मास्टर परिपत्र - जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशा-निर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशा-निर्देश
भारिबैं/2013-14/104 1 जुलाई 2013 सभी बाज़ार सहभागी महोदय/महोदया मास्टर परिपत्र - जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशा-निर्देश मुद्रा बाजार लिखतों के विस्तार को और अधिक बढ़ाने और निवेशकों को अपनी अल्पावधि अतिरिक्त निधियों के अभिनियोजन में ज्यादा मौके प्रदान करने की दृष्टि से भारत में 1989 में जमा प्रमाणपत्र शुरू किए गए थे । वर्तमान में जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशा-निर्देश भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी, समय-समय पर यथा-संशोधित, विभिन्न निदेशों द्वारा शासित होते हैं। 2. इस विषय पर सभी मौजूदा दिशा-निर्देशों/अनुदेशों/निदेशों को शामिल कर मास्टर परिपत्र सभी बाजार सहभागियों और अन्य संबंधित संस्थाओं के संदर्भ हेतु तैयार किया गया है। यह उल्लेखनीय है कि इस मास्टर परिपत्र के परिशिष्ट में सूचीबद्ध परिपत्रों में दिए गए "जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशा-निर्देश" से संबंधित सभी अनुदेशों/दिशा-निर्देशों का समेकन करके उन्हें अद्यतन किया गया है। इस मास्टर परिपत्र को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट http:///en/web/rbi/notifications/master-circulars पर भी उपलब्ध कराया गया है। भवदीय (के.के. वोहरा) अनुलग्नक : यथोक्त
जमा प्रमाणपत्र एक परक्राम्य मुद्रा बाजार लिखत है जिसे डीमेट रूप में या एक निर्दिष्ट समय अवधि के लिए किसी बैंक या अन्य पात्र वित्तीय संस्था में जमा की गयी निधि के लिए मीयादी वचनपत्र के रूप में जारी किया जाता है। वर्तमान में जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशा-निर्देश भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी समय-समय पर यथासंशोधित निदेशों के द्वारा शासित होते हैं। जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश अब तक जारी किए गए संशोधनों को शामिल कर तत्काल संदर्भ के लिए नीचे दिए गए हैं। जमा प्रमाणपत्र (i) अनुसूचित वाणिज्य बैंकों, (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर) और (ii) चयनित अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं, जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय समग्र सीमा के भीतर रिजर्व बैंक द्वारा अल्पकालिक संसाधन जुटाने की अनुमति दी गई है। 3.1 बैंकों को अपनी निधियन आवश्यकतानुसार जमा प्रमाणपत्र जारी करने की छूट है। 3.2 कोई भी वित्तीय संस्था बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग द्वारा जारी और समय-समय पर यथासंशोधित वित्तीय संस्थाओं के लिए संसाधन जुटाने के मानदण्डों पर मास्टर परिपत्र में निर्धारित समग्र सीमा के भीतर जमा प्रमाणपत्र जारी कर सकती है। 4. निर्गम का न्यूनतम आकार और मूल्यवर्ग जमा प्रमाणपत्र की न्यूनतम राशि 1 लाख रुपए होनी चाहिए अर्थात् एक अभिदाता से स्वीकार की जाने वाली न्यूनतम जमाराशि 1 लाख रूपये से कम नहीं होनी चाहिए और उससे अधिक की राशि 1 लाख रुपए के गुणजों में होनी चाहिए। जमा प्रमाणपत्र व्यक्तियों, निगमों, कंपनियों (बैंकों और प्राथमिक व्यापारियों सहित), ट्रस्टों, फंडों, संघों, आदि को जारी किए जा सकते हैं। अनिवासी भारतीय भी अभिदान कर सकते हैं लेकिन ऐसा अभिदान केवल अप्रत्यावर्तनीय आधार पर होगा और जिसका स्पष्ट रूप से प्रमाणपत्र पर उल्लेख किया जाना चाहिए। ऐसे जमा प्रमाणपत्र द्वितीयक बाजार में किसी अन्य अनिवासी भारतीय को पृष्ठांकित नहीं किए जा सकते। 