चैक संबंधी धोखाधड़ी के मामले - रोकथाम के उपाय - आरबीआई - Reserve Bank of India
चैक संबंधी धोखाधड़ी के मामले - रोकथाम के उपाय
भारिबैं/2014-15/294 5 नवंबर, 2014 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/महोदय, चैक संबंधी धोखाधड़ी के मामले - रोकथाम के उपाय चैक संबंधी धोखाधड़ी मामलों की संख्या में वृद्धि एक गंभीर समस्या है। यह स्पष्ट है कि यदि चैकों के लेन-देन और/या प्रोसेसिंग के समय तथा नए खातों के खुलने के समय समुचित सावधानी बरती गयी होती तो ऐसी बहुत सी धोखाधड़ियों को रोका जा सकता था। अत:, बैंकों को यह सूचित किया जाता है कि वे चैक प्रस्तुति/स्वीकृति तथा खाता निगरानी प्रक्रियाओं में नियंत्रणों की समीक्षा करें तथा उन्हें सशक्त बनाएँ और यह सुनिश्चित करें कि रोकथाम उपायों सहित सभी प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशो का संबन्धित स्टाफ/अधिकारियों द्वारा ध्यानपूर्वक पालन किया जाता है। इस संबंध में रोकथाम के कुछ उपाय नीचे दिये गए है जिनका बैंक अनुपालन करें । यह सूची केवल निर्देशात्मक है।
बैंक द्वारा लिये-दिये गए चैकों की मात्रा या बैंक की जोखिम वहन क्षमता के आधार पर बोर्ड के अनुमोदन के उपरांत उपरोक्त ऊपरी सीमाओं (Threshold limits ) को घटाया व बढ़ाया जा सकता है। 2. उपरोक्त के अतिरिक्त, संदेहास्पद या बड़ी राशि के चैकों (खाते के सामान्य स्तर के प्रचालनों के संबंध में) के लेन-देन हेतु बैंक निम्नलिखित रोकथाम उपायों पर विचार करें : क) फोन काल द्वारा ग्राहक को अलर्ट करना तथा भुगतानकर्ता/आहरणकर्ता से पुष्टि प्राप्त करना ख) नॉन-होम चैकों के मामले में मूल शाखा से संपर्क करना। यदि उपरोक्त उपायों को प्रणालीगत रूप से लागू करना संभव न हो तो उन्हें चयनात्मक आधार पर अपनाया जा सकता है। 3. प्राप्त सूचनानुसार, कुछ मामलों में यद्यपि मूल चैक ग्राहक के पास थे, तथापि उसी क्रम के चैकों को धोखाधड़ीकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत कर पैसे निकाल लिए गए । इस संबंध में, बैंकों को यह सूचित किया जाता है कि वे उचित सावधानी उपाय करें और यह सुनिश्चित करें कि गोपनीय सूचना जैसे कि ग्राहक का नाम/ खाता संख्या/ हस्ताक्षर, चैक क्रम संख्या तथा अन्य संबन्धित जानकारी का बैंक या वेंडर (प्रिन्टर, कूरियर इत्यादि) द्वारा आपसी मिलीभगत से दुरुपयोग न होने पाये। ग्राहकों द्वारा काउंटरों पर चैक प्रस्तुति करने या वसूली बॉक्सों में डाले जाने के समय से ही चैकों की हैंडलिंग में समुचित सावधानी बरती जाये। भवदीय (मनोज शर्मा) |