बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं (एआईएफआई) में क्षमता वर्धन - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं (एआईएफआई) में क्षमता वर्धन
भा.रि.बैं/2015-16/36 11 अगस्त, 2016 सभी वाणिज्यिक बैंक और महोदया/ महोदय, बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं (एआईएफआई) में क्षमता वर्धन रिज़र्व बैंक ने पूर्व कार्यपालक निदेशक श्री जी. गोपालकृष्ण की अध्यक्षता में ‘क्षमता वर्धन पर समिति’ (जुलाई 2014) का गठन किया था, जिसका उद्देश्य बैंकों और गैर-बैंकों में क्षमता वर्धन के संबंध में वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग (एफएसएलआरसी) की गैर-विधायी सिफारिशों को कार्यान्वित करना, प्रशिक्षण माध्यमों को कारगर बनाना तथा बैंकिंग एवं गैर-बैंकिंग क्षेत्र में लगातार बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए इसमें परिवर्तनों का सुझाव देना था। 2. उक्त समिति ने वस्तुतः सम्पूर्ण एचआरएम गतिविधि से संबंधित विस्तृत सिफारिशें करने के साथ ही, एचआरएम गतिविधि के विशिष्ट क्षेत्रों/ घटकों अर्थात, भर्ती, कार्यनिष्पादन मूल्यांकन, पदोन्नति, तैनाती (प्लेसमेंट), कार्यावर्तन (जॉब रोटेशन) इत्यादि से संबंधित विशिष्ट सिफारिशें भी की हैं। सिफारिशों की विस्तृत जांच करने के बाद, यह महसूस किया गया कि बैंकों से संबंधित सिफारिशों को बैंकों द्वारा उनके संगठनात्मक उद्देश्यों और कारोबारी कार्यनीतियों के आधार पर उनके संबंधित बोर्ड से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद कार्यान्वित किया जाए। 3. समिति ने स्टाफ के प्रमाणन के लिए भी बहुत सी सिफरिशें की हैं। इस संबंध में, बैंकों द्वारा कार्यान्वयन के लिए समिति की कुछ सिफारिशें निम्नानुसार हैं: a. बैंक प्रमुख जिम्मेदारी संभालने वाले स्टाफ के प्रमाणन के लिए विशेषीकृत क्षेत्रों की पहचान करें। शुरूआत में, बैंक निम्नलिखित क्षेत्रों के लिए प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम करना अनिवार्य बना सकते हैं:
बैंक कार्य के अन्य क्षेत्रों के लिए प्रमाणन की अपेक्षा करने के लिए स्वतंत्र है। उपर्युक्त क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों से कहा जाए कि वे विनिर्दिष्ट अवधि, जैसे, 6 महीने के भीतर, प्रमाणन प्राप्त करें। प्रमाणन के लिए अपेक्षित समय के आधार पर इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है। बैंकों को चाहिए कि वे इसके लिए विनिर्दिष्ट नीति तैयार करें। b. गलत तरीके से बिक्री के मुद्दों को सुलझाने और ग्राहक की शिकायतों को कम करने के लिए, तृतीय पक्ष खुदरा उत्पादों और धन प्रबंधन उत्पादों की मार्केटिंग में शामिल कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से उचित प्रमाणन प्रक्रिया से गुजरना होगा। जहां वित्तीय क्षेत्र के अन्य विनियामकों ने कोई प्रमाणन निर्धारित किया हो, तो उनका अनुपालन किया जाए। c. बैंकिंग उद्योग इत्यादि में सीखने की पहल को सुनिश्चित करने और मान्यता देने के लिए प्रमाणन एजेंसी की स्थापना करने के मुद्दे की अलग से जांच की जा रही है। इस बीच, आईबीए से अनुरोध किया गया है कि वे भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से दिसंबर 2016 के अंत तक ऐसी संस्थाओं और पाठ्यक्रमों की पहचान कर उनकी सूची अपने सदस्यों को उपलब्ध कराए जो ऊपर उल्लिखित विभिन्न कार्य क्षेत्रों की प्रमाणन अपेक्षाओं को पूरा करते हों। इस कार्य के लिए, आईबीए ऐसी एजेंसियां, संस्थाएं शामिल करते हुए एक विशेषज्ञ समूह बना सकता है जिन्हें वह आवश्यक समझे। d. आईबीए द्वारा यथोक्त सूची जारी किए जाने के बाद, बैंक उन पाठ्यक्रमों/ प्रमाण-पत्रों की पहचान करें जो उनके परिचालनों के लिए उपयुक्त हों, और बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करें, जिसमें संबंधित क्षेत्रों में कार्यरत अपने कर्मचारियों द्वारा ऐसे प्रमाण-पत्र प्राप्त करना अनिवार्य हो। बैंक यह सुनिश्चित करें कि मार्च 2017 के अंत तक, संबंधित क्षेत्रों में कर्मचारियों ने आवश्यक प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। e. यह आशा की जाती है कि 1 अप्रैल, 2018 से स्टाफ सदस्य ऊपर उल्लिखित कार्य क्षेत्रों में नियुक्त किए जाने से पहले ही आवश्यक प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लेंगे। f. यदि किसी कर्मचारी ने पहले ही किसी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तावित ग्रेज्युएट, डिप्लोमा और प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम पूर्ण कर लिया हो तो उसे भी मान्यता/ प्रमाणन के रूप में माना जा सकता है। 4. जैसा कि उपर्युक्त पैरा 3 में उल्लिखित है, बैंकों को समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन के संबंध में विस्तृत नीति भी तैयार करनी चाहिए, जिसमें कार्यान्वयन की दिशा और निगरानी की योजना शामिल हो। इसे दिसंबर 2016 के अंत तक किया जाए। बैंकों के बोर्ड आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करें और कार्यान्वयन की निगरानी करें। भवदीय, (अजय कुमार चौधरी) |