गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा वित्तपोषित वाहनों को पुन: कब्जे (repossession) में लेने के संबंध में स्पष्टीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा वित्तपोषित वाहनों को पुन: कब्जे (repossession) में लेने के संबंध में स्पष्टीकरण
भारिबैं/2008-09/454 24 अप्रैल 2009 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ प्रिय महोदय, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा वित्तपोषित वाहनों को कृपया 28 सितंबर 2006 का हमारा परिपत्र सं. गैबैंपवि.(नीति प्रभा.)कंपरि. सं. 80/03.10.042/2005-06 देखें जिसमें गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूचित किया गया है कि वे अपने निदेशक बोर्ड की मंजूरी से "उचित व्यवहार संहिता" लागू करें जिसमें, अन्य बातों के साथ-साथ, ऋणों की वसूली नीति भी शामिल हो। 2. इस संबंध में, वाहनों को पुन: कब्जे में लेने संबंधी पृच्छा/संदर्भ विशेष के बारे में यह और स्पष्ट किया जाता है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा ’पुन: कब्जे में लेने की शर्त’ उधारकर्ताओं के साथ की जाने वाली संविदा/ किए जाने वाले करार का अंग होना चाहिए जो विधिक रूप से प्रवर्तनीय हो। इस बारे में पारदर्शिता के लिए संविदा / ऋण करार की शर्तों में (क) प्रतिभूति को कब्जे में लेने से पूर्व नोटिस - अवधि, (ख) परिस्थितियाँ जिनमें नोटिस अवधि से छूट दी जा सकती हो, (ग) प्रतिभूति को कब्जे में लेने की प्रणाली, (घ) संपत्ति की बिक्री /नीलामी से पूर्व उधारकर्ता को चुकौती करने का अंतिम मौका देने संबंधी प्रावधान, (ङ) उधारकर्ता को पुन: कब्जा देने की प्रणाली और (च) संपत्ति की बिक्री/नीलामी की प्रणाली संबंधी प्रावधान शामिल होने चाहिए। उधारकर्ता को ऐसी शर्तों की एक प्रति अवश्य उपलब्ध करायी जानी चाहिए जैसाकि 10 अक्तूबर 2007 के हमारे परिपत्र गैबैंपवि.नीति प्रभा./कंपरि.सं. 107/ 03.10.042/ 2007-08 में अपेक्षित है, साथ ही उक्त परिपत्र में सूचित किये अनुसार गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियाँ ऋण करार की प्रति तथा ऋण करार में उद्धृत सभी अनुलग्नको, जो ऐसी संविदा/ऋण करार का महत्त्वपूर्ण अंग हों, की एक-एक प्रति सभी उधारकर्ताओं को ऋणों की स्वीकृति देते /का वितरण करते समय उपलब्ध कराएं। भवदीय (पी. कृष्णमूर्ति) |