कार्यान्वयन प्रक्रिया के अधीन संरचनात्मक परियोजनाओं के लिए आस्ति वर्गीकरण मानदंड - आरबीआई - Reserve Bank of India
कार्यान्वयन प्रक्रिया के अधीन संरचनात्मक परियोजनाओं के लिए आस्ति वर्गीकरण मानदंड
आरबीआइ/2008-09/283 14 नवंबर 2008 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय कार्यान्वयन प्रक्रिया के अधीन संरचनात्मक परियोजनाओं के लिए आस्ति वर्गीकरण मानदंड कृपया अग्रिमों के आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण मानदंडों से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड पर 1 जुलाई 2008 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 20/ 21.04.048/ 2008-09 का पैरा 4.2.18(iv) देखें, जिसमें उपर्युक्त विषय पर मानदंड निर्धारित किये गये हैं । 2. इन मानदंडों के अनुसार 28 मई 2002 के बाद बैंकों/वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्तपोषित संरचनात्मक परियोजनाओं के लिए भी परियोजना के वित्तीय समापन के समय परियोजना के पूर्ण होने की तारीख स्पष्ट रूप से दी जानी चाहिए। 31 मार्च 2008 से ऐसे मामलों में यदि वाणिज्यिक उत्पादन/परिचालन आरंभ होने की तारीख परियोजना के आरंभिक वित्तीय समापन के समय संरचनात्मक परियोजना की मूलत: परिकल्पित पूर्णता की तारीख से दो वर्ष से अधिक हो जाती है तो खाते को अवमानक आस्ति माना जाना चाहिए । अत:, यदि कोई परियोजना उक्त दो वर्ष की अवधि पूरी करनेवाली हो तो बैंकों से यह आशा की जाती है कि वे पुनर्रचना के लिए परियोजना की पात्रता का मूल्यांकन करने के लिए परियोजना की अर्थक्षमता/व्यवहार्यता का अध्ययन करेंगे तथा यदि आवश्यक हो तो आस्ति की पुनर्रचना पर विचार करेंगे, ताकि आस्ति गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके ।यदि परियोजना की पुनर्रचना करना आवश्यक हो तो पुनर्रचना बैंकों के अग्रिमों की पुनर्रचना के संबंध में विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों पर जारी 27 अगस्त 2008 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. सं. 37/21.04.132/2008-09 के अनुसार की जानी चाहिए । इन दिशानिर्देशों मे पुनर्रचित खाते के आस्ति वर्गीकरण के लिए विशेष विनियामक ट्रीटमेंट का भी प्रावधान है, बशर्ते उनमें दी गयी शर्तों का अनुपालन किया गया हो । 3. हमें अभिवेदन किया गया है कि कभी-कभी संरचनात्मक परियोजनाओं के पूरे होने में विलंब कानूनी और अन्य बाहरी कारणों से होता है।भारतीय बैंक संघ (आइबीए) ने सात ऐसी परियोजनाओं की सूची प्रस्तुत की है जिनमें उत्पादन/परिचालन की शुरुआत पहले से काफी विलंबित हो गयी है तथा उन्होंने उनके आस्ति वर्गीकरण के लिए विशेष विनियामक ट्रीटमेंट के लिए अनुरोध किया है। ऐसी परियोजनाओं की सूची अनुबंध में दी गयी है । 4. भारतीय बैंक संघ के अनुरोध की जांच की गयी है ।हम सूचित करते हैं कि बैंक इन परियोजनाओं की पुनर्रचना की पात्रता का मूल्यांकन करने के लिए उनकी अर्थक्षमता का पुन: अध्ययन करें ।यदि इन परियोजनाओं को पुनर्रचना हेतु पात्र पाया जाता है तथा संबंधित बैंक उनकी पुनर्रचना का निर्णय लेते हैं, तो एक-बारगी कदम के रूप में यह निर्णय लिया गया है कि चालू बाज़ार गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए कार्यान्वयन प्रक्रिया के अधीन उपर्युक्त सात परियोजनाओं को 27 अगस्त 2008 के हमारे उपर्युक्त परिपत्र के अनुसार पुनर्रचित करने के बाद ‘मानक’ संवर्ग में वर्गीकृत किया जाएगा, भले ही ऐसी पुनर्रचना के समय खाता अनर्जक आस्ति हो, बशर्ते ऐसे पुनर्रचना पैकेज का कार्यान्वयन इस परिपत्र की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर किया गया हो । आय निर्धारण और आस्ति वर्गीकरण तथा अग्रिमों की पुनर्रचना से संबंधित सभी विद्यमान मानदंड अपरिवर्तित रहेंगे । 5. यह नोट किया जाए कि बैंकों के शेष ऋण संविभाग की पुनर्रचना 27 अगस्त 2008 के उपर्युक्त परिपत्र में दिये गये दिशानिर्देशों के अधीन बनी रहेगी ।
भवदीय (विनय बैजल) 14 नवंबर 2008 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 84/21.04.048/008-09 भारतीय रिज़र्व बैंक के 27 अगस्त 2008 के पुनर्रचना संबंधी दिशानिर्देशों के 1) नन्दी इकानॉमिक कोरिडोर इंटरप्राइज़ेज लिमिटेड 2) जीवीके इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड 3) गौतमी पावर लिमिटेड 4) कोनासीमा गैस पावर लिमिटेड 5) न्यू तिरुपुर एरिया डेवलपमेंट कार्पोरेशन 6) वेमगिरि पावर जेनरेशन लिमिटेड 7) दिल्ली गुड़गांव सुपर कनेक्टिविटी लिमिटेड |