केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली तक गैर-बैंकों की पहुंच - आरबीआई - Reserve Bank of India
केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली तक गैर-बैंकों की पहुंच
आरबीआई/2021-22/73 28 जुलाई 2021 अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया/ महोदय, केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली तक गैर-बैंकों की पहुंच आपका ध्यान दिनांक 07 अप्रैल 2021 को जारी विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य के पैरा 9 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसमें यह घोषणा की गई थी कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संचालित केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली (सीपीएस) अर्थात तत्काल सकल निपटान (आरटीजीएस) और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) प्रणाली में रिज़र्व बैंक गैर-बैंकों की भागीदारी को चरणबद्ध तरीके से प्रोत्साहित करेगा । साथ ही, भुगतान प्रणाली में अभिगम मानदंड पर दिनांक 17 जनवरी 2017 के मास्टर निदेश का भी संदर्भ ग्रहण करें, जिसमें रिज़र्व बैंक ने सीपीएस तक पहुंच के लिए मानदंड निर्धारित किए थे । 2. सीपीएस में गैर-बैंकों की सीधी पहुंच भुगतान पारितंत्र में समग्र जोखिम को कम करता है। साथ ही, यह गैर-बैंकों को विभिन्न सुविधा, जैसे भुगतान की लागत में कमी, बैंकों पर निर्भरता को कम करना, भुगतान पूरा करने में लगने वाले समय को कम करना, भुगतान की सफलता संबंधी अनिश्चितता को समाप्त करना क्योंकि निपटान केंद्रीय बैंक के पास रखी गई राशि में किया जाता है, आदि, भी प्रदान करता है । निधि अंतरण के निष्पादन में विफलता या विलंब संबंधी जोखिम से भी बचा जा सकता है, जब गैर-बैंकिंग संस्थाओं द्वारा लेनदेन के संबंध में सीधी शुरुआत की जाए और उनका संसाधन किया जाए । 3. मौजूदा व्यवस्थाओं की समीक्षा और भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (पीएसपी) के साथ विस्तृत चर्चा के बाद, यह सूचित किया जाता है कि प्रथम चरण में, प्राधिकृत गैर-बैंक पीएसपी, अर्थात पीपीआई जारीकर्ता, कार्ड नेटवर्क और श्वेत लेबल एटीएम परिचालक सीपीएस में सीधे सदस्यों के रूप में अनुबंध में प्रस्तुत दृष्टिकोण के अनुसार सहभागिता करने हेतु पात्र होंगे । 4. भुगतान प्रणाली में अभिगम मानदंड पर दिनांक 17 जनवरी 2017 के मास्टर निदेश को भी तदनुसार संशोधित किया जा रहा है । परिचालन और उपयोगकर्ता की सुविधा के लिए, रिज़र्व बैंक ने अपनी वेबसाइट पर इस विषय पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का एक सेट उपलब्ध कराया है । 5. ये अनुदेश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के तहत जारी किए गए हैं और इस परिपत्र की तारीख से प्रभावी हैं । भवदीय, (पी वासुदेवन) 28 जुलाई 2021 के परिपत्र संदर्भ डीपीएसएस.सीओ.एलवीपीडी सं.एस290/04.04.009/2021-22 का अनुबंध केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली तक गैर-बैंकों की पहुंच 1.1 भारत में केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली (सीपीएस), तत्काल सकल निपटान (आरटीजीएस) और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) प्रणाली हैं, जिनका स्वामित्व और परिचालन रिज़र्व बैंक के पास है। डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ने को प्रोत्साहित करने के अपने अभियान के भाग के रूप में, रिज़र्व बैंक सामान्य रूप से भुगतान पारितंत्र और विशेष रूप से सीपीएस में सुधार के लिए लगातार उपाय कर रहा है। एनईएफटी और आरटीजीएस प्रणालियों को क्रमशः दिसंबर 2019 और दिसंबर 2020 से 24x7x365 के रूप में उपलब्ध कराया गया था। 