बैंकों में अनुपालन कार्य और मुख्य अनुपालन अधिकारी (सीसीओ) की भूमिका - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों में अनुपालन कार्य और मुख्य अनुपालन अधिकारी (सीसीओ) की भूमिका
भारिबैं/2020-21/35 11 सितम्बर, 2020 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया/महोदय, बैंकों में अनुपालन कार्य और मुख्य अनुपालन अधिकारी (सीसीओ) की भूमिका कृपया, अनुपालन कार्यों पर दिशानिर्देशों के संबंध में 20 अप्रैल 2007 के हमारे परिपत्र संख्या DBS.CO.PP.BC.6/11.01.005/2006-07 और 04 मार्च 2015 के परिपत्र संख्या DBS.CO.PPD.10946/11.01.005/2014-15 का संदर्भ लें। 2. सुदृढ़ अनुपालन प्रणाली के हिस्से के रूप में, बैंकों को अन्य बातों के साथ-साथ एक प्रभावी अनुपालन संस्कृति, स्वतंत्र कॉर्पोरेट अनुपालन कार्य और बैंक और समूह स्तर पर एक मजबूत अनुपालन जोखिम प्रबंधन कार्यक्रम की आवश्यकता होती है। अनुपालन जोखिम को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए उपयुक्त 'फिट एंड प्रोपर' मूल्यांकन/ चयन मानदंड के साथ उपयुक्त प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए नामित मुख्य अनुपालन अधिकारी (सीसीओ) की अध्यक्षता में इस तरह के एक स्वतंत्र अनुपालन कार्य की आवश्यकता होती है। हालांकि, यह देखा गया है कि बैंक इस संबंध में विविध प्रथाओं का पालन करते हैं। निम्नलिखित दिशानिर्देश बैंकों के दृष्टिकोण में एकरूपता लाने के लिए हैं, साथ ही सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ सीसीओ से पर्यवेक्षी उम्मीदों पर खरा उतरने की अपेक्षाएँ भी हैं। 2.1 नीति - बैंक बोर्ड द्वारा अनुमोदित अनुपालन नीति लागू करेगा जिसमें, इसका अनुपालन-दर्शन, उच्चाधिकारियों के दृष्टिकोण को शामिल करते हुए अनुपालन संस्कृति पर अपेक्षाएं, जवाबदेही, प्रोत्साहन संरचना और प्रभावी संवाद और उनकी चुनौतियां, अनुपालन कार्य की संरचना और भूमिका, सीसीओ की भूमिका, पूरे बैंक में अनुपालन जोखिम की पहचान, आकलन, निगरानी, प्रबंधन और रिपोर्टिंग की प्रक्रियाओं की स्पष्ट रूप से व्याख्या शामिल हो। यह, अन्य बातों के साथ-साथ, बैंक के आकार, जटिलता और अनुपालन जोखिम प्रोफ़ाइल, सभी लागू वैधानिक प्रावधानों, नियमों और विनियमों, विभिन्न आचार संहिताओं (स्वैच्छिक सहित) का अनुपालन सुनिश्चित करने की अपेक्षाएँ और बैंक के अपने आंतरिक नियमों, नीतियों और प्रक्रियाओं को पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित करने वाला और अनुपालन उल्लंघनों को हतोत्साहित करने वाला होना चाहिए। बैंक, अनुपालन कार्य के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए गुणवत्ता आश्वासन और सुधार कार्यक्रम का विकास और रखरखाव भी करेगा। गुणवत्ता आश्वासन और सुधार कार्यक्रम समय-समय पर (तीन वर्षों में कम से कम एक बार) स्वतंत्र बाहरी समीक्षा के अधीन होगा। इस नीति में, अनुपालन संस्कृति के निर्माण, बैंक के शीर्ष अधिकारियों, गैर-कार्यकारी अध्यक्ष/ अध्यक्ष और एसीबी द्वारा आरबीआई को भेजी जाने वाली पर्यवेक्षी/ विनियामक अनुपालन रिपोर्ट की गुणवत्ता का पुनरीक्षण, जैसी भी स्थिति हो, पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए। इस नीति की समीक्षा वर्ष में कम से कम एक बार की जाएगी। 2.2 सीसीओ की नियुक्ति की अवधि - सीसीओ को न्यनूतम 3 वर्ष के निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाएगा। बोर्ड की लेखा परीक्षा समिति (एसीबी)/ प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं सीईओ, सीसीओ नियुक्त करते समय इस आवश्यकता का ध्यान रखेंगे। 2.3 सीसीओ का स्थानांतरण/ पदच्युति - सीसीओ को, सुपरिभाषित और पारदर्शी आंतरिक प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन करते हुए बोर्ड की स्पष्ट पूर्व स्वीकृति के साथ केवल असाधारण परिस्थितियों में कार्यकाल पूरा होने से पहले स्थानांतरित/ हटाया जा सकता है। 