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ईसीएस (डेबिट)  बैंकों द्वारा अधिदेश प्रबंधन प्रक्रिया- प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों का पालन

आरबीआई/2011-12/513
भुनिप्रवि (कें.का.) ईपीपीडी सं. 1918/04.03.01/2011-12

18 अप्रैल, 2012

अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक/ ईसीएस में भाग लेने वाले सदस्य बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी

महोदय/महोदया

ईसीएस (डेबिट)  बैंकों द्वारा अधिदेश प्रबंधन प्रक्रिया- प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों का पालन

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 1994 में लाई गई एलेक्ट्रानिक समाशोधन सेवा (ईसीएस) का उपयोग देश में कई केन्द्रों में बड़ी संख्या में भुगतान करने और प्राप्त करने में व्यापक रूप से किया जा रहा है। ईसीएस (डेबिट) प्रणाली को इस उद्देशय से लाया गया था कि इससे यूटिलिटी बिल भुगतनों, इंश्योरेंस प्रीमियम, कार्ड भुगतनों, ऋण भुगतानों इत्यादि के संबंध में भुगतान लेनदेनों को इलेक्ट्रानिक रूप से करने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध होगी, जिससे कागज आधारित लिखत जैसे चेक को जारी करने और लाने-ले-जाने की  आवश्यकता नहीं रह जाएगी। इसके चलते भुगतान संग्रह करने वाले/प्राप्त करने वाले बैंकों /कंपनियों/कारपोरेशनों/सरकारी विभागों इत्यादि द्वारा बेहतर ग्राहक सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी। ईसीएस (डेबिट) प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश, प्रक्रिया में शामिल विभिन्न हितधारकों के द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया विहित करती है।

ईसीएस (डेबिट) प्रणाली गंतव्य खाता धारक द्वारा उपयोगकर्ता संगठन को अपने खाते से भुगतान करने के आदेशों के आधार पर कार्य करता है। गंतव्य बैंक शाखाएँ अपने ग्राहकों के खातों से केवल उनके द्वारा निष्पादित अधिदेशों और राशि, समय सीमा, बारंबारता इत्यादि की सीमाओं के अंदर ही डेबिट  कर सकती हैं। इसके अलावा खाता धारक / ग्राहक अपने बैंक से ईसीएस डेबिट निर्देशों को बिना उपयोगकर्ता संगठन को शामिल किए हुए वापस भी ले सकता है। प्रणाली के सुचारु रूप से कार्य करने और ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए उपर्युक्त निवारक उपायों को अपनाया गया है।

तथापि, यह पाया गया है कि बैंक  अपेक्षित स्तर तक इन निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसके चलते ग्राहक प्रभावित होती है। विषेशतौर पर यह देखा गया है कि बैंक दिशानिर्देशों के अनुसार ग्राहकों से आहरण निर्देशों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। तदनुसार, बैंकों को पुन: यह सलाह दी जाती है कि वे इस संबंध में निम्नलिखित दिशानिर्देशों का पालन करें:

1. ग्राहकों द्वारा अपने खातों में डेबिट को प्राधिकृत किए जाने वाले सभी डेबिट अधिदेश गंतव्य बैंक द्वारा प्रमाणित होने चाहिए और इन्हें संग्रह करके रखा जाना चाहिए। ग्राहक के खाते में डेबिट एक वैध अधिदेश के आधार पर ही होगा। यदि बैंकों के पास  ऐसे अधिदेश उपलब्ध नहीं हैं तो उनको यह अधिकार नहीं है कि वे ग्राहक के खाते से ऐसे लेनदेन डेबिट करें।

2. उपयोगकर्ता / गंतव्य बैंक खाता धारक को अधिदेश में प्रत्येक लेनदेन के लिए उच्चतर सीमा निर्धारित करने और/अथवा एक विशिष्ट ईसीएस अधिदेश के लिए समय सीमा (एक अधिदेश का जीवनकाल) तय करने की सुविधा देनी चाहिए। एक ग्राहक के खाते से डेबिट ग्राहक के द्वारा विहित राशि और समय सीमा के भीतर ही होनी चाहिए।

3. ग्राहक द्वारा अधिदेश को वापस लिए जाने से संबन्धित किसी भी अनुदेश को गंतव्य बैंक द्वारा ग्राहक से लाभग्राही उपयोगकर्ता संस्था से किसी पूर्व सहमति/अनुमोदन की आवश्यकता के बिना ही स्वीकार किया जाएगा और इसे चेक समाशोधन प्रणाली में “भुगतान पर रोक लगाने” के अनुदेश के समान ही माना जाएगा। अधिदेश को वापस लिए जाने से संबन्धित ऐसे अनुदेश के प्राप्त होने पर खाते से किसी भी डेबिट की अनुमति नहीं होगी। एक खाते में कई अधदेशों की सम्भावना के मद्देनज़र बैंकों को सही अधिदेश द्वारा किए गए आहरण का रिकार्ड रखने के बारे में सचेत रहना चाहिए।

कृपया इस परिपत्र की प्राप्ति की सूचना दें और इसकी अनुपलना सुनिश्चित करें।

भवदीय

(विजय चुग)
मुख्य महाप्रबंधक

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