वर्ष 2018-19 के दौरान अंतरिम आधार पर अल्पावधि फसल ऋण के लिए ब्याज सबवेंशन (छूट) योजना को जारी रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
वर्ष 2018-19 के दौरान अंतरिम आधार पर अल्पावधि फसल ऋण के लिए ब्याज सबवेंशन (छूट) योजना को जारी रखना
आरबीआई/2017-18/190 जून 7, 2018 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/ महोदय वर्ष 2018-19 के दौरान अंतरिम आधार पर अल्पावधि फसल ऋण के लिए ब्याज सबवेंशन (छूट) योजना को जारी रखना कृपया ‘वर्ष 2017-18 के दौरान अल्पावधि फसल ऋण के लिए ब्याज सबवेंशन (छूट) योजना’ पर दिनांक 16 अगस्त 2017 के हमारे परिपत्र विसविवि.केंका.एफएसडी.बीसी.सं.14/05.02.001/2017-18 का संदर्भ ग्रहण करें, जिसमें हमने वर्ष 2017-18 हेतु ब्याज सबवेंशन योजना को जारी रखने और उसके कार्यान्वयन के बारे में सूचित किया था। वर्ष 2018-19 के लिए योजना के संबंध में, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने सूचित किया है कि उन्होंने ब्याज सबवेंशन योजना 2018-19 को जारी रखने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। 2. जैसा कि भारत सरकार द्वारा सूचित किया गया है, वर्ष 2017-18 में योजना हेतु अनुमोदित नियम एवं शर्तों, जैसा कि उपरोक्त उद्धृत परिपत्र में उल्लेख किया गया है, के अधीन आगामी अनुदेश प्राप्त होने तक अंतरिम उपाय के रूप में ब्याज सबवेंशन योजना 2018-19 में लागू की जाएगी। अतः सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इसे नोट करें तथा वर्ष 2018-19 हेतु ब्याज सबवेंशन योजना को तदनुसार लागू करें। 3. इसके अलावा, जैसा कि भारत सरकार द्वारा सूचित किया गया है, वर्ष 2018-19 से आईएसएस को 'इन काइंड/सर्विसेस' के आधार पर न कि 'इन कैश' आधार पर डीबीटी मोड पर रखा जाएगा तथा वर्ष 2018-19 में प्रसंस्कृत सभी ऋणों को आईएसएस पोर्टल / डीबीटी मंच, आरंभ होने के उपरांत, पर लाया जाना आवश्यक होगा। 4. भारत सरकार के दिनांक 16 अगस्त 2017 के पत्र एफ.एन.1-4/2017-क्रेडिट-I (प्रति संलग्न) के अनुसार, ब्याज सबवेंशन योजना में योजनाओं के ‘प्लान-नॉन प्लान’ वर्गीकरण को हटा दिया जाएगा। तदनुसार, ब्याज सबवेंशन योजना 2018-19 को प्लान योजना अर्थात अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) इत्यादि के रूप में निश्चित किए जाने की आवश्यकता है। 5. अतः बैंकों से अपेक्षित है कि वे योजना के अंतर्गत लाभार्थियों के श्रेणीवार आंकड़े (सामान्य, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर)-सामान्य, पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर)-एससी, पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर)-एसटी) कैप्चर करें ताकि अलग-अलग किसान के डेटा को आईएसएस पोर्टल पर रखा जा सके एवं वर्ष 2018-19 से उत्पन्न होने वाले दावों का निपटारा किया जा सके। जब तक डीबीटी पोर्टल क्रियाशील नहीं हो जाता है, बैंकों से अनुरोध है कि वे उक्त निर्दिष्ट किए गए अनुसार अपने दावों को श्रेणीवार रूप में प्रस्तुत करें। 6. बैंक सरकार के साथ परामर्श करके ऋण वर्गीकरण के संबंध में विस्तृत तौर-तरीकों पर कार्य कर रहा है। जब तक तौर-तरीकों को अंतिम रूप नहीं दे दिया जाता, बैंक स्व-घोषणा के आधार पर श्रेणीवार डेटा प्राप्त कर सकते हैं। यद्यपि, प्रत्येक श्रेणी के तहत दिए जाने वाले ऋणों पर कोई उच्चतम सीमा नहीं होनी चाहिए। भवदीय, (गौतम प्रसाद बोरा) अनुलग्नक : यथोक्त |