वर्ष 2004-05 के लिए वार्षिक नीति विवरण : गैर - निष्पादित आस्तियों के लिए अतिरिक्त प्रावधानन आवश्यकता - आरबीआई - Reserve Bank of India
वर्ष 2004-05 के लिए वार्षिक नीति विवरण : गैर - निष्पादित आस्तियों के लिए अतिरिक्त प्रावधानन आवश्यकता
भारिबैं./2004-05/102
ग्राआऋवि.सं.क्षेग्राबैं.बीसी.15/03.05.34/2004-05
अगस्त 6, 2004
सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
महोदय,
वर्ष 2004-05 के लिए वार्षिक नीति विवरण : गैर - निष्पादित आस्तियों के लिए अतिरिक्त प्रावधानन आवश्यकता
वर्तमान में, बैंकों के लिए यह अपेक्षित है कि वे गैर-निष्पादित आस्तियों को उनके गैर-निष्पादित आस्ति बने रहने की अवधि को ध्यान में रखते हुए श्रेणीबध्दमान आधारित प्रावधानन करें । तथापि, "तीन वर्ष से अधिक अवधि के लिए संदिग्ध" श्रेणी में सम्मिलित गैर-निष्पादित आस्तियों के संबंध में उनकी हानि आस्ति के रुप में पहचान होने तक जमानती भाग पर 50 प्रतिशत प्रावधानन की आवश्यकता में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है । दीर्घावधि में किसी आस्ति की वसूली के कम होते अवसरों/सीमा को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि बैंक गैर-निष्पादित आस्तियों की वसूली में तेजी लाएं ।
2. इस संबंध में वफ्पया दिनांक 18 मई 2004 के गवर्नर महोदय के पत्र सं. एमपीडी.बीसी.249/ 07.01.279/ 2003-04 के साथ संलग्न वर्ष 2004-2005 के लिए वार्षिक नीति विवरण का पैराग्राफ 122 देखें । तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि दिनांक 31 मार्च 2005 से "तीन वर्ष से अधिक अवधि के लिए संदिग्ध" श्रेणी में सम्मिलित गैर-निष्पादित आस्तियों के लिए अवधि के अनुसार उच्चतर श्रेणीबध्द प्रावधानन किया जाए । उसके परिणामस्वरुप, जमानती भाग पर प्रावधानन आवश्यकताओं में होनेवाली वफ्ध्दि दिनांक 31 मार्च 2004 की स्थिति में गैर-निष्पादित आस्तियों का वर्तमान स्टाक, जो "तीन वर्ष से अधिक अवधि के लिए संदिग्ध" वर्गीवफ्त किया हो, के संबंध में तीन वर्षों तक चरणबध्द रुप में लागू होगी ।
तथापि उन सभी अग्रिमों के लिए जो दिनांक 1 अप्रैल 2004 को या उसके बादं "तीन वर्ष से अधिक अवधि के लिए संदिग्ध" श्रेणी मे वर्गीवफ्त हैं, 100 प्रतिशत प्रावधानन की आवश्यकता होगी । तदनुसार, "तीन वर्ष से अधिक अवधि के लिए संदिग्ध" श्रेणी में पहचाने गये अग्रिमों के लिए दिनांक 31 मार्च 2005 से प्रावधानन मानदंड निम्नानुसार होंगे ।
(क) गैर - जमानती भाग
अग्रिम के उस भाग का प्रावधानन अब से 100 प्रतिशत की सीमा तक किया जाए जो बैंक के वैध उपकरण के रुप में वास्तविक प्रतिभूतियों के वसूली योग्य मूल्य में कवर नहीं किया गया है तथा वसूली योग्य मूल्य का अनुमान वास्तविक आधार पर किया गया है ।
(ख) जमानती भाग
अवधि, जिसके दौरान अग्रिम संदिग्ध श्रेणी में रहा | जमानती भाग पर आवश्यक प्रावधान |
तीन वर्ष से अधिक
|
31 मार्च 2006 की स्थिति में 75 प्रतिशत 31 मार्च 2007 की स्थिति में 100 प्रतिशत ii) 100 प्रतिशत |
इस संबंध में स्पष्टीकरण के तौर पर अनुबंध में कुछ उदाहरण दिये हैं ।
4. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे चालू वर्ष के दौरान समुचित प्रावधान करें ताकि दिनांक 31 मार्च 2005 से संशोधित मानदंड सुचारु रुप से लागू हों ।