1.2 डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने का एक तरीका अधिकाधिक संस्थाओं तक भुगतान प्रणाली की पहुंच का विस्तार करना है। यह विश्व स्तर पर अन्य केंद्रीय बैंकों का ध्यान भी आकर्षित कर रहा है। भुगतान और निपटान प्रणाली 2019-2021 पर रिज़र्व बैंक के विजन दस्तावेज़ में बैंकों और गैर-बैंकों के बीच पहुंच संबंधी निष्पक्षता को सक्षम करने और गैर-बैंकों की बढ़ती भागीदारी के साथ निपटान जोखिम प्रबंधन के लिए एक ढांचा विकसित करने के लिए सीपीएस की सदस्यता की समीक्षा को समाहित किया गया है। उक्त दस्तावेज़ सभी अधिकृत कार्ड नेटवर्क के लिए केवल एक एकल राष्ट्रीय निपटान खाते की आवश्यकता को भी दर्शाता है। 1.3 बैंकों के अलावा, अब तक कुछ चुनिंदा गैर-बैंकों को ही सीपीएस में भाग लेने की अनुमति दी गई है। जिन गैर-बैंकों को सीपीएस की सदस्यता/पहुंच संबंधी अनुमति दी गई है, वे स्टैंडअलोन प्राथमिक डीलर, स्टॉक एक्सचेंजों के समाशोधन निगम, केंद्रीय प्रतिपक्षकार, खुदरा भुगतान प्रणाली संगठन, चुनिंदा वित्तीय संस्थान (नाबार्ड, एक्जिम बैंक) और डीआईसीजीसी हैं। 1.4 गैर-बैंकों को उनके भुगतान और निपटान की जरूरतों के लिए बैंक सेवाएं प्रदान करते रहे हैं। तथापि, यदि बैंक, जो गैर-बैंकों को भुगतान सेवाएं प्रदान करता है, प्रभावित होता है, तो यह गैर-बैंकों के व्यापार में भी व्यवधान उत्पन्न कर सकता है। व्यवधान, भले ही वह अस्थायी हो, प्रणाली में अस्थिरता उत्पन्न करने और उसे फैलाने की क्षमता रखता है। परिणामस्वरूप, गैर-बैंकों के ग्राहक, जो उनके उत्पादों और सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं, भी प्रभावित हो सकते हैं। 2 गैर-बैंकों के लिए सीपीएस तक सीधी पहुंच 2.1 सीपीएस तक सीधी पहुंच का अर्थ 2.1.1 एक अलग भारतीय वित्तीय प्रणाली कूट (आईएफएससी) का आबंटन। 2.1.2 रिज़र्व बैंक के कोर बैंकिंग प्रणाली (ई-कुबेर) में चालू खाता खोलना । 2.1.3 रिज़र्व बैंक के पास एक निपटान खाता बनाए रखना । 2.1.4 इंडियन फाइनेंशियल नेटवर्क (इनफिनेट) की सदस्यता और सीपीएस के साथ संचार करने के लिए संरचनागत वित्तीय संदेश-प्रेषण समाधान (एसएफएमएस) का उपयोग। 2.2.1 दक्षता: गैर-बैंकों के लिए, बैंकों के माध्यम से नेमी भुगतान करने की लागत को कम किया जा सकता है। यदि लेनदेन सीधे गैर-बैंकों द्वारा आरंभ किए जाते हैं, तो निधि अंतरण के निष्पादन में विफलता या विलंब के जोखिम को समाप्त किया जा सकता है। 2.2.2 प्रतिस्पर्धा और नवाचार: गैर-बैंक अधिक मात्रा में और सक्रिय रूप से वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हैं जो अब तक केवल बैंकों का अधिकार क्षेत्र में था। उन्हें अभिनव उत्पादों और समाधानों के साथ आने में भी मुस्तैद देखा गया है। सीपीएस तक सीधी पहुंच उन्हें उपभोक्ताओं को अनुकूलित विकल्प प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में सक्षम बना सकती है। वे अपने नवाचारों और समाधानों को समर्थित करने के लिए डेटा को आत्मसात एवं विश्लेषित करने हेतु अपनी क्षमताओं का उपयोग कर सकते हैं। चूंकि गैर-बैंक उसी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी हैं जिसमें बैंक परिचालन करते हैं, अतः सीधी पहुंच गैर-बैंकों को समान अवसर प्रदान कर सकती है, जिससे मध्यवर्ती संस्था के उपयोग की आवश्यकता कम हो जाएगी। 