क्रमिक विकास - सीएबी - Reserve Bank of India

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आरंभ और विकास

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कामकाज के कुछ पहलू विश्व के अन्य केंद्रीय बैंकों की तुलना में एकदम अनोखे है जैसे कि ग्रामीण ऋण के क्षेत्र में इसकी भूमिका।यह जिम्मेदारी मुख्य रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था के कृषि आधार के कारण प्राप्त हुई है और इसमें विस्तार करने एवं कृषि तथा ग्रामीण विकास के लिए संस्थागत ऋण संरचना का विस्तार तथा समन्वय की आवश्यकता है। स्वतंत्रता के बाद से संगठित ग्रामीण ऋण संरचना के विस्तार में सहकारी ऋण संरचना के सुदृढ़ीकरण, अग्रणी बैंक योजना की शुरूआत, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण आदि के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका ने ग्रामीण समृद्धि के लिए वित्तपोषण में नवीनता लाकर आरबीआई अपनी अमिट छाप छोड़ चुका है । इसलिए, ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों को ऋण देने के लिए सहकारी बैंकों को अपने कर्मचारियों की क्षमता निर्माण में सहायता करने के लिए, आरबीआई ने 29 सितंबर, 1969 को पुणे में सहकारी बैंकर्स प्रशिक्षण महाविद्यालय (CBTC) की स्थापना की ।1974 में, कृषि ऋण देने के क्षेत्र में क्षमता निर्माण पर तेजी से ध्यान केंद्रित करने के लिए महाविद्यालय का नाम बदलकर कृषि बैंकिंग महाविद्यालय (सीएबी) किया गया।

इस प्रकार सहकारी क्षेत्र से बैंकरों की क्षमता निर्माण एक मुख्य प्राथमिकता रही जबकि कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों से संबद्ध सभी प्रकार के बैंकों के अधिकारियों का प्रशिक्षण इस महाविद्यालय की क्षमता निर्माण गतिविधियों का एक नया आयाम बन गया।

समय बीतने के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र देश के समग्र विकास का हिस्सा बन गया। इस चरण में, महाविद्यालय ने एमएसएमई वित्तपोषण के क्षेत्र में प्रशिक्षण-सह-संवेदी कार्यक्रम भी शुरु किए गए ताकि भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले क्षेत्र को ऋण देने के लिए क्षमता निर्माण करने में बैंकों को सहायता मिल सके।

सीएबी की शैक्षणिक गतिविधियां महाविद्यालय की सलाहकार समिति (सीएसी) के समग्र मार्गदर्शन के अंतर्गत संचालित की जाती हैं। आरबीआई के उप गवर्नर सीएसी की अध्यक्षता करते है। चुनिंदा वित्तीय संस्थानों के अध्यक्ष, चुनिंदा वाणिज्यिक बैंकों के सीईओ, कुछ शीर्ष स्तरीय संगठनों के प्रतिनिधि और विख्यात शिक्षाविद सीएसी के सदस्य हैं। प्रशिक्षण योजनाओं को मंजूरी देने और महाविद्यालय की अन्य अकादमिक गतिविधियों की समीक्षा करने के लिए सीएसी की वर्ष में एक बार बैठक आयोजित की जाती है ।

सीएबी के दिन-प्रतिदिन के कामकाज का प्रबंधन मुख्य महाप्रबंधक ग्रेड के प्रधानाचार्य द्वारा किया जाता है जो CAC के सदस्य-सचिव भी होते हैं तथा प्रशासनिक और संबंधित कार्यकलापों में महाप्रबंधक ग्रेड के उप-प्रधानाचार्य और शैक्षणिक गतिविधियों में उप महाप्रबंधक/ महाप्रबंधक ग्रेड के तीन चैनल समन्वयक सहायता करते हैं।

एक चयन प्रक्रिया के जरिए आरबीआई के सीनियर और मिडिल मैनेजमेंट कैडर से संकाय सदस्यों का चयन किया जाता हैं । अत्याधुनिक जानकारी प्रदान करने के लिए महाविद्यालय द्वारा रिजर्व बैंक के केंद्रीय् कार्यालय,, नाबार्ड, वाणिज्यिक बैंकों, कारपोरेट और कृषि क्षेत्र के व्यवसायिकों आदि से वक्ताओं और प्रशिक्षकों को आमंत्रित करता है ।

CAB TODAY

कृबैंम आज

समय के साथ-साथ, सीएबी ने पने आप में नवीनतम बदलाव लाए हैं और बैंकिंग क्षेत्र तथा वित्तीय प्रणाली की क्षमता निर्माण आवश्यकता के अनुसार कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत की। वर्तमान में कृषि वित्त, सहकारी बैंकिंग, प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण, एमएसएमई, कृषि व्यापार, आदि कार्यक्रमों सहित समकालीन प्रासंगिक विषय जैसे डिजिटल वित्तीय समावेशन, साइबर सुरक्षा और आईएस लेखा परीक्षा, एमडीपीएस, नेतृत्व विकास, विकास केंद्र, आदि पर कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं।

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