प्रवर्तकों के अंशदान के वित्तपोषण के लिए बैंक ऋण
आरबीआइ/2010-11/214 27 सितंबर 2010 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/ महोदय/महोदया प्रवर्तकों के अंशदान के वित्तपोषण के लिए बैंक ऋण ‘शेयरों तथा डिबेंचरों की जमानत पर बैंक वित्त’ पर 28 अगस्त 1998 के मास्टर परिपत्र सं. बैंपविवि. डीआइआर. बीसी. 90/13.07.05/98 के पैरा 8 के अनुसार कंपनी की ईक्विटी पूंजी में प्रवर्तकों का अंशदान उनके अपने स्रोतों से आना चाहिए और अन्य कंपनियों के शेयर खरीदने के लिए बैंकों द्वारा सामान्यत: अग्रिम प्रदान नहीं किए जाने चाहिए (इसमें कुछ अपवाद हैं जैसे बैंकों को अनुमति दी गई है कि वे विदेश स्थित संयुक्त उद्यमों/ पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों अथवा अन्य विदेश स्थित कंपनियों में ईक्विटी के अधिग्रहण के लिए भारतीय कंपनियों को, भारत सरकार के विनिवेश कार्यक्रम के अंतर्गत सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के शेयरों के अधिग्रहण के लिए सफल बोली लगाने वालों को वित्तीय सहायता प्रदान कर सकते हैं)। 2. इस संबंध में हम सूचित करते हैं कि ईक्विटी पूंजी में प्रवर्तकों के अंशदान के वित्तपाषण के लिए बैंक अग्रिम प्रदान करने पर उपर्युक्त प्रतिबंध अब ऐसे अधिग्रहणों से संबंधित गतिविधियों अर्थात् नॉन कॉम्पीट शुल्क आदि के भुगतान के लिए प्रदान किए जाने वाले बैंक वित्त पर भी लागू होंगे । 3. इसके साथ, यह भी सूचित किया जाता है कि ये प्रतिबंध भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं/सहायक कंपनियों द्वारा ऐसी गतिविधयों के लिए किए जाने वाले बैंक वित्तपोषण पर भी लागू होंगे । भवदीय (बी. महापात्र) |