राज्य विकास ऋणों की नीलामी : रिटेल निवेशकों को अप्रतिस्पर्धी बोली सुविधा - आरबीआई - Reserve Bank of India
राज्य विकास ऋणों की नीलामी : रिटेल निवेशकों को अप्रतिस्पर्धी बोली सुविधा
आरबीआई/2019-20/92 7 नवंबर, 2019 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदया/महोदय, राज्य विकास ऋणों की नीलामी : रिटेल निवेशकों को अप्रतिस्पर्धी बोली सुविधा कृपया 24 अगस्त, 2009 के हमारे परिपत्र आईडीएमडी. सं. 954/08.03.001/2009-10 का संदर्भ लें जिसमें खुदरा निवेशकों को राज्य विकास ऋणों (एसडीएल) में अप्रतिस्पर्धी बोली की सुविधा की अनुमति है। 2. एसडीएल ने निवेश आधार को विविध करने की सम्पूर्ण नीति के रूप में, भारतीय रिज़र्व बैंक प्राथमिक नीलामियों में अप्रतिस्पर्धी बोली के परिचय सहित एसडीएल बाज़ार में रिटेल निवेशकों के सहभागिता को बढ़ाने के लिए कई उपाय कर रहा है। इस प्रयास के साथ ही, 6 जून 2019 को द्वितीय द्विमासिक मौद्रिक नीति विवरण 2019-20 के साथ जारी विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर विवरण में आरबीआई ने घोषणा की है कि विनिर्दिष्ट स्टॉक एक्सचेजों को उनके स्टॉक ब्रोकर्स/अन्य रिटेल(खुदरा) प्रतिभागियों के बोलियों को समग्र करने के लिए समूहक/समन्वयक के रूप में कार्य करने की अनुमति होगी। इस घोषणा के साथ और ‘राज्य सरकारी प्रतिभूतियों के निर्गम’ पर राज्यों के सामान्य अधिसूचना में शामिल अप्रतिस्पर्धी बोलियों पर प्रावधान के अनुसार, यह घोषणा की गई है कि अनुसूचित बैंकों और प्राथमिक डीलर्स के अलावा, क) विनिर्दिष्ट स्टॉक एक्सचेंज समूहक/समन्वयक के रूप में कार्य करने की अनुमति होगी। ख) नीलामी प्रक्रिया में ये स्टॉक एक्सचेंज एकल समेकित अप्रतिस्पर्धी बोली प्रस्तुत करेंगे और उनके सदस्यों/ग्राहक को प्राथमिक नीलामी में आवंटित प्रतिभूतियों के हस्तनान्तरण के लिए आवश्यक प्रक्रियाएँ करेंगे। ग) समूहक/समन्वयक के रूप में कार्य करने को इच्छुक स्टॉक एक्सचेंज, आवश्यक अनुमोदन के लिए सेबी से अनापत्ति प्रमाणपत्र की प्रति के साथ मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक को संपर्क कर सकते हैं। 3. राज्य विकास ऋणों के नीलामी में अप्रतिस्पर्धी बोली सुविधा की अद्यतित योजना अनुलग्नक में दी गई है। भवदीय (टी.के.राजन) राज्य विकास ऋणों के नीलामी में अप्रतिस्पर्धी बोली सुविधा के लिए योजना I. उद्देश्य सरकारी प्रतिभूतियों में भागीदारी और रिटेल होल्डिंग बढ़ाने के उद्देश्य से, राज्य विकास ऋणों के नीलामी में पात्र व्यैक्तिक और संस्थाएं “अप्रतिस्पर्धी” आधार पर अनुमत है। II. परिभाषाएँ: इस योजना के उद्देश्य के लिए, शब्दो का मतलब निम्न के अनुसार उनको निर्धारित अर्थ ही होगा: क) ‘रिटेल निवेशक’ कोई