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फेमा विनियमों में संशोधन - अनिवासी भारतीयों /भारतीय मूल के व्यक्तिों द्वारा परिसंपत्ति का विप्रेषण

 

आरबीआइ/2005/465
ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.43

मई 13, 2005

सेवा में
विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिवफ्त सभी बैंक

मबेदया/मबेदय

फेमा विनियमों में संशोधन - अनिवासी भारतीयों /भारतीय मूल के व्यक्तिों द्वारा परिसंपत्ति का विप्रेषण

विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिवफ्त बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.13/2000-आरबी के विनियम 4(3) तथा जनवरी 13, 2003 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.67 की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्ति को, कतिपय दस्तावेजों की प्रस्तुति पर, अनिवासी सामान्य खाते में शेष/ परिसंपत्तियों/ विरासत/वसीयत के तौर पर अधिगफ्हीत भारत में परिसंपत्तियों की बिक्री आय में से एक कैलण्डर वर्ष के दौरान अधिकतम एक मिलियन अमरीकी डॉलर राशि के विप्रेषण की अनुमति है।

2. पुनर्विचार करने के बाद, विरासत/वसीयत के अंतर्गत उपलब्ध इस सुविधा को "समझौते" के अंतर्गत व्यवस्था के लिए प्रदान करने का निर्णय लिया गया है, जिसके द्वारा मालिक/माता-पिता, जो संपत्ति में अपना आजीवन हक रखते हैं, अपनी संपत्ति को अपने जीवनकाल में ही वसीयतदार को हस्तांतरित कर देते हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि यह समझौता भी माता-पिता से विरासत प्राप्त करने का एक तरीका है, अंतर केवल इतना है कि समझौते के अंतर्गत संपत्ति मालिक/ माता-पिता की मफ्त्यु पर बिना किसी कानूनी कार्यविधि/ बाधाओं के हिताधिकारी को प्राप्त होता है तथा इससे वसीयत प्रमाणपत्र इत्यादि के लिए आवेदन करने से होनेवाले विलंब/ असुविधाओं से बचने में सहायता मिलती है।

3. तदनुसार, विदेशी मुद्रा में कारोबार करने के लिए प्राधिवफ्त बैंक अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्ति को, उसके माता-पिता अथवा निकटतम संबंधी (कंपनी अधिनियम, 1956 में यथापरिभाषित) द्वारा किए गए समझौता विलेख के अंतर्गत विप्रेषण सुविधा की अनुमति दे सकते हैं। विप्रेषण सुविधा व्यवस्थापक (सेट्लर) के निधन के बाद ही उपलब्ध होगी।

4. मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.13/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्ति का प्रेषण) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन जून 29, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 119/2004-आरबी द्वारा जारी किए गए हैं, जिसकी प्रतिलिपि संलग्न है।

5. प्राधिवफ्त व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

 

भवदीय

 

(एफ.आर. जोसफ)
मुख्य महाप्रबंधक

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