मानक अग्रिमों के लिए निर्धारित दरों से उच्चतर दरों पर अतिरिक्त प्रावधान - आरबीआई - Reserve Bank of India
मानक अग्रिमों के लिए निर्धारित दरों से उच्चतर दरों पर अतिरिक्त प्रावधान
भा.रि.बैं./2016-17/282 18 अप्रैल, 2017 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदया/महोदय, मानक अग्रिमों के लिए निर्धारित दरों से उच्चतर दरों पर अतिरिक्त प्रावधान कृपया अग्रिमों के संबंध में आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान करने से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड पर दिनांक 1 जुलाई, 2015 के मास्टर परिपत्र का पैरा 5 देखें। 2. यह सूचित किया जाता है कि उपर्युक्त परिपत्र में निर्धारित प्रावधानीकरण की दरें विनियामक न्यूनतम दरें हैं और बैंकों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे अर्थव्यवस्था के दबावग्रस्त क्षेत्रों को दिए जाने वाले अग्रिमों के संबंध में उच्चतर दर पर प्रावधान करें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बैंकों ने ऋणों और अग्रिमों के लिए हर समय पर्याप्त प्रावधान किया है, निम्नानुसार सूचित किया जाता है: i) बैंक मानक आस्तियों के लिए विनियामक न्यूनतम दर से अधिक दर पर प्रावधान करने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति बनाएंगे, जो विभिन्न क्षेत्रों में जोखिम और दबाव के मूल्यांकन पर आधारित होगा। ii) नीति में यह अपेक्षित होगा कि अर्थव्यवस्था के उन विभिन्न क्षेत्रों के निष्पादन की समीक्षा कम-से-कम तिमाही आधार पर की जाए, जिनके प्रति बैंक का एक्सपोजर हो, ताकि वर्तमान और उभरते जोखिम और उसके दबाव का मूल्यांकन किया जा सके। समीक्षा में ऋण-ईक्विटी अनुपात, ब्याज व्याप्ति अनुपात, लाभ मार्जिन, रेटिंग बढ़ने से रेटिंग कम होने का अनुपात, क्षेत्रवार अनर्जक आस्तियां/दबावग्रस्त आस्तियां, औद्योगिक निष्पादन और दृष्टिकोण, क्षेत्र के समक्ष मौजूद विधिक/ विनियामक मुद्दे, इत्यादि जैसे मात्रात्मक और गुणात्मक पहलुओं को शामिल किया जाए। समीक्षा में क्षेत्र विशिष्ट मानदंडों को भी शामिल किया जाए। iii) अधिक आवश्यक बात यह है कि चूंकि टेलिकॉम क्षेत्र दबावग्रस्त वित्तीय स्थितियां रिपोर्ट कर रहा है, और वर्तमान में इस क्षेत्र के लिए ब्याज व्याप्ति अनुपात एक से भी कम है, बैंकों के निदेशक बोर्ड 30 जून 2017 तक टेलिकॉम क्षेत्र की समीक्षा करें, और इस क्षेत्र की मानक आस्तियों के लिए उच्चतर दर पर प्रावधान करने पर विचार करें, ताकि अगर किसी भावी तिथि को इस क्षेत्र के प्रति एक्सपोजर की गुणवत्ता पर दबाव परिलक्षित हो, तुलन-पत्र में आवश्यक लचीलापन निर्मित हो सके। इसके अतिरिक्त, बैंकों को इस क्षेत्र के प्रति एक्सपोजर की अधिक सावधानीपूर्वक निगरानी भी करनी चाहिए। भवदीय, (एस.एस. बारिक) |