बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 और धारा 56 - सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 और धारा 56 - सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखना
भा.रि.बैं./2016-17/83 अक्तूबर 13, 2016 सभी वाणिज्यिक बैंक, प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी), महोदय, बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 और धारा 56 - कृपया बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 और धारा 56 के अंतर्गत सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखना विषय पर दिनांक 10 दिसंबर 2015 का परिपत्र बैंविवि.आरईटी.बीसी.64/12.01.001/2015-16 देखें । 2. यह निर्णय लिया गया है कि चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से प्राप्त एसएलआर प्रतिभूतियों को 3 अक्तूबर, 2016 से एलएलआर बनाए रखने के लिए पात्र आस्तियां माना जाएगा। 3. सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंक इन दिशानिर्देशों से मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे। इन सभी बैंकों पर लागू 13 अक्तूबर, 2016 की संबंधित अधिसूचना बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी14/12.02.001/2016-17 की प्रति संलग्न है। 4. कृपया प्राप्ति-सूचना दें । भवदीय, (एस.एस.बारिक) अनुलग्नक : यथोक्त बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी14/12.02.001/2016-17 अक्तूबर 13, 2016 अधिसूचना बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 51 और धारा 56 के साथ पठित धारा 24 की उप-धारा (2क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, तथा 10 दिसंबर 2015 की अधिसूचना बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी.63/12.01.001/2015-16 में आंशिक संशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतदद्वारा यह विनिर्दिष्ट करता है कि: (i) नीचे दी गई तिथियों से प्रत्येक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक, प्राथमिक सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक और केंद्रीय सहकारी बैंक भारत में आस्तियां (जिसे इसमें इसके बाद ‘एसएलआर आस्तियां’ कहा गया है) बनाए रखेगा, जिनका मूल्य किसी भी दिन कारोबार की समाप्ति पर दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार की कुल निवल मांग और मीयादी देयताओं के: (ए) 1 अक्तूबर 2016 से 20.75 प्रतिशत; और (बी) 7 जनवरी 2017 से 20.50 प्रतिशत से कम नहीं होगा, तथा जिसका मूल्यांकन समय समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट मूल्यन पद्धति के अनुसार किया जाएगा; और (ii) ऐसी एसएलआर आस्तियां निम्नवत बनाई रखी जाएंगी- अ. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों द्वारा निम्न रूप में- (क) नकद; अथवा (ख) बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 5(छ) में यथापरिभाषित स्वर्ण, जिसका मूल्यन वर्तमान बाजार मूल्य से अधिक न किया गया हो: अथवा (ग) निम्नलिखित लिखतों [जिसे इसमें इसके बाद सांविधिक चलनिधि अनुपात प्रतिभूतियाँ (“एसएलआर प्रतिभूतियाँ”) कहा गया है] में से किसी में भारमुक्त निवेश, नामतः :- (1) बाजार उधार कार्यक्रम और बाजार स्थिरीकरण योजना के अंतर्गत समय-समय पर जारी भारत सरकार की दिनांकित प्रतिभूतियाँ, या (2) भारत सरकार के खजाना बिल; या (3) बाजार उधार कार्यक्रम के अंतर्गत समय-समय पर जारी राज्य सरकारों के राज्य विकास ऋण (एसडीएल); (घ) भारत से बाहर निगमित बैंकिंग कंपनी द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 11 की उपधारा (2) के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक में बनाए रखे जाने के लिए अपेक्षित जमा और भार-मुक्त अनुमोदित प्रतिभूतियाँ; (ङ) भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 42 के अंतर्गत किसी अनुसूचित बैंक द्वारा बनाए रखने के लिए अपेक्षित जमाशेष के अतिरिक्त भारतीय रिजर्व बैंक में उसके द्वारा बनाकर रखा गया कोई अन्य जमाशेष; बशर्ते, उपर्युक्त मद संख्या (1) से (3) में बताए गए लिखत, जो प्रतिवर्ती रेपो के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से अर्जित किए गए हैं, को 2 अक्तूबर, 2016 तक एसएलआर आस्तियां बनाए रखने के प्रयोजन से एसएलआर प्रतिभूतियों के रूप में