स्पष्टीकरण – पोर्टफोलियो निवेश योजना के तहत निवेशों के लिए सकल विदेशी संस्थागत निवेशक/ अनिवासी भारतीय सीमाओं में वृध्दि हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक को पूर्व सूचना देना - आरबीआई - Reserve Bank of India
स्पष्टीकरण – पोर्टफोलियो निवेश योजना के तहत निवेशों के लिए सकल विदेशी संस्थागत निवेशक/ अनिवासी भारतीय सीमाओं में वृध्दि हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक को पूर्व सूचना देना
भारिबैंक/2011-12/453 19 मार्च 2012 सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, स्पष्टीकरण – पोर्टफोलियो निवेश योजना के तहत निवेशों के लिए सकल विदेशी संस्थागत निवेशक/ अनिवासी भारतीय सीमाओं में वृध्दि हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक को पूर्व सूचना देना प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंकों का ध्यान समय- समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं फेमा. 20/2000-आरबी अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 2 और 3 के उपबंधों की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) तथा अनिवासी भारतीयों (NRI) को भारत में मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंजों पर (पंजीकृत दलालों के माध्यम से) किसी भारतीय कंपनी के शेयरों तथा परिवर्तनीय डिबेंचरों की खरीद/बिक्री करने की अनुमति, अन्य बातों के साथ-साथ, भारतीय कंपनी द्वारा जारी परिवर्तनीय डिबेंचरों की प्रत्येक श्रृंखला की चुकता ईक्विटी पूंजी अथवा चुकता मूल्य के क्रमश: 24 प्रतिशत तथा 10 प्रतिशत की सकल निवेश सीमा की शर्त पर दी गयी है । 2. एतद्द्वारा यह स्पष्ट किया जाता है कि सकल विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निवेश सीमा 24 प्रतिशत से सैक्टोरेल कैप/सांविधिक सीमा तक, जैसा कि संबंधित भारतीय कंपनी के लिए लागू है, बढ़ाने अथवा सकल अनिवासी भारतीयों द्वारा निवेश सीमा 10 प्रतिशत से 24 प्रतिशत तक बढ़ाने वाली भारतीय कंपनी, अब तक की भांति, भारतीय रिज़र्व बैंक को अनिवार्यत: तुरंत सूचित करेगी, तथा उसके साथ कंपनी सचिव से इस आशय का प्रमाणपत्र संलग्न करेगी कि समय-समय पर यथा संशोधित मौजूदा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के विनियमों तथा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति के सभी संबंधित प्रावधानों का अनुपालन किया गया है । 3. यह भी नोट किया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय कंपनियों में विदेशी संस्थागत निवेशक/ अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति के निवेशों की उच्चतम सीमा की दैनिक आधार पर निगरानी करता है। विदेशी निवेश की उच्चतम सीमाओं की प्रभावी निगरानी के लिए, रिज़र्व बैंक ने कट-ऑफ पॉइंट (cut-off point) निर्धारित किए हैं, जो वास्तविक उच्चतम सीमा से दो प्रतिशत पॉइंट कम हैं । जैसे ही विदेशी संस्थागत निवेशकों/अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों द्वारा कंपनी के ईक्विटी शेयरों की सकल निवल खरीद, समग्र सीमा के नीचे 2 प्रतिशत के कट ऑफ पॉइंट (cut-off point) तक पहुँचती है, रिज़र्व बैंक, सभी नामित बैंक शाखाओं को सतर्क करता है कि किन्हीं विदेशी संस्थागत निवेशकों/अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों के पक्ष में संबंधित कंपनी के ईक्विटी शेयरों की कोई और खरीद रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना न करें । तत्पश्चात संलग्न कार्यालयों (link offices) से अपेक्षित है कि वे अपने विदेशी संस्थागत निवेशक/अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति ग्राहकों के पक्ष में कंपनी के खरीदे जाने वाले प्रस्तावित ईक्विटी शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों की कुल संख्या तथा मूल्य के बारे में रिज़र्व बैंक को अवगत करायें । रिज़र्व बैंक इस प्रकार के प्रस्तावों की प्राप्ति पर कंपनियों में, यथा लागू, निवेश से संबंधित सीमाओं (जैसे, 10 / 24 / 30 / 40 / 49 प्रतिशत सीमा अथवा सैक्टोरेल कैप/सांविधिक उच्चतम सीमा), तक पहुंचने हेतु पहले आये सो पहले पाये (first-come-first served) आधार पर अनुमति (क्लीयरंस) देता है । सकल उच्चतम सीमा तक पहुंचने पर, रिज़र्व बैंक, सभी नामित बैंक शाखाओं को अपने विदेशी संस्थागत निवेशक/अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति ग्राहकों के पक्ष में खरीद रोकने की सूचना देता है । रिज़र्व बैंक इन कंपनियों में निवेश के प्रति आम लोगों को 'सतर्क करने' तथा 'खरीद रोकने' के संबंध में एक प्रेस प्रकाशनी जारी करता है और भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर उसके बारे में अद्यतन सूची प्रदर्शित करता है । 4. प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों और घटकों को तत्काल अवगत करायें । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (मीना हेमचंद्र) |