बैंक रेट - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंक रेट
आरबीआई/2011-12/432 7 मार्च 2012 मुख्य कार्यपालक अधिकारी, महोदया/ महोदय बैंक रेट भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 49 के अनुसार रिज़र्व बैंक को उस मानक दर की समय-समय पर सार्वजनिक जानकारी देनी होती है जिस दर पर वह विनिमय बिलों (बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज) या इस अधिनियम के तहत खरीदे जाने योग्य अन्य वाणिज्यिक पत्र (कमर्शियल पेपर) खरीदने या फिर से भुनाने (रि-डिस्काउंट करने) को तैयार है। 2. डिस्काउंट रेट होने के कारण, तकनीकी रूप से बैंक रेट को पॉलिसी रिपो रेट से अधिक होना चाहिए। तथापि, अप्रैल 2003 से बैंक रेट 6 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहा है। इसका मुख्य कारण यह था कि मौद्रिक नीति संकेत देने का कार्य चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत (3 मई 2011 तक) रिवर्स रिपो व रिपो रेट में उतार- चढ़ाव और मौद्रिक नीति की संशोधित कार्य पद्धति के तहत (3 मई 2011 के बाद से) पॉलिसी रिपो रेट के माध्यम से किया जा रहा था। इसके अलावा, संशोधित कार्य पद्धति के अंतर्गत पॉलिसी रिपो रेट के 100 आधार अंक ऊपर रखी गई सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) भी काम कर रही है जिससे कई मायनों में बैंक रेट का उद्देश्य पूरा हो जाता है। 3. एक ओर जहाँ, पॉलिसी रिपो रेट और एमएसएफ़ को लागू कर दिया गया है, वहीं बैंक रेट 6 प्रतिशत पर बना हुआ है। वर्तमान में बैंक रेट, आरक्षित निधि संबंधी आवश्यकताओं (आरक्षित नकदी निधि अनुपात और सांविधिक चलनिधि अनुपात) को पूरा करने में आई कमी के चलते दंड के रूप में बैंकों पर लगाए जाने वाले रेट का काम करता है। कई दूसरे संगठनों में बैंक रेट का प्रयोग सूचीकरण (इन्डेक्शेसन) के कार्यों के लिए संदर्भ दर (रेफ़रेंस रेट) के रूप में किया जाता है। 4. रिज़र्व बैंक ने बैंक रेट से संदर्भ दर (रेफ़रेंस रेट) का काम लेने वाले विभिन्न संगठनों/हितधारकों से चर्चा की है। प्राप्त फीडबैक के आधार पर यह तय किया गया है कि बैंक रेट को सामान्यत: एमएसएफ रेट के अनुरूप रखा जाना चाहिए। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि आज (13 फरवरी 2012 को) कारोबार की समाप्ति से बैंक रेट को 350 आधार अंक बढ़ा दिया जाए अर्थात् 6.00 प्रतिशत प्रतिवर्ष से 9.50 प्रतिशत प्रतिवर्ष कर दिया जाए। इसे बैंक रेट को एमएसएफ के अनुरूप करने हेतु एकबारगी किए गए तकनीकी समायोजन (एडजस्टमेंट) के रूप में देखा जाए न कि मौद्रिक नीति के रुख़ में परिवर्तन के रूप में। 5. आरक्षित निधि संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में आई कमी के चलते दंड के रूप में बैंकों पर लगाई जाने वाली निर्दिष्ट रूप से बैंक रेट से जुड़ी हुई सभी दंडात्मक ब्याज दरें भी बदल गई हैं जैसा कि संलग्नक में दर्शाया गया है। 6. कृपया शहरी बैंक विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को परिपत्र की प्राप्ति सूचना दें । भवदीय, (ए.उदगाता) अनु : यथोक्त संलग्नक बैंक रेट से जुड़ी हुई दंडात्मक ब्याज दरें
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