अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) पर मास्टर निदेश में संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) पर मास्टर निदेश में संशोधन
भा.रि.बैं./2016-17/176 08 दिसंबर, 2016 सभी विनियमित संस्थाएं महोदय/ महोदया, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) पर मास्टर निदेश में संशोधन बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए और इसके साथ पठित धारा 56, धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियमावली, 2005 के नियम 9(14) और इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक को सक्षम बनाने वाले अन्य सभी कानूनों के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, रिज़र्व बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016 (दिनांक 25 फरवरी, 2016 के मास्टर निदेश सं. बैंविवि.एएमएल.सं. 81/14.01.001/2015-16) (इसके बाद प्रमुख निदेश के रूप में संदर्भित) में तुरंत प्रभाव से निम्नलिखित संशोधन करता है, नामतः i. ‘न्यास के मामले में हिताधिकारी स्वामी की परिभाषा’ से संबंधित धारा 3(क)(ii)घ का स्पष्टीकरण, जो निम्नानुसार पठित है “स्पष्टीकरण: ‘व्यक्तियों के निकाय’ में सोसायटी शामिल हैं” – इस वाक्यांश को हटा दिया गया है। ii. धारा 3(क)(v) को संशोधन के बाद निम्नानुसार पढ़ा जाए: v. 'गैर-लाभ अर्जक संगठन' (एनपीओ) का अभिप्राय उस संस्था अथवा संगठन से है जो सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 अथवा उसी प्रकार के किसी राज्य विधान के अंतर्गत न्यास अथवा सोसायटी के रूप में पंजीकृत हो अथवा कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के अंतर्गत पंजीकृत कोई कंपनी हो। iii. धारा 12(ख) को संशोधन के बाद निम्नानुसार पढ़ा जाए: “12.(ख) जोखिम वर्गीकरण ग्राहक की पहचान, उसकी सामाजिक /आर्थिक हैसियत, कारोबारी गतिविधियों के स्वरूप, और ग्राहकों के कारोबार एवं स्थान आदि की जानकारी जैसे मानदंड के आधार पर किया जाएगा। ग्राहक की पहचान पर विचार करते समय, ऑनलाइन अथवा जारीकर्ता प्राधिकरणों द्वारा दी जीने वाली अन्य सेवाओं के माध्यम से पहचान दस्तावेजों की पुष्टि करने की क्षमता भी ध्यान में ली जा सकती है। iv. धारा 15(घ) को संशोधन के बाद निम्नानुसार पढ़ा जाए: 15(घ) यदि ग्राहक का वर्तमान पता आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज (ओवीडी) में दर्ज पते से भिन्न है तो भी उसे वर्तमान पते के लिए अलग प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे मामलों में, विनियमित संस्था ग्राहक से ऐसे पते के लिए मात्र एक घोषणा लेगी जिस पर विनियमित संस्था द्वारा समस्त पत्राचार किए जाएंगे। v. धारा 17 में एक अतिरिक्त परन्तुक निम्नानुसार जोड़ा गया है: बशर्ते यह भी कि विनियमित संस्था ग्राहकों की ऑन-बोर्डिंग के लिए वन टाइम पिन (ओटीपी) आधारित ई-केवाईसी प्रक्रिया का विकल्प प्रदान करे। उक्त परन्तुक के अनुसार, अर्थात् ओटीपी आधारित ई-केवाईसी का प्रयोग करते हुए खोले गए खाते निम्नलिखित शर्तें के अधीन हैं :
