मुख्य रूप से सोने की जमानत पर उधार देने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए बैंक वित्त - आरबीआई - Reserve Bank of India
मुख्य रूप से सोने की जमानत पर उधार देने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए बैंक वित्त
भारिबै/2011-12/568 मई 18, 2012 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय, मुख्य रूप से सोने की जमानत पर उधार देने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए बैंक वित्त कृपया दिनांक 17 अप्रैल 2012 को घोषित मौद्रिक नीति वक्तव्य 2012-13 में 'मुख्यत: स्वर्ण पर उधार देने के कारोबार में लगी एनबीएफसी को बैंक वित्त' से संबद्ध पैरा 94 से 96 (उद्धरण संलग्न) देखें। 2. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में बैंक के एक्सपोज़र के संबंध में मौजूदा विनियामक ढाँचा दिनांक 12 दिसंबर, 2006 के "प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण एनबीएफसी का वित्तीय विनियमन और उनके साथ बैंकों के संबंध" विषय पर जारी परिपत्र बैपविवि.सं.एफ़एसडी.बीसी.46/24.01.028/2006-07 में निर्धारित किया गया है। 3. मुख्य रूप से स्वर्ण आभूषण के संपार्श्विक पर ऋण देने में लगी हुई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (अर्थात जिनकी वित्तीय आस्तियों का 50 प्रतिशत या अधिक भाग ऐसे ऋणों से बना है) ने हाल के वर्षों में अपने तुलन पत्र के आकार और भौतिक उपस्थिति दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है। उनके कारोबार मॉडल में निहित संकेन्द्रण जोखिम और उनके कारोबार में तेज वृद्धि से उत्पन्न विनियमन संबंधी चिंताओं के मद्देनजर कुछ विवेकपूर्ण उपाय जैसे मूल्य के प्रति ऋण में अनुपात (एलटीवी) को सीमित करना, न्यूनतम टीयर पूंजी अपेक्षा में वृद्धि करना, बुलियन/प्राथमिक स्वर्ण और स्वर्ण के सिक्के पर ऋण देने पर प्रतिबंध लगाना और अन्य परिचालनगत दिशानिर्देश गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए निर्धारित किये गये हैं। 4. मुख्य रूप से स्वर्ण आभूषण के संपार्श्विक पर ऋण देने में लगी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के तेजी से विस्तार के कारण बैंक वित्त सहित सार्वजनिक निधियों पर इन कंपनियों की निर्भरता में वृद्धि हुई है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए निर्धारित उपर्युक्त पैरा 3 में निर्दिष्ट विवेकपूर्ण मानदंडों के पूरक के रूप में बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे:
भवदीय, (दीपक सिंघल) 17 अप्रैल, 2012 को घोषित मौद्रिक नीति वक्तव्य 2012-13 से उद्धरण भाग ब॰ विकासात्मक और नियामक नीतियां IV. वाणिज्यिक बैंकों के लिए विनियामक और पर्यवेक्षी उपाय मुख्यत: स्वर्ण पर उधार देने के कारोबार में लगी एनबीएफसी को बैंक वित्त 94. मुख्यत: स्वर्णाभूषणों पर उधार देने में लगी एनबीएफसियों ने, अपने तुलन पत्र (बैलेंस शीट) के आकार में और संख्या दोनों में, हाल के वर्ष में काफी बढ़ोतरी की है । उनके कारोबार के बढ़ने तथा उनके कारोबारी मॉडल को देखते हुए जिससे केंद्रीकरण जोखिम (कन्सेंट्रेशन रिस्क) स्वाभाविक रूप से जुड़ा है, विनियामक चिंताओं के लिहाज से कुछ विवेक सम्मत कदम उठाए गए हैं जिनमें कहा गया है कि स्वर्णाभूषणों पर कर्ज में कर्ज-से-मूल्य (लोन-टू-वैल्यू/एलटीवी) का अनुपात 60 प्रतिशत से अधिक न हो और 1 अप्रैल 2014 तक 12 प्रतिशत की न्यूनतम टियर 1 पूँजी हो । यह भी कहा गया है कि बुलियन / प्राथमिक स्वर्ण और सोने के सिक्कों पर एनबीएफसी कोई अग्रिम (एडवांस) न मंजूर करें। 95. एनबीएफसी तेजी से फैले हैं और इस कारण पब्लिक फ़ंडों पर, जिनमें बैंक फाइनैंस भी है, एनबीएफसी की निर्भरता बढ़ गई है। उपर्युक्त विवेकसम्मत कार्रवाइयों के पूरक के रूप में प्रस्ताव है कि:
96. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे। |