वायदा संविदाओं की बुकिंग - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
वायदा संविदाओं की बुकिंग - उदारीकरण
आरबीआइ/2007-08/171
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.15
अक्तूबर 29, 2007
सेवा में
सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
वायदा संविदाओं की बुकिंग - उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान जनवरी 24, 2002 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 19, दिसंबर 21, 2002 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं 63, नवंबर 1, 2004 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 26, दिसंबर 13, 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 22 और मई 8, 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 52 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार भारत में निवासी व्यक्तियों को अंतर्निहित ऋण जोखिम के आधार पर वायदा संविदाएं करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, निर्यातकों और आयातकों को ऋण जोखिम की घोषणा और पिछले कार्यनिष्पादन के अधार पर विशिष्ट शर्तों के अधीन वायदा संविदाएं बुक करने की भी अनुमति दी गई है।
2. वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य (पैरा 142 और 143) में की गई घोषणा के अनुसार, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र तथा निवासी व्यक्तियों को ज्यादा सुविधाएं प्रदान करने की दृष्टि से वायदा संविदाओं के कार्यक्षेत्र और दायरे को और उदार बनाने का निर्णय लिया गया है ताकि ऐसे उद्यम अपने विदेशी मुद्रा जोखिमों को सक्रिय रूप से हेज कर सकें। तदनुसार, उपयोगकर्ताओं के मत/टिप्पणी प्राप्त करने हेतु जून 1, 2007 को वेबसाइट पर एक परिपत्र का प्रारूप डाला गया था। तत्पश्चात् एफईडीएआइ और बैंकों के साथ भी चर्चा की गई। प्राप्त प्रतिसूचना के आधार पर परिपत्र का प्रारूप संशोधित किया गया तथा संशोधित प्रारूप अक्तूबर 10, 2007 को उपयोगकर्ताओं के मत/ टिप्पणी के लिए वेबसाइट पर डाला गया। बैंकों, एफईडीएआइ, उपयोगकर्ता समूह, आदि से प्राप्त प्रतिसूचना के आधार पर मार्गदर्शी सिद्धांत उपयुक्त ढंग से संशोधित किए गए हैं।
लघु और मध्यम उद्यम (पैरा 142)
3. प्रत्यक्ष और/अथवा अप्रत्यक्ष रूप से विदेशी मुद्रा जोखिमवाले लघु और मध्यम उद्यमों को उनके ऋण जोखिम के सक्रिय रूप से प्रबंधन को सुविधाजनक बनाने के लिए यह निश्चय किया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक ऐसे उद्यमों को निम्नलिखित शर्तों पर, बगैर अंतर्निहित दस्तावेज प्रस्तुत किए, वायदा संविदाएं बुक/रद्द/पुन:बुक/रोल ओवर करने की अनुमति दें।
(i) ऐसी संविदाएं बुक करने की अनुमतियह सुनिश्चित करने के बाद दी जाए कि उद्यम, अप्रैल 4, 2007 के ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक के परिपत्र आरपीसीडी. पीएलएनएस. बीसी. सं. 63/06.02.31/2006-07 द्वारा यथापरिभाषित लघु और मध्यम उद्यम के अनुरूप है।
(ii) ऐसी संविदाएं, ऐसे प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों द्वारा बुक किए जाएं जो लघु और मध्यम उद्यम को ऋण सुविधा उपलब्ध कराते हैं तथा बुक की गई कुल वायदा संविदाएं उनके द्वारा अपनी विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं अथवा कार्यकारी पूंजी आवश्यकताओं अथवा पूंजी व्यय हेतु लिए गए ऋण सुविधाओं के अनुकूल हों।
(iii) अप्रैल 20, 2007 के डीबीओडी.सं.बीपी.बीसी.86/21.04.157/2006-07 द्वारा जारी "डेरिवेटिव्स पर विस्तृत मार्गदर्शी सिद्धांत" के पैरा 8.3 के अनुसार लघु और मध्यम उद्यम को वायदा संविदा का "उपयोगकर्ता औचित्य" तथा "उपयुक्तता" के बारे में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक पूरी कर्मिष्ठता का पालन करें।
(iv) इस सुविधा का उपभोग लेनेवाले लघु और मध्यम उद्यम इस सुविधा के अधीन अन्य प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक के साथ पहले बुक की गई वायदा संविदाओं, यदि कोई हो तो, की राशि से संबंधित घोषणा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I को दें।
4. लघु और मध्यम उद्यम अपने ऋण जोखिम को हेज करने लिए अंतर्निहित दसतवेज प्रस्तुत करने के बाद अथवा पिछले कार्यनिष्पादन मार्ग के तहत विदेशी मुद्रा रुपया विकल्प का उपयोग भी कर सकते हैं।
निवासी व्यक्ति (पैरा 143)
5. निवासी व्यक्तियें को वास्तविक अथवा अपेक्षित प्रेषणों, आवक और जावक दोनों, से होनेवाले उनके विदेशी मुद्रा जोखिम के प्रबंधन/ हेजिंग को सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि उन्हें स्वत: घोषणा के आधार पर 100,000 अमरीकी डॉलर की सीमा तक बगैर अंतर्निहित दस्तावेजों की प्रस्तुति के वायदा संविदाएं बुक करने की अनुमति दी जाए। इस सुविधा के अधीन बुक की गई संविदाएं सामान्यत: सुपुर्दगी योग्य आधार पर होंगी। तथापि, नकदी प्रवाह में विसंगति अथवा अन्य अत्यावश्यकताओं के मामले में इस सुविधा के अंतर्गत बुक की गई संविदाओं को रद्द अथवा पुन:बुक करने की अनुमति दी जाए। बकाया करारों का आनुमानिक मूल्य किसी भी समय 100,000 अमरीकी डॉलर से अधिक न हो। इसके अलावा, केवल एक वर्ष तक की टेनोर के करार बुक करने की अनुमति दी जाए।