5. वफ्पया हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को पावती भेजें ।
भवदीय
( जी. श्रीनिवासन )
मुख्य महाप्रबंधक
अनु: 2
उक्त दिनांक का परांकन ग्राआऋवि.सं.क्षेग्राबैं. /03.05.34/2004-05
प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचना एवं आवश्यक कार्रवाई हेतु प्रेषित :
- सभी प्रायोजक बैंक
- नाबाड़, मुख्य कार्यालय, आइडीडी/डीओएस
- ग्राआऋवि के सभी क्षेत्रीय कार्यालय
- डाक सूची के अनुसार
( पी.के.बहिनीपति )
महाप्रबंधक
अनु: 2
वर्ष 2004-05 के लिए वार्षिक नीति विवरण का उध्दरण "गैर-निष्पादित आस्तियों के लिए प्रावधानन की आवश्यकता"
- वर्तमान में, बैंकों के लिए यह अपेक्षित है कि वे गैर-निष्पादित आस्तियों के गैर-निष्पादित आस्ति बने रहने की अवधि को ध्यान में रखते हुए श्रेणीबध्दमान आधारित प्रावधानन करें । किंतु, "तीन वर्ष से अधिक अवधि के लिए संदिग्ध आस्तियों के संबंध में, उनकी हानि-आस्ति के रुप में पहचान होने तक जमानती भाग पर 50 प्रतिशत प्रावधानन की आवश्यकता में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है । वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति ब्याज का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 के लागू होने तथा दीर्घावधि में किसी आस्ति की वसूली से कम होते अवसरों/सीमा को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि बैंक गैर-निष्पादित आस्तियों की वसूली में तेजी लाएं । तदनुसार, यह प्रस्ताव है कि :
- "तीन वर्ष से अधिक अवधि के लिए संदिग्ध" के अंतर्गत सम्मिलित आस्तियों के संबंध में गैर-निष्पादित आस्तियों की अवधि के अनुसार श्रेणीबध्द उच्चतर प्रावधानन आवश्यकता 31 मार्च 2005 से लागू की जाए ।
अनुबंध
उदाहरण
- दिनांक 31 मार्च 2004 की स्थिति में
- दिनांक 1 अप्रैल 2004 को या उसके बाद की स्थिति में
"तीन वर्ष से अधिक अवधि के लिए संदिग्ध"
श्रेणी में वर्गीवफ्त अग्रिमों का वर्तमान स्टॉक
दिनांक 31 मार्च 2004 की स्थिति में बकाया राशि : रु. 25,000
जमानत का प्राप्य मूल्य : रु. 20,000
दिनांक 31 मार्च 2004 की स्थिति में अग्रिम संदिग्ध
श्रेणी में रहने की अवधि : 4 वर्ष ( अर्थात् 3 वर्ष से अधिक )
प्रावधानन आवश्यकताएं
... ..की स्थिति में | जमानता भाग पर प्रावधान | गैर-जमानती भाग पर प्रावधान | कुल (रु.) | ||
% | राशि | % | राशि | ||
31 मार्च 2004 | 50 | 10000 | 100 | 5000 | 15000 |
31 मार्च 2005 | 60 | 12000 | 100 | 5000 | 17000 |
31 मार्च 2006 | 75 | 15000 | 100 | 5000 | 20000 |
31 मार्च 2007 | 100 | 20000 | 100 | 5000 | 25000 |
तीन वर्ष से अधिक अवधि के लिए संदिग्ध श्रेणी में वगीवफ्त अग्रिम
दिनांक 31 मार्च 2004 की स्थिति में बकाया राशि : रु. 10,000
जमानत का प्राप्य मूल्य : रु. 8,000
दिनांक 31 मार्च 2004 की स्थिति में अग्रिम "संदिग्ध"
श्रेणी में रहने की अवधि : 2.5 वर्ष
प्रावधानन आवश्यकताएं
..की स्थिति में | आस्ति वर्गीकरण | जमानती भाग पर प्रावधान | गैर-जमानती भाग पर प्रावधान | कुल (रु.) | ||
% | राशि | % | राशि | |||
31 मार्च 2004 | 1 से 3 वर्ष तक संदिग्ध | 30 | 2400 | 100 | 2000 | 4400 |
31 मार्च 2005 | 3 वर्ष से अधिक अवधि के लिए संदिग्ध | 100 | 8000 | 100 | 2000 | 10000 |