शामिल नहीं किए जाएंगे। दिनांक 3 अक्तूबर, 2016 से रिज़र्व बैंक से अर्जित ऐसी प्रतिभूतियों को एसएलआर बनाए रखने की पात्र आस्तियां माना जाएगा। बशर्ते यह भी कि एसएलआर आस्तियां बनाए रखने के प्रयोजन से निम्नलिखित प्रतिभूतियों को भार-युक्त नहीं माना जाएगा, नामतः- (क) किसी अन्य संस्था में किसी अग्रिम या किसी अन्य ऋण व्यवस्था के लिए रखी गई प्रतिभूतियों का वह अंश जिस पर ऋण नहीं लिया गया है; (ख) संबंधित बैंक के अपेक्षित एसएलआर पोर्टफोलियो में से निकाली गई प्रतिभूतियां, जो भारत में कुल एनडीटीएल के अनुमत प्रतिशत तक सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) से चलनिधि सहायता प्राप्त करने के लिए रिजर्व बैंक को सम्पार्श्विक के रूप में प्रस्तुत की गई हैं, और (ग) चलनिधि कवरेज अनुपात के लिए चलनिधि प्राप्त करने की सुविधा (एफएएलएल सीआर) के अंतर्गत चलनिधि सहायता प्राप्त करने के लिए सम्पार्श्विक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक को प्रस्तुत प्रतिभूतियां। आ. प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा (क) नकद; अथवा (ख) बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 5(छ) में यथापरिभाषित स्वर्ण, जिसका मूल्यन वर्तमान बाजार मूल्य से अधिक न किया गया हो: अथवा (ग) बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 (क) में यथापरिभाषित अनुमोदित प्रतिभूतियों में भारमुक्त निवेश: बशर्ते, जो लिखत प्रतिवर्ती रेपो के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से अर्जित किए गए हैं, वे 2 अक्तूबर, 2016 तक एसएलआर आस्तियां बनाए रखने के प्रयोजन से एसएलआर प्रतिभूतियों के रूप में शामिल नहीं किए जाएंगे। 3 अक्तूबर, 2016 से रिज़र्व बैंक से अर्जित ऐसी प्रतिभूतियों को एसएलआर बनाए रखने के लिए पात्र आस्तियां माना जाएगा। बशर्ते यह भी कि एसएलआर आस्तियां बनाए रखने के प्रयोजन से निम्नलिखित प्रतिभूतियों को भार-युक्त नहीं माना जाएगा, नामतः- (ए) किसी अन्य संस्था में किसी अग्रिम या किसी अन्य ऋण व्यवस्था के लिए रखी गई प्रतिभूतियों का वह अंश जिसके विरूद्ध ऋण नहीं लिया गया है; इ. राज्य सहकारी बैंक (एसटीसीबी) और केंद्रीय सहकारी बैंक (सीसीबी) द्वारा (क) नकद; अथवा (ख) बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 5(छ) में यथापरिभाषित स्वर्ण, जिसका मूल्यन वर्तमान बाजार मूल्य से अधिक न किया गया हो: अथवा (ग) बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 (क) में यथापरिभाषित अनुमोदित प्रतिभूतियों में भारमुक्त निवेश : बशर्ते, जो लिखत प्रतिवर्ती रेपो के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से अर्जित किए गए हैं, वे 2 अक्तूबर, 2016 तक एसएलआर आस्तियां बनाए रखने के प्रयोजन से एसएलआर प्रतिभूतियों के रूप में शामिल नहीं किए जाएंगे। 3 अक्तूबर, 2016 से रिज़र्व बैंक से अर्जित ऐसी प्रतिभूतियों को एसएलआर बनाए रखने के लिए पात्र आस्तियां माना जाएगा। किसी अग्रिम या किसी अन्य ऋण व्यवस्था के लिए किसी अन्य संस्था में रखी गई प्रतिभूतियों का वह अंश जिसके विरूद्ध ऋण नहीं लिया गया है; यहाँ उपर्युक्त बातों के होते हुए भी, i. किसी भी केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 56 के साथ पठित धारा 18 के अंतर्गत बनाए रखे जाने के लिए अपेक्षित जमाशेष के अतिरिक्त, संबंधित राज्य के राज्य सहकारी बैंक में बनाए रखे गए भारमुक्त जमाशेष ii. किसी भी केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा संबंधित राज्य के राज्य सहकारी बैंक में बनाए रखी गई भारमुक्त मीयादी जमाएं; और iii. किसी राज्य सहकारी बैंक द्वारा अथवा किसी केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा भारतीय स्टेट बैंक अथवा किसी सहयोगी बैंक अथवा तदनुरूप किसी नए बैंक अथवा आईडीबीआई बैंक लि. में बनाए रखी गयी भारमुक्त मीयादी जमाएं; उपर्युक्त को इस अधिसूचना के अंतर्गत विनिर्दिष्ट प्रतिशतता की गणना करने के प्रयोजन से 31 मार्च 2017 तक आस्तियों के रूप में भी माना जाएगा। तथापि, 25 जुलाई 2014 के स्तर से अधिक के वृद्धिशील एनडीटीएल पर एसएलआर को राज्य सहकारी बैंकों/ केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा अनुमोदित आस्तियों के रूप में बनाए रखा जाएगा। 25 जुलाई 2014 की स्थिति के अनुसार एनडीटीएल पर अनुमोदित आस्तियों के रूप में एसएलआर नीचे दिए गए रोडमैप के अनुसार बनाए रखा जाएगा।