6.1 बैंकों द्वारा जारी जमा प्रमाणपत्रों की परिपक्वता अवधि जारी करने की तारीख से 7 दिन से कम और एक वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। 6.2 वित्तीय संस्थाएं जारी करने की तारीख से 1 वर्ष से अधिक एवं 3 वर्ष से कम अवधि के लिए जमा प्रमाणपत्र जारी कर सकती हैं। जमा प्रमाणपत्र अंकित मूल्य से कम बट्टे पर जारी किए जा सकते हैं। बैंकों/वित्तीय संस्थाओं को अस्थिर दर आधार पर भी जमा प्रमाणपत्र जारी करने की अनुमति है बशर्तें कि अस्थिर दर की संकलन पद्धति वस्तुनिष्ठ,पारदर्शी और बाजार-आधारित हो। जारीकर्ता बैंक/वित्तीय संस्था बट्टा/कूपन दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं । अस्थिर दर जमा प्रमाणपत्र पर पूर्व-निर्धारित एक ऐसे फार्मूले के अनुसार ब्याज दर में आवधिक रूप से परिवर्तन करना होगा जो एक पारदर्शिता बेंचमार्क पर स्प्रैड को दर्शाता हो। निवेशकों को इसकी स्पष्ट सूचना दी जाए| बैंकों को जमा प्रमाणपत्र जारी करने के मूल्य पर उचित प्रारक्षित निधि अपेक्षाओं अर्थात् प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) को पूरा करना होगा। प्रत्यक्ष जमा प्रमाणपत्र पृष्ठांकन और सुपुर्दगी के द्वारा आसानी से हस्तांतरणीय हैं। डीमेट रूप में जारी जमा प्रमाणपत्र को अन्य डीमेट प्रतिभूतियों के लिए लागू प्रक्रिया के अनुसार हस्तांतरित किया जा सकता है। जमा प्रमाणपत्र के लिए कोई निश्चित अवरुद्धता अवधि नहीं है। 10. जमा प्रमाणपत्रों में कारोबार काउंटर पर जमा प्रमाणपत्रों में सभी कारोबार फिमडा रिपोर्टिंग मंच पर कारोबार के 15 मिनट के भीतर रिपोर्ट किए जाने चाहिए। काउंटर पर जमा प्रमाणपत्रों में सभी कारोबार सुपुर्दगी बनाम भुगतान (डीवीपी) के अंतर्गत प्राधिकृत समाशोधन गृहों के अर्थात् नेशनल सिक्युरिटिज क्लियरिँग कार्पोरेशन लिमिटेड, इंडियन क्लियरिंग कार्पोरेशन लिमिटेड और एमसीएक्स स्टॉक एक्सचेंज क्लियरिँग कार्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से निपटाया जाए। बैंक / वित्तीय संस्थाएं जमा प्रमाणपत्र पर ऋण प्रदान नहीं कर सकती। इसके अलावा, वे परिपक्वता से पहले अपने जमा प्रमाणपत्र की वापसी-खरीद नहीं कर सकती। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक एक अलग अधिसूचना के माध्यम से अस्थायी अवधि के लिए इन प्रतिबंधों में ढील दे सकता है। बैंकों/ वित्तीय संस्थाओं को केवल डीमेट रूप में ही जमा प्रमाणपत्र जारी करने चाहिए। तथापि, निक्षेपागार अधिनियम, 1996 के अनुसार, निवेशकों को भौतिक रूप में प्रमाणपत्र प्राप्त करने का विकल्प है। तदनुसार, अगर निवेशक भौतिक रूप में प्रमाणपत्र की मांग करता है तो बैंक / वित्तीय संस्था मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, केन्द्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई – 400 001 को ऐसी मांग के बारे में अलग से सूचित करें। साथ ही, जमा प्रमाणपत्रों के निर्गम पर स्टांप शुल्क लगेगा। इस संबंध में बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के लिए एक प्रारूप (अनुलग्नक 1) संलग्न है। जमा प्रमाणपत्र की चुकौती के लिए कोई अनुग्रह अवधि नहीं होगी। यदि परिपक्वता की तारीख को छुट्टी होती है तो जारीकर्ता बैंक/वित्तीय संस्था को चाहिए कि वह छुट्टी के ठीक पहले वाले कार्यदिवस में भुगतान करें। इसलिए बैंकों/वित्तीय संस्थाओं को जमा की अवधि इस प्रकार तय करनी चाहिए कि परिपक्वता की तारीख छुट्टी का दिन न हो ताकि बट्टा/ब्याज दर में होने वाली हानि से बचा जा सके। चूंकि प्रत्यक्ष जमा प्रमाणपत्र पृष्ठांकन और सुपुर्दगी द्वारा आसानी से हस्तांतरणीय हैं, अतः बैंक/वित्तीय संस्था यह सुनिश्चित करें कि प्रमाणपत्र अच्छी गुणवत्ता वाले सुरक्षा पेपर पर मुद्रित हों और दस्तावेज को हेर-फेर से बचाने के लिए आवश्यक सावधानी बरती गई हों। इन पर दो या अधिक प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के हस्ताक्षर होने चाहिए। 