सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए) की नियुक्ति – विराम अवधि में संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए) की नियुक्ति – विराम अवधि में संशोधन
आरबीआई/2017-18/29 27 जुलाई, 2017 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय, महोदया सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए) की नियुक्ति – विराम अवधि में संशोधन कृपया निजी बैंकों को संबोधित दिनांक 30 जनवरी, 2001 का पत्र डीबीएस.सं.एआरएस.बीसी.8/08.91.001/2000-2001 देखें जिसके अनुसार, अन्य बातों के साथ, एक लेखा परीक्षा फर्म, जो निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करता हो, को किसी विशेष बैंक के लिए चार साल की अवधि हेतु एससीए के रूप में कार्य करने की अनुमति दी जाएगी और उसके बाद, उस फर्म को अनिवार्य रूप से दो साल की अवधि हेतु विश्राम करना होगा। 2. निजी बैंकों / विदेशी बैंकों में सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति की समीक्षा में यह पाया गया है कि, कुछ मामलों में, उसी ऑडिट फर्म को दो साल की विराम अवधि के बाद पुन: नियुक्त किया गया था। कुछ अन्य निजी बैंकों / विदेशी बैंकों में, वर्तमान सांविधिक लेखापरीक्षक के चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर तत्काल पूर्ववर्ती सांविधिक लेखा परीक्षक फर्म को नियुक्त किया गया था। ऐसे बैंकों में सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षा की जिम्मेदारी दो ऑडिट कंपनियों तक सीमित थी जो क्रमागत ढंग से नियुक्त किए गए थे। 3. बैंकों के लिए एससीए की नियुक्ति हेतु रेस्ट एवं रोटेशन नीति को अनिवार्य किया गया है ताकि लेखा परीक्षा कार्य को नए सिरे से देखा जा सके, क्योंकि नई टीम अलग दृष्टिकोण से बैंक के मामलों की जांच कर सकती है। इस नीति का उद्देश्य लेखा परीक्षकों एवं लेखापरीक्षिती के बीच दोस्ताना संबंध स्थापित होने से रोकना है जिसमें लेखापरीक्षा सिद्धांतों का सख्त अनुपालन नहीं हो पाता है। 4. ऊपर्युक्त के मद्देनजर और रेस्ट एवं रोटेशन नीति को वास्तविक रूप में सुनिश्चित करने हेतु यह निर्णय लिया गया है कि भविष्य में, एक ऑडिट फर्म, किसी विशेष निजी/विदेशी बैंक में अपना चार साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद, उसी बैंक में एससीए के रूप में छः वर्षों की अवधि हेतु नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा। 5. उक्त दिशानिर्देश विदेशी बैंकों के लिए भी लागू होंगे। भवदीय (प्रभाकर झा) |