चीनी उद्योग को अग्रिम - सुरक्षित भंडार रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
चीनी उद्योग को अग्रिम - सुरक्षित भंडार रखना
आरबीआइ/2007-2008/127 31 अगस्त 2007 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय चीनी उद्योग को अग्रिम - सुरक्षित भंडार रखना कृपया उपर्युक्त विषय पर 11 जुलाई का हमारा परिपत्र आरबीआइ/2007-2008/91 बैंपविवि. बीपी. बीसी. सं. 20/08.07.06/2007-08 देखें।
2. भारत सरकार, उपभोक्ता मामले , खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण विभाग ने 1 अगस्त 2007 के अपने आदेश (प्रतिलिपि संलग्न) द्वारा यह निर्णय लिया है कि 1 अगस्त 2007 से 31 जुलाई 2008 तक एक वर्ष की अवधि के लिए 30 लाख टन चीनी के सुरक्षित भंडार का निर्माण किया जाए। यह 20 अप्रैल 2007 की उनकी अधिसूचना द्वारा पूर्व में निर्मित 20 लाख टन के सुरक्षित भंडार के अतिरिक्त है। 30 लाख टन के सुरक्षित भंडार को तैयार करने के लिए चीनी विकास निधि से 567 करोड़ रुपये का खर्च होगा। इसके अलावा, अनुसूचित बैंकों द्वारा चीनी मिलों के सुरक्षित भंडार की मात्रा पर अतिरिक्त ऋण के रूप में संबंधित चीनी मिलों को 630 करोड़ रुपये प्रदान किया जाना है। वाणिज्य बैंकों द्वारा दी जाने वाली 630 करोड़ रुपये की राशि सहित 1197 करोड़ रुपये की संपूर्ण राशि का उपयोग चीनी मिलों द्वारा गन्ने की खेती करने वाले किसानों को गन्ने की कीमत की अदायगी करने के लिए ही किया जाएगा। 3. प्रबंध निदेशक, नैशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरिज लि., नई दिल्ली; महानिदेशक, इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन, नई दिल्ली तथा चीनी मिलों के सभी राज्य स्तरीय चीनी फेडरेशनों / एसोसिएशनों को सरकार ने सूचित किया है कि वे अपने सदस्य चीनी कारखानों को 1 अगस्त 2007 के आदेश द्वारा संप्रेषित सरकार के निर्णय की जानकारी दें। 4. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे भारत सरकार द्वारा जारी किए गए अनुदेशों के अनुसार सुरक्षित भंडार के निर्माण का वित्तपोषण करें। इस संबंध में बैंक 1 जुलाई 2006 के बैंपविवि. परिपत्र सं. डीआइआर. बीसी. 8/13.03.00/2006-07 के पैरा 2.4.4 में निहित अनुदेश देखें जिसमें यह सूचित किया गया था कि चीनी के सुरक्षित भंडारों के संबंध में कोई भी मार्जिन नहीं रखी जानी है। वे इस संबंध में 11 जुलाई 2007 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. सं. 20/ 08.07.06/2007-08 द्वारा जारी किए गए परिचालन संबंधी अनुदेश भी देखें और उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करते रहें। भवदीय (प्रशांत सरन) |