15.1 चूंकि जमा प्रमाणपत्र हस्तांतरणीय हैं इसलिए प्रत्यक्ष प्रमाणपत्र अंतिम धारक द्वारा भुगतान के लिए प्रस्तुत किया जाए। पृष्ठांकनों की श्रृंखला में किसी दोष के कारण दायित्व का प्रश्न उठ सकता है। अत: यह वांछनीय है कि बैंक सावधानी बरतें और केवल रेखित चेक के माध्यम से भुगतान करें। इन जमा प्रमाणपत्रों का सौदा करने वालों को भी उचित रूप से सावधान किया जाए। 15.2 डीमेट रूप में जारी जमा प्रमाणपत्रों के धारक अपने संबंधित निक्षेपागार प्रतिभागियों से संपर्क करेंगे और उन्हें जारीकर्ता के 'जमा प्रमाणपत्र मोचन खाता' में विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति पहचान संख्या (आईएसआईएन) द्वारा अभिहित प्रतिभूति के हस्तांतरण के लिए हस्तांतरण/सुपुर्दगी आदेश देना होगा। धारक को चाहिए कि वह जारीकर्ता से उस सुपुर्दगी अनुदेश की प्रति संलग्न कर पत्र/फैक्स द्वारा भी संपर्क करे जिसे उसने अपने निक्षेपागार प्रतिभागी को दिया है और त्वरित भुगतान के लिए भुगतान के अभीष्ट स्थान के बारे में भी सूचित करें। "जमा प्रमाणपत्र मोचन खाता" में जमा प्रमाणपत्र के डीमेट क्रेडिट प्राप्त होने पर जारीकर्ता परिपक्वता तारीख को धारक/हस्तांतरणकर्ता को बैंकर चेक/ उच्च मूल्य चेक के माध्यम से चुकौती की व्यवस्था करेगा। 16. प्रमाणपत्र की अनुलिपि जारी करना 16.1 प्रत्यक्ष प्रमाण पत्र के गुम हो जाने के पर, प्रमाणपत्र की अनुलिपि निम्नलिखित के अनुपालन के बाद जारी की जा सकती है: (क) कम से कम एक स्थानीय समाचार पत्र में एक नोटिस देना आवश्यक है (ख) समाचार पत्र में नोटिस देने की तारीख से उचित अवधि (उदा. 15 दिन) बीतने के बाद, और (ग) निवेशक द्वारा क्षतिपूर्ति बांड निष्पादित किया जाना जिससे कि जमा प्रमाणपत्र का जारीकर्ता संतुष्ट हो। 16.2 प्रमाणपत्र की अनुलिपि केवल प्रत्यक्ष रूप में ही जारी की जानी चाहिए। इसपर नए सिरे से स्टाम्प लगाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि खो गए मूल जमा प्रमाणपत्र के स्थान पर उसकी ही अनुलिपि जारी की जाती है। जमा प्रमाणपत्र की अनुलिपि में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख होना चाहिए कि जमा प्रमाणपत्र अनुलिपि है और उस पर मूल मूल्य तारीख, देय तारीख और जारी करने की तारीख (जैसा कि '' अनुलिपि _______ तारीख को जारी'') जैसी प्रविष्टियां अंकित होनी चाहिए। बैंक/वित्तीय संस्थाओं को चाहिए कि वे ''निर्गमित जमा प्रमाणपत्र'' शीर्ष के तहत निर्गम मूल्य का लेखांकन करें और इसे जमा राशियों के तहत दर्शाएं । बट्टे के लिए लेखा प्रविष्टियां "नकदी प्रमाणपत्र'' के मामले में की जानेवाली प्रविष्टियों की तरह की जाएंगी। बैंकों/वित्तीय संस्थाओं को जारी किए गए जमा प्रमाणपत्रों का एक रजिस्टर पूर्ण विवरण सहित रखना होगा। 18. मानकीकृत बाजार प्रक्रिया और प्रलेखीकरण भारतीय निर्धारित आय मुद्रा बाजार और डेरिवेटिव्ज़ संघ (फिमडा) भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से परिचालनगत लचीलापन और जमा प्रमाणपत्र के बाजार में सुचारू संचालन के लिए किसी मानकीकृत प्रक्रिया और प्रलेखीकरण को विहित कर सकता है जिसका अनुपालन अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रक्रिया के अनुरूप प्रतिभागियों को करना होगा। बैंक/वित्तीय संस्थाएं इस संबंध में फिमडा द्वारा 20 जून 2002 को जारी समय-समय पर यथासंशोधित विस्तृत दिशा-निर्देश (http://fimmda.org.) देखें। 