6. ऐसी संविदाएं संलग्नक I में दिए गए फॉर्मेट में आवेदन-व-घोषणा के आधार पर उस प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I द्वारा बुक किए जाएं जिनके साथ निवासी व्यक्ति का बैंकिंग संबंध है। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक अपने आप को संतुष्ट कर लें कि निवासी व्यक्ति वायदा संविदाएं बुक करने में अंतर्निहित जोखिम का स्वरूप समझते हैं तथा ऐसे ग्राहक वायदा संविदा के मामले में "उपयोगकर्ता औचित्य" तथा "उपयुक्तता" के बारे में पूरी कर्मिष्ठता का पालन करें।
7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, केद्रीय कार्याय, विदेशी मुद्रा बाज़ार प्रभाग, केद्रीय कार्यालय भवन, मुंबई 400001 को अगले महीने के पहले सप्ताह के अंत तक संलग्नक II में दिए गए फार्मेट के अनुसार तिमाही रिपोर्ट प्रस्तुत करें। पहली तिमाही रिपोर्ट दिसंबर 2007 को समाप्त तिमाही के लिए इस तरह प्रस्तुत की जाए कि वह जनवरी 2008 के पहले सप्ताह के अंत तक रिज़र्व बैंक को मिले।
8. मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.25/2000-आरबी डविदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।
9. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
10. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नक I
डअक्तूबर 29, 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.15 का संलग्नक
निवासी व्यक्तियों द्वारा 100,000 अमरीकी डॉलर तक की
वायदा संविदाएं बुक करने के लिए आवेदन-व-घोषणा
(आवेदक द्वारा भरा जाए)
I. आवेदक के ब्यौरे
क. नाम . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
ख. पता . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
ग. खाता सं. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
घ. पीएएन सं. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
II. अपेक्षित विदेशी मुद्रा वायदा संविदाओं के ब्योरे
1. राशि (मुद्रा जोड़ी (करेंसी पेयर) का उल्लेख करें) . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
2. टेनोर (Tenor) . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
III. दिनांक . . . . . . को बकाया वायदा संविदाओं का आनुमानिक मूल्य
IV. वास्तविक/ प्रत्याशित प्रेषणों के ब्योरे
1. राशि :
2. प्रेषण सूची :
3. प्रयोजन :
घोषणा
मैं, . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . (आवेदक का नाम), एतद्वारा घोषित करता हूं कि भारत में . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . (बैंक) के . . . . . . . . . . . . . . . . . . (नामित शाखा) के पास बुक की गई विदेशी मुद्रा वायदा संविदाओं की कुल राशि 100,000 अमरीकी डॉलर (एक लाख अमरीकी डॉलर मात्र) की सीमा के अधीन है और प्रमाणित करता हूं कि वायदा संविदाएं अनुमत चालू और/अथवा पूंजी खाता लेनदेन करने के उद्देशार्थ हैं। मैं यह भी प्रमाणित करता हूं कि मैंने किसी अन्य बैंक/शाखा के साथ कोई विदेशी मुद्रा वायदा संविदा बुक नहीं किया है। मैंने विदेशी मुद्रा वायदा संविदाएं बुक करने में अंतनिर्हित जोखिमों को समझा है।
आवेदक का हस्ताक्षर
(नाम)
स्थान :
दिनांक :
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक द्वारा प्रमाणपत्र
यह प्रमाणित किया जाता है कि ग्राहक . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . (आवेदक का नाम) जिसका पीएएन सं. . . . . . . . . . . है, ने हमारे पास . . . . . . . . . . . से* खाता.(सं.) . . . . . . . बनाए रखा है। हम प्रमाणित करते हैं कि ग्राहक भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित धन शोधन निवारण/अपने ग्राहकों को जानिए मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुरूप है और कि हमने आवश्यक उपयुक्तता और औचित्यता परीक्षण का पालन किया है।
प्राधिकृत अधिकारी का नाम और पदनाम
स्थान :
हस्ताक्षर :
दिनांक : मुहर और मुद्रा
* माह/वर्ष
संलग्नक II
(अक्तूबर 29, 2007 का ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.15)
विवरण - बुक की गई और रद्द की गई वायदा संविदाओं के ब्योरे. . . . . . . . . . . को समाप्त तिमाही के लिए
(मिलियन अमरीकी डॉलर)
वर्ग |
बुक की गई वायदा संविदाएं |
रद्द की गई वायदा संविदाएं |
||
लघु और मध्यम उद्यम |
किस तिमाही में |
संचयी कुल - |
किस तिमाही में |
संचयी कुल - |
व्यक्ति |
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक का नाम :
प्राधिकृत अधिकारी का हस्ताक्षर :
दिनांक :
मुहर