भी व्यक्ति होता है जिसमें व्यैक्तिक, फर्म, कंपनियाँ, कॉर्पोरेट निकाय, संस्थाएं, भविष्य निधियाँ और आरबीआई द्वारा निर्धारित कोई अन्य संस्था। ख) समूहक/समन्वयक का अर्थ अनुसूचित बैंक या प्राथमिक डीलर या विनिर्दिष्ट स्टॉक एक्सचेंज हैं जो निवेशकों से प्राप्त बोलियों को समग्र करता है और प्राथमिक नीलामी के अप्रतिस्पर्धी खंड में एकल समेकित बोली प्रस्तुत करता है। ग) विनिर्दिष्ट स्टॉक एक्सचेंज का अर्थ है सेबी प्राधिकृत स्टॉक एक्सचेंज जो प्राथमिक नीलामी खंड में समूहक/समन्वयक के रूप में कार्य करने के लिए सेबी से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किया। III. पात्रता अप्रतिस्पर्धी आधार पर नीलामी में भागीदारी रिटेल निवेशकों को खोली जाएगी जो : (i) भारतीय रिज़र्व बैंक के पास चालू खाता (सीए) या अनुषंगी सामान्य लेजर (एसजीएल) व्यवस्थित न हो; (ii) योजना के अंतर्गत समूहक/समन्वयक के माध्यम से बोली अप्रत्यक्ष रूप से प्रस्तुत की जाती है, और (iii) प्रति नीलामी अधिसूचित राशि (अंकित मूल्य) का एक प्रतिशत से कम राशि के लिए एकल बोली लगाना। अपवाद: (i) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंक अपने संवैधानिक बाध्यताओं के कारण योजना के अंतर्गत आते हैं। (ii) आरआरबी और सहकारी बैंक जो भारतीय रिज़र्व बैंक के पास एसजीएल खाता और चालू खाता व्यवस्थित करते हैं वे अपने अप्रतिस्पर्धी बोलियाँ सीधे प्रस्तुत करने के पात्र होंगे। IV. परिमाण अधिसूचित राशि का 10 प्रतिशत तक अप्रतिस्पर्धी बोलियाँ स्वीकार की जाएगी। आरक्षित राशि अधिसूचित राशि के अंतर्गत होगी। बोली के लिए न्यूनतम राशि रु. 10,000 (अंकित मूल्य) होगी और इसके बाद 10,000 के गुणजों में होगी जैसा अभी तक है। V. परिचालन दिशानिर्देश 1. योजना के अंतर्गत नीलामी में भागीदारी के लिए इच्छुक रिटेल निवेशक समूहक/समन्वयक के अवयव अनुषंगी सामान्य लेजर खाते के अंतर्गत किसी भी डिपोजीटरी या गिल्ट खाते में डिपोजीटरी खाता व्यवस्थित करने की आवश्यकता है। 2. योजना के अंतर्गत, एक निवेशक नीलामी में केवल एकल बोली प्रस्तुत कर सकता है। निवेशक केवल एकल बोली कर सकता है इसके लिए एक अंडरटेकिंग प्राप्त करनी होगी और समूहक/समन्वयक द्वारा रिकार्ड रखना होगा। बोलियों की प्रस्तुति 3. प्रत्येक समूहक/समन्वयक अपने अवयवों से प्राप्त फर्म आदेशों के आधार पर अपने सभी अवयवों की तरफ से एकल समेकित अप्रतिस्पर्धी बोली इलेक्ट्रोनिक रूप में, भारतीय रिज़र्व बैंक कोर बैंकिंग सोल्यूशन (ई-कुबेर) पर प्रस्तुत करेगा। असाधारण परिस्थितियों जैसे ई-कुबेर प्रणाली का सामान्य रूप में कार्य न करना को छोड़कर अप्रतिस्पर्धी बोली भौतिक रूप में स्वीकार नहीं की जाएगी। बोलियों का आवंटन 4. लाभ/मूल्य के भारित औसत दर पर समूहक/समन्वयक को अप्रतिस्पर्धी खंड के अंतर्गत आवंटन होगा जो प्रतिस्पर्धी बोली के आधार पर नीलामी में आएगा। प्रतिभूतियाँ निर्गम तारीख पर भुगतान के सापेक्ष समूहक/समन्वयक को जारी किया जाएगा चाहे वे अपने ग्राहकों से भुगतान प्राप्त किए हो या नहीं। 