vi. धारा 18 को संशोधन के बाद निम्नानुसार पढ़ा जाए: 18. यदि भावी ग्राहक केवल अपना आधार नंबर जानता हो अथवा वह किसी अन्य स्रोत से डाउनलोड किए गए ई-आधार की प्रति लेकर आए तो विनियमित संस्थाएं यूआईडीएआई पोर्टल से भावी ग्राहक का ई-आधार पत्र सीधे ही प्रिंट/डाउनलोड करेंगी अथवा ऊपर उल्लिखित ई-केवाईसी प्रक्रिया अपनाएंगी, बशर्ते कि भावी ग्राहक विनियमित संस्था की शाखा/कार्यालय में स्वयं उपस्थित हो। vii. धारा 28 को संशोधित करके निम्नलिखित को जोड़ा गया है: (च) डीजीएफटी के कार्यालय द्वारा स्वामित्व वाले प्रतिष्ठान को जारी आईईसी (आयातक/निर्यातक कोड) /संविधि के तहत निगमित किसी व्यावसायिक निकाय द्वारा स्वामित्व वाले प्रतिष्ठान के नाम पर व्यवसाय करने के लिए जारी लाइसेंस/प्रमाणपत्र। viii. धारा 33 में स्पष्टीकरण को निम्नानुसार जोड़ा गया है: “स्पष्टीकरण: ‘व्यक्तियों के निकाय’ वाक्यांश में सोसायटी शामिल हैं” ix. धारा 33अ को जोड़ने के बाद निम्नानुसार पढ़ा जाए: 33अ: पूर्ववर्ती भाग में विशिष्टतः कवर नहीं किए गए न्यायिक व्यक्तियों, जैसे कि सरकार या उसके विभागों, सोसायटी, विश्वविद्यालयों और ग्राम पंचायत जैसे स्थानीय निकायों के खाते खोलने के लिए, निम्नलिखित दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति प्राप्त की जाएगी:
x. मौजूदा धारा 38 में खंड (च) को जोड़ने के बाद निम्नानुसार पढ़ा जाए: (च) आवधिक अद्यतनीकरण के प्रयोजन से ओटीपी के आधार पर अधिप्रमाणन करने की ई-केवाईसी प्रक्रिया की अनुमति दी जाती है, बशर्ते कि, ऑन-बोर्डिंग के समय, ग्राहक धारा 16 या धारा 17 में विनिर्दिष्ट केवाईसी प्रक्रिया से गुजरा हो। xi. धारा 51 में, ‘आईएसआईएल (Da’esh) और अल-कायदा प्रतिबंध सूची’ और ‘1988 प्रतिबंध सूची’ के हाइपर लिंक को अद्यतन किया गया है। xii. धारा 57 में, क्रम सं. (i) से (v) में विनियमित संस्थाओं द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के स्थान पर निम्नलिखित आ जाएंगे:
xiii. मौजूदा धारा 58 के आरंभिक वक्तव्य को निम्नानुसार संशोधित किया गया है: FATCA और CRS के अंतर्गत, विनियमित संस्थाएं आयकर नियमावली 114च, 114छ और 114ज के प्रावधानों का अनुपालन करेंगी और यह निर्धारित करेंगी कि क्या वे आयकर नियम 114च में परिभाषित रिपोर्टिंग वित्तीय संस्थाएं हैं और यदि वे हैं तो वे रिपोर्टिंग अपेक्षाओं का अनुपालन करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाएंगी: xiv. मौजूदा धारा 58 के खंड (च) में निम्न को जोड़ा गया है: (च) केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा उक्त विषय पर समय-समय पर जारी और वेबसाइट http://www.incometaxindia.gov.in/Pages/default.aspx पर उपलब्ध अद्यतन अनुदेशों/ नियमों/ मार्गदर्शन नोटों/ प्रेस प्रकाशनियों का अनुपालन सुनिश्चित करें। विनियमित संस्थाएं निम्नलिखित का ध्यान रखें:
xv. दिनांक 4 फरवरी 1999 के परिपत्र बैंपविवि.सं.आईबीएस.1816/23.67.001/98-99 का निरसन किया गया है और मास्टर निदेश के परिशिष्ट के क्रम सं. 253 में जोड़ा गया है। (लिली वडेरा) |