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प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ञ) पीएसएलसी

उत्तर: गलत वर्गीकरण, यदि कोई हो, को केवल पीएसएलसी विक्रेता बैंक की उपलब्धि से कम करना होगा। पीएसएलसी खरीदार के लिए कोई प्रतिपक्षी जोखिम नहीं होगा, भले ही, ट्रेड किए गए पीएसएलसी की अंतर्निहित आस्ति का गलत वर्गीकरण हो जाए।

उत्तर: प्रीमियम पूरी तरह से बाजार द्वारा निर्धारित होगा। इस संबंध में आरबीआई द्वारा कोई न्यूनतम/उच्चतम सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
उत्तर: मिलान किए गए प्रीमियम का तत्काल नि‍पटान होगा और तदनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ सहभागी बैंकों के संबंधित चालू खातों को मिलान किए गए प्रीमियम की सीमा तक डेबिट/क्रेडिट किया जाएगा।
उत्तर : ऑर्डर का मिलान पोर्टल के माध्यम से अज्ञात आधार पर किया जाएगा और खरीदार/विक्रेता प्रतिपक्षकार का चयन नहीं कर सकता है। आंशिक मिलान, प्रीमियम के मिलान और खरीद एवं बिक्री के लिए श्रेणीवार पीएसएलसी लॉट की उपलब्धता के आधार पर होगा।
उत्तर: सामान्य ट्रेडिंग का समय सुबह 10 बजे से शाम 4:30 बजे तक होगा। पीएसएलसी बाजार शनिवार, रविवार, महाराष्ट्र सरकार द्वारा परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 के तहत घोषित छुट्टियों और ऐसी छुट्टियां जिन्हें आरबीआई समय-समय पर घोषित कर सकता है, को छोड़कर सभी दिनों में संचालित होता है।
उत्तर: सर्वाधिक प्रभावी मूल्य अन्वेषण को बनाए रखने के लिए पीएसएलसी ट्रेडिंग की प्रकृति को अज्ञात रखा गया है। द्विपक्षीय आधार पर सौदों को निपटाने और बाद में उसे पोर्टल पर रिपोर्ट करने का कोई प्रावधान नहीं है। आरबीआई के पास पोर्टल पर मौजूदा दरों की तुलना में काफी अधिक/कम प्रीमियम पर तय किए गए किसी भी सौदे को रद्द करने का विवेकाधिकार है।ट) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत ऑन-लेंडिंग
उत्तर: सभी पीएसएलसी वित्त वर्ष के अंत तक अर्थात 31 मार्च तक वैध रहेंगे और अगले दिन अर्थात 1 अप्रैल को समाप्त हो जाएंगे।
उत्तर: पीएसएलसी की अवधि जारी होने की तारीख पर निर्भर करेगी क्योंकि सभी पीएसएलसी वित्त वर्ष के अंत तक अर्थात 31 मार्च तक वैध होंगे और अगले दिन अर्थात 1 अप्रैल को समाप्त हो जाएंगे।

उत्तर: पीएसएलसी को अंतर-राज्यीय व्यापार या वाणिज्य के दौरान 'माल' की प्रकृति में समझा जा सकता है, जिसमें कार्य, भारत सरकार की दिनांक 4 मई 2016 की अधिसूचना के माध्यम से बीआर अधिनियम की धारा 6(1)(ओ) के तहत, एक अनुमत गतिविधि के रूप में अधिसूचित किया गया है। 01 जुलाई 2017 से 28 मई 2018 की अवधि के लिए पीएसएलसी पर जीएसटी का भुगतान विक्रेता बैंक द्वारा वायदा शुल्क (फॉरवर्ड चार्ज) के आधार पर 12% की दर से किया जाना है। 28 मई 2018 से, खरीदार बैंक को रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) के तहत 18% की दर से जीएसटी का भुगतान करना होगा। इसके अलावा, ई-कुबेर पोर्टल पर कारोबार किए गए पीएसएलसी की आपूर्ति पर आईजीएसटी देय है। यदि कोई बैंक जो जीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी था, उसने पहले ही सीजीएसटी/एसजीएसटी या सीजीएसटी/यूजीएसटी का भुगतान कर दिया था, तो बैंक को ऐसी आपूर्ति के लिए आईजीएसटी का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा, मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, ई-कुबेर पोर्टल पर पीएसएलसी मॉड्यूल के उपयोग के लिए सहभागी बैंकों पर आरबीआई को देय कोई लेनदेन प्रभार/ शुल्क लागू नहीं है।

(ऊपर दिया गया स्पष्टीकरण, मामले में कानूनी सलाह या राय नहीं है और यह जरूरी नहीं कि सबसे वर्तमान कानूनी जानकारी को प्रतिबिंबित करे। बाजार सहभागियों को ऊपर दी गई किसी भी जानकारी पर कार्रवाई करने से पहले कर विशेषज्ञों/परामर्शदाताओं/विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए।).

उत्तर: पीएसएलसी की केवल चार पात्र श्रेणियां हैं अर्थात पीएसएलसी सामान्य, पीएसएलसी लघु और सीमांत किसान, पीएसएलसी कृषि और पीएसएलसी सूक्ष्म उद्यम।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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