5. यदि आरक्षित राशि (अधिसूचित राशि का 10 प्रतिशत) से बोली की कुल राशि अधिक है, प्रो राटा आवंटन किया जाएगा। आंशिक आवंटन की स्थिति में, यह समूहक/समन्वयक का उत्तरदायित्व होगा कि अपने ग्राहकों को पारदर्शी तरीके से उचित रूप में प्रतिभूतियाँ आवंटित करें। 6. यदि आरक्षित राशि से बोलियों की कुल राशि कम है, तो कमी को अधिसूचित राशि के प्रतिस्पर्धी भाग में लिया जाएगा। प्रतिभूति का निर्गम 7. प्रतिभूति आरबीआई द्वारा केवल एसजीएल फॉर्म में जारी की जाएगी। इस प्रकार, समूहक/समन्वयक अपने एसजीएल खाते और सीएसजीएल खाते में क्रेडिट होने वाली राशि (अंकित मूल्य) को अप्रतिस्पर्धी बोलियों के टेंडरिंग के समय स्पष्ट रूप में निर्दिष्ट करेगा। इसके बाद निवेशक के पहल पर मुख्य एसजीएल खाते से भौतिक रूप में डिलीवरी अनुमत है। 8. अपने ग्राहकों को प्रतिभूतियों हस्तानांतरित करना समूहक/समन्वयक की ज़िम्मेदारी होगी। ग्राहको को प्रतिभूतियों का हस्तनांतरण निर्गम की तारीख से पाँच कार्यकारी दिवस के अंदर पूरा करना होगा। कमीशन/ब्रोकरेज 9. समूहक/समन्वयक अपने ग्राहकों से सेवाएँ को यह सेवा देने के लिए छह पैसे तक प्रति 100 रु. ब्रोकरेज/कमीशन/ सेवा प्रभारों के रूप में वसूली कर सकता है। ऐसी लागतें बिक्री मूल्य से ली जा सकती है या ग्राहकों से अलग से वसूली जा सकती है। 10. प्रतिभूति के निर्गम तारीख के बाद यदि प्रतिभूति के हस्तानांतरण पर असर होता है, तो समूहक/समन्वयक को ग्राहकों द्वारा विचारधीन भुगतान योग्य राशि में निर्गम की तारीख से उपचित ब्याज भी शामिल होगा। 11. ग्राहकों के साथ हुए समझौते के अनुसार प्रतिभूतियों की लागत के लिए ग्राहक से भुगतान, उपचित ब्याज जहां भी लागू और ब्रोकरेज/कमीशन/सेवा प्रभार प्राप्त कने के लिए समूहक/समन्वयक द्वारा क्रियाविधि को अंतिम किया जाए। 12. यह नोट किया जाए कि मूल्य से अन्य कोई लागत या ग्राहक से वसूली नहीं की जानी चाहिए। रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ 13. समूहक/समन्वयक को बैंक द्वारा निर्धारित समय-सीमा के अंतर्गत समय-समय पर मांगे जाने पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा को योजना के अंतर्गत परिचालन से संबन्धित सूचना उपलब्ध कराना होगा। VI. योजना की समीक्षा उपर्युक्त दिशानिर्देश बैंक की समीक्षा के अंतर्गत होंगे और तदनुसार, यदि कहीं आवश्यक है तो योजना राज्य सरकारों के परामर्श के साथ बदलाव लाया जाएगा। |