निदेशों में संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
निदेशों में संशोधन
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 13 सितंबर 14, 2000 प्रति प्रिय महोदय, निदेशों में संशोधन यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित पैराओं में बताये गये अनुसार प्राधिकृत व्यापारियों के लिए निदेशों में संशोधन किये जाये । 1. राज्य ऋणों की चुकौती पर परेषण आधार पर परेषण प्राधिकृत व्यापारीयों का ध्यान राज्य ऋणों की चुकौती पर परेषण आधार पर रुस महासंघ को वस्तुओं के निर्यात के संबंध में क्रमश: दिनांक 31 मई, 24 जुलाई 1999 और 10 अप्रैल 2000 के ए.डी. (जी पी सिरीज) परिपत्र संख्याएं 5, 9 और 3 की ओर आकृष्ट किया जाता है । अब यह निर्णय लिया गया है कि राज्य ऋणों की चुकौती पर रुस महासंघ को परेषण आधार पर इन्स्टंट काफा निर्यात करने की अनुमति दी जाये । इस वस्तु के लिए इस सुविधा का लाभ उठाने की क्रियाविधि वही होगी जो उक्त संदर्भित 31 मई 1999 के परिपत्र सं. 5 में स्पष्ट किये गये अनुसार है । 2. भारत के बाहर संयुक्त उद्यमों /संपूर्ण स्वामित्ववाली दिनांक 22 जून 2000 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.3 के आंशिक आशोधन में प्राधिकृत व्यापारियों को सूचित किया गया है कि अब से फार्म ओडीए और ओडीआर की प्रतियाँ दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 19/आरबी-2000 के अधिनियम 6, 9 तथा 11 के अंतर्गत निवेश कर के तुरंत बाद मुख्य महा प्रबंधक, विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग, (बाह्य निवेश प्रभाग), तीसरी मंजिल, अमर भवन, मुंबई 400 001 को भेजने चाहिए । दिनांक 22 जून 2000 परिपत्र ए.पी. (डीआइआर सिरीज) सं. 3 के साथ संलग्न अनुबंध में अंतर्विष्ट फार्म ओडीआर के प्रस्तुतीकरण के संबंध में अनुदेशों को तद्नुसार आशोधित किये जायेंगे । उपरोक्त परिवर्तन के संबंधित फार्म ओडीए को भरने के लिए अनुदेशों में आवश्यक संशोधनों को पृथक रुप से जारी किये जा रहे हैं । 3. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराएं । 4. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम , 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गये है और इन निदेशों का किसी भी तरह से उल्लंघन किया जाना अथवा अनुपालन न किया जाना अधिनियम के अधीन निर्धारित जुर्माने से दंडनीय है । भवदीय (बी. महेश्वरन) |