2.2.3 जोखिम प्रबंधन और स्थिरता: चूंकि निपटान केंद्रीय बैंक के पास राखी गई राशि में किया जाता है, अतः यह भुगतान पूरा न होने और निपटान जोखिम की अनिश्चितता को बहुत हद तक कम कर देता है। पहुंच और भागीदारी में विस्तार विविधता की सुविधा प्रदान करता है तथा पारिस्थितिकी तंत्र को आघात-सहनीय बनाता है। 2.2.4 डेटा सुरक्षा: सीपीएस तक सीधी पहुंच गैर-बैंकों को ग्राहकों से संबंधित जानकारी और निधि प्रवाह की सुरक्षा करने में सक्षम बना सकती है, जो भुगतान सेवाओं को प्रदान करने के लिए बैंकों का उपयोग करते समय संभव नहीं हो सकता है। 3.1.1 गैर-बैंकों में, भुगतान प्रणाली प्रदाता (पीएसपी) तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) जैसी संस्थाएं शामिल हैं जिन्हें रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है और साथ ही इसमें ऐसी संस्थाएं भी शामिल हैं जो पीएफआरडीए, आईआरडीएआई, सेबी, आदि जैसे अन्य वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों के अधीन हैं। 3.1.2 आरंभ में सीपीएस में गैर-बैंकों की पहुंच चरणबद्ध तरीके से सक्षम की जाएगी। पहले चरण में, केवल निम्नलिखित प्राधिकृत गैर-बैंक पीएसपी को पहुंच प्रदान की जाएगी –
3.2.1 सीपीएस तक गैर-बैंक की पहुंच के लिए पात्रता रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार होगी । 3.2.2 सीपीएस तक पहुंच के लिए गैर-बैंक पीएसपी को निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना होगा:
3.2.3 भारत के बाहर निगमित संस्थाएं अपने स्थानीय कार्यालयों को सीपीएस के संबंध में सभी परिचालन करने के लिए अधिकार प्रदान करेंगी, परंतु निपटान दायित्वों सहित सभी परिचलनों की ज़िम्मेदारी और किसी आकस्मिकता के प्रबंधन की जिम्मेदारी विदेशी मूल के उस संस्था के पास रहेगी, जिसने पीएसपी के रूप में प्राधिकार प्राप्त किया है। 3.2.4. यदि पीएसपी निरंतर आधार पर अभिगम संबंधी मानदंड का अनुपालन नहीं करता है, तो रिज़र्व बैंक के पास पीएसपी की सदस्यता को निलंबित या समाप्त करने का अधिकार होगा। 3.2.5 गैर-बैंक पीएसपी, रिज़र्व बैंक से अंतर्दिवसीय चलनिधि (आईडीएल) की सुविधा प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं होंगे। भुगतान/निपटान संबंधी दायित्वों को पूरा करने में किसी भी कमी/चूक के लिए, ऐसी संस्थाएं अपने बैंकरों से ऋण सुविधा के लिए संपर्क करेंगी । वे ग्रिडलॉक से बचने और व्यापार की निरंतरता को सुनिश्चित करने हेतु अपने बैंकरों के पास उचित चलनिधि सहायता की व्यवस्था को सुनिश्चित करेंगे। 3.2.6 गैर-बैंक संस्थाओं को उप-सदस्यों को प्रायोजित करने की अनुमति नहीं होगी। 3.2.7 गैर-बैंक संस्थाएं रिज़र्व बैंक के कोर बैंकिंग समाधान (ई-कुबेर) में चालू खाते के रख-रखाव, इनफिनेट की सदस्यता, एसएफएमएस के उपयोग, आदि के लिए निर्दिष्ट नियमों एवं शर्तों का पालन करेंगी। 3.3 सदस्यता के प्रकार और लेनदेन की प्रकृति 3.3.1 निष्पादित किए जाने वाले लेनदेन की प्रकृति आरटीजीएस के लिए अनुमोदित सदस्यता के प्रकार पर निर्भर करेगी। आवश्यकता के आधार पर, पीएसपी की कुछ श्रेणियों को एनईएफटी में भी भाग लेने की अनुमति दी जाएगी। 3.3.2 गैर-बैंक पीएसपी के लिए सीपीएस तक पहुंच संबंधी विवरण निम्नानुसार होगा:
