इफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों से संबद्ध कंपनियों द्वारा जारी बांडों में बैंकों द्वारा किये गये निवेशों का वर्गीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
इफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों से संबद्ध कंपनियों द्वारा जारी बांडों में बैंकों द्वारा किये गये निवेशों का वर्गीकरण
आरबीआइ/2009-10/422 23 अप्रैल 2010 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय कृपया वर्ष 2010-11 के वार्षिक नीति वक्तव्य का पैराग्राफ 66 (उद्धरण संलग्न) देखें जिसमें यह प्रस्तावित किया गया है कि बैंकों को इफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों से जुड़ी कंपनियों द्वारा जारी गैर-एसएलआर बांडों में किये गये अपने निवेशों को परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) श्टणी के अंतर्गत वर्गीकृत करने की अनुमति दी जाए । भवदीय (बी.महापात्र) ‘बैंकों द्वारा निवेश संविभाग के वर्गीकरण, मूल्यांकन तथा परिचालन संबंधी विवेकपूर्ण मानदंडों’ पर 01 जुलाई 2009 का मास्टर परिपत्र सं. बैंपविवि. बीपी. बीसी. 3/21.04.141/2009-10 के पैराग्राफ 2.1 (i), (ii), (iii), (iv) तथा (v) का संशोधित रूप i) बैंकों द्वारा परिपक्वता तक धारित किये जाने के इरादे से प्राप्त की गयी प्रतिभूतियों को "परिपक्वता तक धारित" के अंतर्गत वर्गीकृत किया जायेगा । निम्नलिखित निवेशों को ‘परिपक्वता तक धारित’ के अंतर्गत वर्गीकृत किया जायेगा, परंतु उन्हें इस श्टणी के लिए विनिर्दिष्ट 25 प्रतिशत की उच्चतम सीमा के प्रयोजन के लिए हिसाब में नहीं लिया जायेगा । (क) पुन: पूंजीकरण संबंधी आवश्यकता के लिए भारत सरकार से प्राप्त तथा उनके निवेश संविभाग में रखे गये पुन: पूंजीकरण बांड । निवेश के प्रयोजनों के लिए अर्जित अन्य बैंकों के पुन: पूंजीकरण बांड इसमें शामिल नहीं किये जायेंगे । (ख) सहायक संस्थाओं और संयुक्त उद्यमों में किये गये निवेश । (संयुक्त उद्यम उसे कहा जायेगा, जिसकी ईक्विटी का 25 प्रतिशत से अधिक भाग सहायक संस्थाओं सहित उस बैंक के पास हो ।) (ग) इफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों में लगी कंपनियों द्वारा जारी दीर्घकालिक बांडों (सात वर्ष की न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता अवधि वाली) में निवेश। (iii) एचटीएम श्टणी के अंतर्गत कुल निवेशों के 25 प्रंतिशत की सीमा से अधिक निवेश करने की अनुमति बैंकों को 2 सितंबर 2004 से दी गयी है, बशर्ते : (क) अतिरिक्त निवेश में केवल सांविधिक चलनिधि अनुपात संबंधी प्रतिभूतियां ही शामिल हों और (ख) एचटीएम श्टणी में धारित सांविधिक चलनिधि अनुपात संबंधी कुल प्रतिभूतियां दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को उनकी मांग और मीयादी देयताओं के 25 प्रतिशत से अधिक न हों । (क) अपनी पुन: पूंजीकरण अपेक्षा के लिए तथा अपने निवेश संविभाग में धारित भारत सरकार से प्राप्त नये पुन: पंजीकरण बांड । इसमें निवेश के प्रयोजन हेतु अर्जित दूसरे बैंकों के पुन: पूंजीकरण बांड शामिल नहीं होंगे । (ख) सहायक कंपनियों तथा संयुक्त उद्यमों की ईक्विटी में नये निवेश । (ग) ग्रामीण मूलभूत सुविधा विकास निधि (आरआइडीएफ)/भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी)/ ग्रामीण आवास विकास निधि (आरएचडीएफ) जमाराशियां । (v) संक्षेप में, बैंक एचटीएम श्टणी के अंतर्गत निम्नलिखित प्रतिभूतियां धारण कर सकते हैं : (क) दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को अपनी मांग और मीयादी देयताओं के 25 प्रतिशत तक सांविधिक चलनिधि अनुपात संबंधी प्रतिभूतियां । (ख) 2 सितंबर 2004 को एचटीएम के अंतर्गत शामिल गैर-सांविधिक चलनिधि अनुपात संबंधी प्रतिभूतियां । (ग) अपनी पुन: पूंजीकरण अपेक्षा के लिए तथा निवेश संविभाग में धारित भारत सरकार से प्राप्त नये पुन: पूंजीकरण बांड । (घ) सहायक कंपनियों तथा संयुक्त उद्यमों में नये निवेश । (ङ) ग्रामीण मूलभूत सुविधा विकास निधि/भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी)/ ग्रामीण आवास विकास निधि (आरएचडीएफ) जमाराशियां। वर्ष 2010-11 के वार्षिक नीति वक्तव्य के पैराग्राफ 66 का उद्धरण 66. वर्तमान में, गैर-एसएलआर बांडों में बैंकों के निवेशों को या तो व्यापार के लिए धारित (एचएफटी) या बिक्री के लिए उपलब्ध (एएफएस) के अधीन वर्गीकृत किया जाता है और इन पर ‘मार्क टू मार्केट’ की अपेक्षाओं की शर्त लागू होती है। इस बात को देखते हुए कि आधारभूत संरचना गतिविधियों का कार्य करनेवाली कंपनियों द्वारा जारी दीर्घावधिक बांडों को आम तौर पर बैंक एक लंबी अवधि के लिए रखे रहते हैं और इनके सौदे नहीं किए जाते हैं और साथ ही बैंकों को ऐसे बांडों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने की दृष्टि से यह प्रस्ताव है क: |