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डॉ. डी. सुब्‍बाराव, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने सार्थक वित्तीय समावेशन और वित्‍तीय साक्षरता के लिए हिंदी और अन्‍य क्षेत्रीय भाषाओं में लोगों तक पहुंचने के लिए बैंक

28 अगस्‍त 2013

डॉ. डी. सुब्‍बाराव, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने सार्थक वित्तीय समावेशन
और वित्‍तीय साक्षरता के लिए हिंदी और अन्‍य क्षेत्रीय भाषाओं में
लोगों तक पहुंचने के लिए बैंकों से अपील की

''वित्तीय समावेशन और वित्‍तीय साक्षरता रिज़र्व बैंक की प्राथमिकता हैं। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि बैंक बड़े उत्‍साह, उमंग और सृजनशीलता के साथ इन कार्यक्रमों को लागू कर रहे हैं। इन कार्यक्रमों के अनुभव यह बताते हैं कि हम संप्रेषण के माध्‍यम के रूप में अंग्रेजी का प्रयोग करके सही मायने में वित्तीय समावेशन और वित्तीय साक्षरता का उद्देश्‍य पूरा नहीं कर पाएंगे। हमें निश्चित रूप से हिंदी और अन्‍य क्षेत्रीय भाषाओं का सहारा लेना ही होगा।''

भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर, डॉ. डी. सुब्‍बाराव ने आज मुंबई में बैंकों से यह अपील की। वे वर्ष 2011-12 के लिए राजभाषा शील्‍ड प्रदान कर रहे थे।

पिछले कुछ महीनों में ऊंचे प्रतिफल का वादा करके गैर-कानूनी और कपटपूर्ण योजनाएं चलाकर भोले-भाले लोगों से रकम जमा कराने की बढ़ती घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि अक्‍सर ये योजनाएं असफल हो जाती हैं और गरीब लोग अपनी पूरी जिंदगी की बचत खो बैठते हैं। सरकारों और विनियामकों की यह जिम्‍मेदारी है कि वे ऐसी कपटपूर्ण योजनाओं से लोगों को बचाएं। इसके लिए हमें दो कदम उठाने होंगे। पहला, हमें ऐसी योजनाओं में मौजूद जोखिम के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करनी होगी। दूसरा, हमें उन्‍हें औपचारिक वित्तीय क्षेत्र की सुविधा प्रदान करनी होगी ताकि वे ऐसी कपटपूर्ण योजनाओं के शिकार न बनें। इन दोनों पहलों के लिए हमें हिंदी तथा क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग करना होगा। इसीलिए सरकार तथा रिज़र्व बैंक ने स्‍थानीय भाषाओं में विज्ञापन अभियान चला रखा है ताकि लोगों में जागरूकता बढ़े। हम चाहेंगे कि इस पहल में बैंक हमारा साथ दें। 

इस अवसर पर भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर, डॉ. ऊर्जित पटेल ने विजेता बैंकों तथा, वित्तीय संस्‍थाओं को बधाई देते हुए कहा कि एक सेवा उद्योग के रूप में बैंकिंग क्षेत्र के लिए यह आवश्‍यक है कि वह आम जनता के साथ उसकी की भाषा में संपर्क करे। इस वजह से हिंदी भाषा का महत्‍व और भी बढ़ जाता है क्‍योंकि हमारे देश के ज्‍यादातर लोग इसे समझते हैं और बोलते हैं। इसलिए बैंकों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों से हिंदी में संपर्क करें।

कार्यपालक निदेशक श्री रा. गांधी ने कार्यक्रम में भाग ले रहे बैंको और वित्तीय संस्‍थाओं के मुख्‍य कार्यपालकों का स्‍वागत किया और श्री यू.एस.पालीवाल, मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक ने आभार व्‍यक्‍त किया। भारतीय रिज़र्व बैंक के राजभाषा विभाग के महाप्रबंधक डॉ. रमाकांत गुप्‍ता ने कार्यक्रम का संचालन किया।

समारोह में बैंकों और वित्‍तीय संस्‍थाओं के अध्‍यक्ष तथा अन्‍य वरिष्‍ठ कार्यपालक उपस्थित थे।

अल्‍पना किल्‍लावाला
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/435

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