3.3.2 एक बार सदस्यों के रूप में अपनाए जाने के बाद, गैर-बैंक पीएसपी द्वारा विभिन्न प्रकार के लेनदेनों को निष्पादित करने के लिए आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के लेनदेन और उसके उपयोग का सारांश निम्नानुसार प्रस्तुत है: i. आरटीजीएस / एनईएफटी ग्राहक भुगतान, जिनके द्वारा शुरू की गई : ए) व्यापारियों/भुगतान एग्रीगेटरों को पीपीआई जारीकर्ता द्वारा; बी) एटीएम को संभालने वाली एजेंसियों को डब्ल्यूएलए ऑपरेटरों द्वारा; तथा सी) पूर्ण-केवाईसी पीपीआई ग्राहकों द्वारा अपने बैंक खाते से पीपीआई लोड करने के लिए। ii. आरटीजीएस अंतर-बैंक अंतरण, जिनके द्वारा शुरू की गई: ए) गैर-बैंक पीएसपी को निवल डेबिट या क्रेडिट की स्थिति के आधार पर सदस्य बैंक/कों के साथ अपने निलंब खाते में पर्याप्त शेष राशि बनाए रखना; तथा बी) अन्य सदस्य बैंकों/गैर-बैंकों को डब्ल्यूएलए परिचालकों और पीपीआई जारीकर्ताओं द्वारा। iii. आरटीजीएस में जिनके द्वारा पोस्ट किया गया बहुपक्षीय निवल निपटान बैच (एमएनएसबी): ए) निपटान, विवाद प्रबंधन, वार्षिक शुल्क संग्रह, आदि के लिए कार्ड नेटवर्क; बी) एनएफएस निपटानों में डब्ल्यूएलए परिचालकों को प्रत्यक्ष ऋण; तथा सी) एनपीसीआई गैर-बैंक पीएसपी के लेनदेन के निपटान की अनुमति उनके प्रायोजक बैंक/कों को शामिल किए बिना देता है। iv. पर्याप्त राशि को बनाए रखने के लिए गैर-बैंक पीएसपी के चालू और आरटीजीएस निपटान खातों के बीच स्वयं के खातों में अंतरण (ओएटी)। 3.3.3 कार्ड नेटवर्क को उनकी निपटान गारंटी और संबंधित गतिविधियों के लिए आरबीआई चालू खाते का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 4.1 गैर-बैंकों द्वारा सीपीएस तक सीधी पहुंच के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया 4.1.1 सदस्यता के लिए आवेदन करने की विस्तृत प्रक्रिया दिनांक 17 जनवरी 2017 को भुगतान प्रणाली में अभिगम मानदंड पर जारी मास्टर निदेश डीपीएसएस.सीओ.ओडी.सं.1846/04.04.009/2016-17 के माध्यम से दी गई है। 4.1.2 सीपीएस की सदस्यता के लिए सभी आवेदन मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग (डीपीएसएस), भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई), केंद्रीय कार्यालय (सीओ), 14वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, फोर्ट, मुंबई - 400 001, को प्रस्तुत किए जाएंगे। 4.1.3 आवेदन को अनुबंधों के साथ भुगतान प्रणाली हेतु पहुंच मानदंड पर जारी मास्टर निदेश के परिशिष्ट - 1 "केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली की सदस्यता के लिए कवरिंग पत्र" में निर्धारित प्रारूप में प्रस्तुत किया जाएगा। 4.1.4 रिज़र्व बैंक आवेदन प्राप्त होने के 60 दिनों के भीतर, यदि सभी आवश्यक दस्तावेजों को पूरा किया गया है, आवेदनों की जांच की प्रक्रिया को पूरा करने का प्रयास करेगा। 