इरादतन चूककर्ताओं सबंधी जानकारी एकत्रित और प्रसारित करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
इरादतन चूककर्ताओं सबंधी जानकारी एकत्रित और प्रसारित करना
आरबीआई/2014-15/566 23 अप्रैल 2015 i) सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदय /महोदया, इरादतन चूककर्ताओं सबंधी जानकारी एकत्रित और प्रसारित करना कृपया इरादतन चूककर्ताओं पर 7 जनवरी 2015 का मास्टर परिपत्र बैंविवि. सं. सीआईडी.बीसी. 57/20.16.003/2014-15 देखें । 2. परिपत्र का पैरा 3 निम्नानुसार संशोधित किया गया है (संशोधित भाग को गहरे तथा तिरछे अक्षरों में दर्शाया गया है): “3. इरादतन चूककर्ताओं की पहचान की प्रक्रिया इरादतन चूककर्ताओं से संबंधित उपर्युक्त मास्टर परिपत्र के पैरा 2.5 (घ) में दी गई पारदर्शी प्रक्रिया में समान्यतया निम्नलिखित बातें शामिल होती हैं - (क) किसी खास समय पर उधारकर्ता कंपनी तथा उसके प्रमोटर/ पूर्णकालिक निदेशक की ओर से इरादतन चूक होने के प्रमाण की जांच एक ऐसी समिति द्वारा की जानी चाहिए जिसके अध्यक्ष कार्यपालक निदेशक हों तथा उसमें महाप्रबंधक/उप महाप्रबंधक स्तर के दो उच्चाधिकारी शामिल हों। (ख) अगर समिति इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि इरादतन चूक की घटना घटी है तो वह संबंधित उधारकर्ता कंपनी तथा उसके प्रमोटर/पूर्णकालिक निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी करेगी और उनसे उत्तर मांगेगी और उनसे प्राप्त उत्तर पर विचार करने के बाद इरादतन चूक के तथ्यों तथा इसके कारणों को अभिलिखित करते हुए एक आदेश जारी करेगी। यदि समिति जरूरी समझे तो उधारकर्ता कंपनी तथा उसके प्रमोटर/पूर्णकालिक निदेशक को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का मौका भी दिया जाना चाहिए। (ग) समिति के आदेश की समीक्षा एक अन्य समिति द्वारा की जाए जिसके प्रमुख अध्यक्ष/मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंधक निदेशक होंगे और इसमें उनके अलावा बैंक के दो स्वतंत्र निदेशक भी शामिल होंगे तथा उपर्युक्त समीक्षा समिति द्वारा पुष्टि किए जाने के बाद ही आदेश को अंतिम रूप दिया जाए। (घ) गैर-प्रमोटर/गैर-पूर्णकालिक निदेशक के संबंध में, इस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए कि कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(60) में की गई व्याख्या में चूक कर्ता अधिकारी उसी को माना जाएगा जो निदेशकों की निम्नलिखित श्रेणियों में आता हो: (i) पूर्णकालिक निदेशक (ii) जहां कोई प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिक न हो, ऐसा निदेशक अथवा ऐसे निदेशक जिनको बोर्ड द्वारा इस संबंध में विनिर्दिष्ट किया गया है और जिन्होंने ऐसे विनिर्देशन के लिए बोर्ड को लिखित रूप से अपनी सहमति दी है, अथवा यदि किसी भी निदेशक को विनिर्दिष्ट न किया गया हो तो उस स्थिति में सभी निदेशक; (iii) इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन की स्थिति में प्रत्येक निदेशक, जिसे ऐसे उल्लंघन की जानकारी बोर्ड की किसी भी कार्यवाही के प्राप्त होने के आधार पर रही हो अथवा उसने ऐसी कार्यवाही में भाग लिया हो और इस बारे में आपत्ति दर्ज न की हो, या जहां ऐसा उल्लंघन उसकी सहमति या साँठगाँठ से हुआ हो। (iv) अत: कुछ दुर्लभ मामलों को छोड़कर, एक गैर-पूर्णकालिक निदेशक को इरादतन चूककर्ता नहीं माना जाएगा जब तक कि निर्णायक रूप से यह साबित न हो जाए कि -
तथापि, उपर्युक्त अपवाद प्रमोटर निदेशक पर लागू नहीं होंगे भले ही वह एक पूर्णकालिक निदेशक न हो। (ङ) ऊपर दिए गए उप पैरा (क) से (ग) में दी गई प्रकिया जैसी ही प्रक्रिया कापालन प्रमोटर निदेशक को छोड़कर गैर-पूर्णकालिक निदेशक की इरादतन चूककर्ता के रूप में पहचान करते समय किया जाना चाहिए।” भवदीय (राजिंदर कुमार) |