यांकन हेतु नई हैंडबुक के उपयोग और साथ ही साथ किसी अन्य प्रासंगिक दस्तावेज़ों को आधार बनाकर वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता और विकास का स्वमूल्यांकन करे। तदनुसार, भारत सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से निर्णय लिया है कि एक "वित्तीय क्षेत्र के लिए मूल्यांकन संबंधी समिति" गठित की जाए जिसके संदर्भाधीन विषय निम्नानुसार हैं -

(i) पुस्तिका में तथा भारतीय वित्तीय क्षेत्र के विकासशील संदर्भ के संगत वित्तीय क्षेत्र आकलन के लिए किसी अन्य प्रासंगिक दस्तावेज़ में भी समुचित क्षेत्र, तकनीक एवं पद्धतियों की पहचान करना;

(ii) भारतीय प्रणाली के अनुकूल संगत पद्धतियों एवं तकनीक को लागू करने तथा भारतीय वित्तीय क्षेत्र के विकास, दक्षता, प्रतिस्पर्धा और विवेकपूर्ण पहलुओं सहित एक व्यापक और वस्तुपरक आकलन के लिए प्रयत्न करना;

(iii) भारत के लिए यथासंगत विशिष्ट विकास एवं स्थिरता के मामलों का विश्लेषण करना; और

(iv) भारतीय रिज़र्व बैंक/भारत सरकार की वेबसाइटों के माध्यम से रिपोर्ट(रिपोर्टों) को उपलब्ध कराना।

यह समिति, आकलन के लिए विचार किए जानेवाले विषय क्षेत्र के आधार पर सहयोजित सदस्यों को शामिल कर सकती है तथा आकलन के लिए विशिष्ट क्षेत्र पर अध्ययन एवं रिपोर्ट हेतु तकनीकी/परामर्शी समूहों का गठन कर सकती है।

इस समिति की अध्यक्षता डा. राकेश मोहन, उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक करेंगे और श्री अशोक झा, सचिव (आर्थिक कार्य) इसके सह-अध्यक्ष होंगे। डा. अशोक लाहिरी, मुख्य आर्थिक परामर्शदाता और श्री मधुसूदन प्रसाद (निधि बैंक), भारत सरकार इसके सदस्य होंगे। इसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सचिवालयीन कार्य उपलब्ध कराया जाएगा।

यह समिति अपनी स्थिति की समीक्षा करेगी और अपना कार्य शुरू करने के छह महीनों में भारत सरकार/ भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रगति की रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

बी.वी.राठोड
प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/378

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