4.1.5 आवेदन के अनुमोदन पर, डीपीएसएस, सीओ, गैर-बैंक संस्था को छह महीने की वैधता के साथ अनुमोदन पत्र जारी करेगा, जिसके भीतर संस्था को सीपीएस में भागीदारी सुनिश्चित करनी पड़ेगी। डीपीएसएस, सीओ, आवेदन को आरटीजीएस और एनईएफटी सदस्यता की आगे की प्रक्रिया के लिए आरबीआई, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय (एमआरओ) को अग्रेषित करेगा। 4.1.6 डीपीएसएस, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, गैर-बैंक संस्था के मार्गदर्शन के लिए संपर्क बिंदु के रूप में कार्य करेगा। 4.1.7 गैर-बैंक संस्थाएं भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी और संबद्ध सेवाएं (आईएफटीएएस) और रिज़र्व बेंक के परामर्श से अपनी सुविधा और आवश्यकता के अनुसार आरटीजीएस प्रणाली, अर्थात एसएफएमएस सदस्य इंटरफ़ेस, वेब सेवा इंटरफ़ेस या इनफिनेट के माध्यम से भुगतान प्रवर्तक मॉड्यूल, तक पहुंच हेतु प्रकार का चयन करेंगी। 4.1.8 गैर-बैंक संस्थाएं, आरटीजीएस, एनईएफटी में सक्रिय होने, इनफिनेट सदस्यता प्राप्त करने, एसएफएमएस सदस्यता प्राप्त करने, चालू खाता खोलने (ई-कुबेर में), आरटीजीएस में निपटान खाता खोलने, इनफिनेट कनेक्टिविटी तथा एसएफएमएस एकीकरण, आदि हेतु आईएफटीएएस से आवश्यक तकनीकी सहायता प्राप्त करने हेतु आरबीआई, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क करेंगी। 4.1.9 आरबीआई, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, आरटीजीएस में कनेक्टिविटी स्थापित करने, उपयोगकर्ता स्वीकृति परीक्षण, आरटीजीएस, एनईएफटी, आदि में सक्रिय होने के लिए साइन-ऑफ की सुविधा प्रदान करने हेतु संस्था को आरबीआई, प्राथमिक डेटा केंद्र (पीडीसी), सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीआईटी), सीओ, को अग्रेषित करेंगे। 4.2.1 आरटीजीएस निपटान खाते को स्वीकृत राशि के लिए दिन की शुरुआत में चालू खाते से वित्त पोषित किया जाएगा तथा दिन के अंत में आरटीजीएस निपटान खाते में शेष, यदि कोई हो, तो उसे वापस चालू खाते में अंतरित कर दिया जाएगा। 4.2.2 गैर-बैंक संस्थाएं परिचालन समय के दौरान अपने चालू खाते से आरटीजीएस निपटान खाते में और आरटीजीएस निपटान खाते से चालू खाते में धन अंतरित कर सकेंगे। गैर-बैंक संस्थाएं पूरे दिन अपने दोनों खातों की लगातार निगरानी करेंगे। उनके खातों में अपर्याप्त शेष राशि के कारण निपटान में किसी भी प्रकार के व्यवधान को गंभीरता से लिया जाएगा और कड़े विनियामक/पर्यवेक्षी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें दंड लगाना, सीपीएस सदस्यता का निलंबन/समाप्ति आदि शामिल है। 4.2.3 गैर-बैंक पीपीआई जारीकर्ता, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक/बैंकों के पास स्थित अपने निलंब खाते/खातों से आरबीआई के चालू खाते में तथा आरबीआई के चालू खाते से परिचालन उद्देश्यों के लिए निलंब खाते/खातों में निधियों को अंतरित कर सकते हैं। रिज़र्व बैंक के पास स्थित चालू खाते में राखी गई शेष राशि को निलंब खातों में दैनिक शेष के रख-रखाव के प्रयोजन हेतु नहीं गिना जाएगा। 4.2.4 गैर-बैंक संस्थाओं की सदस्यता के दौरान उत्पन्न होने वाले किसी भी मुद्दे के लिए, रिज़र्व बैंक का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होगा। 4.2.5 रिज़र्व बैंक गैर-बैंक संस्थाओं के एक्सेस प्रकार और सदस्यता मानदंड की समीक्षा करेगा ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसे और अधिक सुव्यवस्थित किया जा सके। |