धोखाधड़ी के मामले बंद करना - वर्तमान मानदंडों में शिथिलता - आरबीआई - Reserve Bank of India
धोखाधड़ी के मामले बंद करना - वर्तमान मानदंडों में शिथिलता
भारिबैं RBI/2008-09-492 5 जून 2009 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंको के अध्यक्ष महोदय/महोदया धोखाधड़ी के मामले बंद करना - वर्तमान मानदंडों में शिथिलता कृपया धोखाधड़ियाँ - वर्गीकरण तथा सूचना देने के संबंध में 1 जुलाई 2008 का हमारा मास्टर परिपत्र बैंपवि.एफआरएमसी.सं. 15/23.004.001/2007-08 देखें । उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 4.1.4 के अनुसार धोखाधड़ी के मामले निम्नलिखित के पश्चात ही बंद कर सकते हैं :
2. हमें अनेक बैंकों से इस आशय के प्रतिवेदन प्राप्त हो रहे थे जिनमें यह अनुरोध किया गया था कि हम उन्हें धोखाधड़ियों के ऐसे मामले बंद करने की अनुमति प्रदान करें जिनमें उनकी ओर समस्त कार्रवाई पूरी हो चुकी हैं किंतु सीबीआई/पुलिस द्वारा जाँच अथवा इन एजेंसियों द्वारा न्यायालय में दायर वाद कई वर्षों से अबतक अनिर्णीत हैं । इसके परिणाम स्वरूप बैंकों के अभिलेखों में बड़ी संख्या में धोखाधड़ी के बकाया मामले इकट्ठे हो गए है जिससे स्टेक धारकें/जनता के समक्ष बैंकों की एक प्रतिकूल छवि प्रतिबिंबित होती है जिससे न केवल उन्हें प्रतिष्ठा जोखिम का सामना करना पड़ता है अपितु अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा उनका साख निर्धारण भी निचली श्रेणी में किया जाता है 3. बैंकों द्वारा उपरिकथित प्रतिवेदनों को ध्यान में रख कर हमने इस मामले की समीक्षा की है तथा यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों को 25.00 लाख रुपये तक की राशि के ऐसे मामले सीमित सांख्यिकीय/रिपोर्टिंग प्रयोजन के लिए बंद करने की अनुमति दी जाएगी जहाँ :
4. अब बंद किए जाने के लिए पात्र ठहराए जाने वाले इन मामलों के संबंध में बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक के उस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में मामलेवार प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा जिसके अधिकार क्षेत्र में उनका प्रधान कार्यालय स्थित है । भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के अनुमोदन के पश्चात मामले बंद किए जा सकते हैं । बैंकों को एक अलग लेजर में ऐसे मामलों का अभिलेख रखना होगा । धोखाधड़ियों के मामलों के सीमित सांख्यिकीय प्रयोजनों से बंद करने के पश्चात भी बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए कि अन्वेषण की कार्रवाई निर्णायक स्थिति तक पहुंचे, जाँच एजेंसियों (सीबीआई/पुलिस) के साथ गंभीरतापूर्वक अनुवर्ती कार्रवाई करनी होगी । इसी प्रकार बैंकों को यह सुनिश्चित करते रहना होगा कि जब भी अपेक्षित हो वे न्यायालय की कार्रवाईयों में नियमित रूप से तथा उचित रूप से उपस्थित रहें । ऐसे मामलों से संबंधित सभी संगत अभिलेख सीबीआई/पुलिस अथवा न्यायालय द्वारा, जो भी लागू हो, अंतिम रूप से निपटाए जाने तक सुरक्षित रखे जाएं। 5. बैंक अपने-अपने बोर्डों के अनुमोदन से उपर्युक्त संशोधित मानदंडों तथा आवश्यक समझे जाने वाली आंतरिक क्रियाविधियों/नियंत्रणों को समाहित करते हुए ऐसे धोखाधड़ियों के मामले बंद करने के संबंध में अपनी आंतरिक नीति निर्धारित कर सकते हैं । 6. इस तथ्य के बावजूद कि सीबीआई/पुलिस जाँच जारी रहते हुए अथवा न्यायालय में विचाराधीन रहते हुए भी बैंक धोखाधड़ी के मामले बंद कर सकते हैं, उन्हें निर्धारित समय सीमा में स्टाफ की जवाबदेही की जाँच प्रक्रिया अथवा स्टाफ पर की जाने वाली कार्रवाई पूरी करनी चाहिए 7. धोखाधड़ियों के ऐसे मामलों को बंद करने के लिए, जो 25.00 लाख रुपये से अधिक के हों, उपर्युक्त पैराग्राफ सं.1 में (क) से (ङ) तक की सभी शर्तें पूरी की जानी अनिवार्य हैं । इस श्रेणी की धोखाधड़ियों के मामले बंद किए जाने संबंधी मानदंडों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। भवदीय (पी.के. पंडा) |