19.1 बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम,1934 की धारा 42 के अधीन पाक्षिक विवरणी में जमा प्रमाणपत्रों की राशि शामिल करनी होगी और इस प्रकार शामिल राशि एक फुटनोट के रूप में अलग से भी उल्लिखित करनी होगी। 19.2 इसके अलावा, बैंकों / वित्तीय संस्थाओं को चाहिए कि वे संबंधित पखवाड़े के अंत से 10 दिन के भीतर जमा प्रमाणपत्र जारी करने का ब्योरा ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग सिस्टम (ओआरएफएस) के अंतर्गत वेब आधारित माड्यूल में रिपोर्ट करें। परक्राम्य जमा प्रमाणपत्र का फार्मेट परिशिष्ट – I बैंक/संस्था का नाम सं. रु.___________________ इसमें उल्लिखित तारीख से ___________ माह / दिन के पश्चात,__________________ <स्थान का नाम>__________________स्थित_______________<बैंक/संस्था का नाम> एतद्द्वारा _______________________, ____________________________ <जमाकर्ता का नाम> ___________ या उसके आदेश पर प्राप्त जमाराशि के लिए उक्त स्थान पर तथा इस लिखत को प्रस्तुत करने या अभ्यर्पित करने पर ___________ (शब्दों में) _________ रुपये का भुगतान करने का द्वारा वचन देता है। कृते ___________ <संस्था का नाम> ___________ छूट के दिनों को हिसाब में न लेकर परिपक्वता की तारीख ___________
परिभाषाएं इन दिशानिर्देशों में जब तक प्रसंगवश अन्यथा अपेक्षित न हो तब तक: (क) "बैंक" या "बैंकिंग कंपनी" का अर्थ है बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (1949 का 10) की धारा 5 के खंड (सी) में यथा परिभाषित बैंकिंग कंपनी या उसके खंड (डीए), खंड (एनसी) और खंड (एनडी) में क्रमश: यथा परिभाषित "तदनुरूपी नया बैंक", "भारतीय स्टेट बैंक" या "सहायक बैंक" जिसके अंतर्गत उक्त अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 के खंड (सीसीआई) में यथा परिभाषित "सहकारी बैंक" भी शामिल है । (ख) "अनुसूचित बैंक" का तात्पर्य है भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची में शामिल बैंक । (ग) "अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं (एफआई)" का तात्पर्य हैं वे वित्तीय संस्थाएं जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सावधि धन, सावधि जमा राशियों, जमा प्रमाणपत्रों, वाणिज्यिक पत्र और अंतरकंपनी जमाराशियों, जो भी लागू हो, द्वारा समग्र सीमा के अंदर संसाधन जुटाने के लिए विशिष्ट रूप से अनुमति दी गई है । (घ) "कापोरेट" या "कंपनी" का अर्थ है भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45 आई (एए) में यथा परिभाषित कंपनी, मगर इसमें ऐसी कंपनी शामिल नहीं है जिसे वर्तमान में किसी कानून के अंतर्गत बंद किया जा रहा है । (ङ) "गैर बैंकिंग कंपनी" का तात्पर्य है बैंकिंग कंपनी से इतर कंपनी । (च) "गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी" से अभिप्रेत है भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45 आई (एफ) में यथा परिभाषित कंपनी । (छ) इसमें प्रयुक्त लेकिन इसमें अपरिभाषित और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) में परिभाषित शब्दों और अभिव्यक्तियों का अर्थ वही होगा जो उक्त अधिनियम में दिया गया है । परिपत्रों की सूची
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