(सुदर्शन सेन) स्पष्टीकरण- इस अधिसूचना के प्रयोजन से (a) निम्नलिखित के द्वारा रखे जाने वाले "नकद" में (i) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक और स्थानीय क्षेत्र बैंक हाथ में नकदी के अतिरिक्त भारत में अन्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में रखे चालू खातों के निवल शेष को शामिल करेंगे। (ii) प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक निम्नलिखित को शामिल करेंगे :
(iii) राज्य सहकारी बैंक अथवा केंद्रीय सहकारी बैंक निम्नलिखित को शामिल करेंगे :
(b) "चलनिधि कवरेज अनुपात के लिए चलनिधि प्राप्त करने की सुविधा (एफएएलएलसीआर)" का आशय ऐसी सुविधा से है, जिसके द्वारा बैंकों को अपने चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) की गणना के प्रयोजन से उनके द्वारा धारित सरकारी प्रतिभूतियों को स्तर 1 उच्च गुणवत्ता वाली चलनिधि आस्तियों (एचक्यूएलए) के रूप में एसएलआर की अनिवार्य अपेक्षाओं की के भीतर एनडीटीएल के एक निश्चित प्रतिशत तक मान्यता देने की अनुमति दी जाएगी। (c) "चलनिधि समायोजन सुविधा" का आशय होगा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संचालित रेपो नीलामियां (चलनिधि अंत:क्षेपण के लिए) तथा रिवर्स रेपो नीलामियां (चलनिधि अवशोषण के लिए)। (d) "स्थानीय क्षेत्र बैंक" का आशय होगा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 22 के अंतर्गत इस प्रकार लाइसेंसीकृत बैंकिंग कंपनी। (e) "सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ)" का आशय उस सुविधा से होगा, जिसके अंतर्गत पात्र संस्थाएं अपनी एसएलआर प्रतिभूतियों के विरुद्ध दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को उनके संबंधित एनडीटीएल के एक निश्चित प्रतिशत तक भारतीय रिज़र्व बैंक से चलनिधि सहायता प्राप्त कर सकती हैं। (f) "बाजार उधार कार्यक्रम" का आशय ऐसे घरेलू रुपया ऋण से होगा, जिसे भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जनता से जुटाया गया हो और जिसका प्रबंधन नीलामी अथवा इस संबंध में जारी अधिसूचना में यथा-विनिर्दिष्ट अन्य तरीके से सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006, लोक ऋण अधिनियम, 1944 तथा उन अधिनियमों के अंतर्गत बनाए गए विनियमों के प्रावधानों द्वारा अभिशासित बाजार योग्य प्रतिभूतियां जारी करके भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया जाएगा। (g) "अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक" का आशय होगा भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की द्वितीय अनुसूची में शामिल बैंकिंग कंपनी, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक, अनुषंगी बैंक, तदनुरूप नए बैंक तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शामिल हैं। (h) "राज्य सहकारी बैंक" का आशय किसी राज्य की प्रमुख सहकारी समिति से होगा, जिसका प्रमुख उद्देश्य राज्य की अन्य सहकारी समितियों को वित्त प्रदान करना है। बशर्त कि राज्य में ऐसी प्रमुख समिति के अतिरिक्त, या जहां राज्य में ऐसी कोई प्रमुख समिति न हो, राज्य सरकार उस राज्य में कारोबार करने वाली एक या एकाधिक सहकारी समितियों को इस परिभाषा के आशय के अंतर्गत राज्य सहकारी बैंक भी होने अथवा राज्य सहकारी बैंक होने की घोषणा कर सकती है। (i) "केंद्रीय सहकारी बैंक" का आशय होगा किसी राज्य के एक जिले की प्रमुख सहकारी समिति, जिसका प्रमुख उद्देश्य उस जिले की अन्य सहकारी समितियों को वित्त प्रदान करना है। बशर्त कि जिले में ऐसी प्रमुख समिति के अतिरिक्त, या जहां जिले में ऐसी कोई प्रमुख समिति न हो, राज्य सरकार उस जिले में कारोबार करने वाली एक या एकाधिक सहकारी समितियों को इस परिभाषा के आशय के अंतर्गत केंद्रीय सहकारी बैंक भी होने अथवा केंद्रीय सहकारी बैंक होने की घोषणा कर सकती है। (j) "प्राथमिक सहकारी बैंक" का आशय होगा प्राथमिक कृषि क्रेडिट सोसायटी से इतर सहकारी समिति, -
परंतु, यह उप-खंड किसी ऐसे सहकारी बैंक के सदस्य के रूप में प्रवेश पर ऐसे कारण से लागू नहीं होगा कि सहकारी बैंक राज्य सरकार द्वारा ऐसे प्रयोजन से उपलब्ध कराई गई निधियों में से ऐसी सहकारी समिति की शेयर पूंजी में अभिदान करता है। |