2.4 सीसीओ के रूप में नियुक्ति के लिए पात्रता मानदंड - रैंक - सीसीओ बैंक का एक वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी होगा, अधिमानतः महाप्रबंधक या समकक्ष पद (सीईओ से दो स्तरों से नीचे नहीं) के रैंक का। बाहर से भी सीसीओ की भर्ती की जा सकती है; आयु - 55 वर्ष से अधिक नहीं; अनुभव - सीसीओ को बैंकिंग या वित्तीय सेवाओं में कम से कम 15 वर्षों का समग्र अनुभव होगा, जिसमें से न्यूनतम 5 वर्ष के अनुभव लेखा परीक्षा/ वित्त/ अनुपालन/ विधि/ जोखिम प्रबंधन कार्यों में होंगे; कौशल - सीसीओ को बैंकिंग उद्योग और जोखिम प्रबंधन का अच्छा ज्ञान, विनियमों का ज्ञान, विधिक ढांचे और पर्यवेक्षकों की अपेक्षाओं के प्रति संवेदनशीलता होना चाहिए; महत्त्व - सीसीओ में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की शक्ति होगी। उसके पास विनियामकों/ पर्यवेक्षकों के साथ सीधे बातचीत करने और अनुपालन सुनिश्चित करने की स्वतंत्रता और पर्याप्त अधिकार होना चाहिए; अन्य - सीसीओ के रूप में नियुक्ति के लिए चिह्नित होने वाले उम्मीदवार के खिलाफ कोई सतर्कता मामला लम्बित नहीं होना चाहिए या आरबीआई ने उसके विरुद्ध कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की हो। 2.5 चयन प्रक्रिया - सीसीओ के पद के लिए उम्मीदवार का चयन एक सुपरिभाषित चयन प्रक्रिया और इस उद्देश्य के लिए बोर्ड द्वारा गठित वरिष्ठ कार्यकारी स्तर की चयन समिति द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर किया जाएगा। चयन समिति योग्यता के क्रम में रैंक के अनुसार सीसीओ के पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश करेगी और बोर्ड सीसीओ की नियुक्ति के संबंध में अंतिम निर्णय लेगा। 2.6 रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ - सीसीओ की नियुक्ति, समय से पहले स्थानांतरण/ पदच्युति से पहले पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई को पूर्व सूचना दी जाएगी। इस तरह की सूचना, उम्मीदवार की एक विस्तृत प्रोफ़ाइल के साथ दी जाए जो बैंक के एमडी और सीईओ द्वारा पूरी तरह प्रमाणित हो और जिसमें यह पुष्टि की गई हो कि व्यक्ति उपर्युक्त पर्यवेक्षी अपेक्षाओं को पूरा करता है और कोई परिवर्तन हो तो उसका विस्तृत कारण दिया जाए। 2.7 रिपोर्टिंग लाइन - सीसीओ सीधे बैंक के एमडी और सीईओ और/ या बोर्ड/ बोर्ड समिति (एसीबी) को रिपोर्ट करेगा। यदि सीसीओ, एमडी और सीईओ को रिपोर्ट करता है तो बोर्ड की लेखा परीक्षा समिति, वरिष्ठ प्रबंधन (जिसमें एमडीओ एवं सीईओ शामिल हैं) की अनुपस्थिति में सीसीओ से एकैकी आधार पर त्रैमासिक बैठक करेगी। सीसीओ का बैंक के व्यवसाय वर्टिकल के साथ कोई रिपोर्टिंग संबंध नहीं होगा और उसे कोई व्यावसायिक लक्ष्य नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा, सीसीओ के कार्य-प्रदर्शन मूल्यांकन की समीक्षा बोर्ड/ एसीबी द्वारा की जाएगी। 2.8 प्राधिकार - सीसीओ और अनुपालन कार्य के पास किसी भी स्टाफ-सदस्य के साथ संवाद का अधिकार होगा और अनुपालन कार्य हेतु सौंपी गई जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आवश्यक सभी रिकॉर्ड या फाइलों तक उसकी पहुंच होगी। यह प्राधिकार बैंक की अनुपालन नीति से संचालित होगा। 2.9 अनुपालन कार्य के कर्तव्य और जिम्मेदारियां - इनमें कम से कम निम्नलिखित गतिविधियां शामिल होंगी:
2.10 आंतरिक लेखा-परीक्षा - अनुपालन कार्य आंतरिक लेखा परीक्षा के अधीन होगा; 2.11 दोहरी जिम्मेदारी - कोई दोहरी जिम्मेदारी नहीं होगी अर्थात् सीसीओ को ऐसी कोई जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी जिससे हितों का टकराव उपस्थित हो विशेष रूप से कारोबार से संबंधित भूमिका। ऐसी भूमिका जिसमें प्रत्यक्ष रूप से हितों का टकराव नहीं हो जैसे- धन-शोधन रोधी अधिकारी इत्यादि की भूमिका का निर्वाह सीसीओ द्वारा उन बैंकों में किए जा सकते हैं जहाँ बैंक के आकार, जटिलता, जोखिम प्रबंधन रणनीति और संरचनाओं के संदर्भ में अनुरूपता का सिद्धांत इसे उचित ठहराता है। 2.12 सीसीओ, खरीद/ स्वीकृति का कार्य करने वाली किसी समिति सहित ऐसे किसी भी समिति का सदस्य नहीं होगा जिसमें समिति के सदस्य के रूप में उसकी जिम्मेदारी उसकी भूमिका के प्रतिकूल हो। यदि सीसीओ किसी समिति का सदस्य है, तो उसकी भूमिका केवल सलाहकार की होगी। 2.13 सीसीओ के अधिदेश के विशिष्ट मूल तत्वों में अनुपालन ढांचे की संरचना और रखरखाव, विनियामक और संचालन जोखिम पर प्रशिक्षण और अनुपालन अपेक्षाओं का प्रभावी संप्रेषण, आदि शामिल होने चाहिए; 2.14 बैंक के निदेशक मंडल बैंक के अनुपालन कार्य और अनुपालन जोखिम के प्रभावी प्रबंधन की देखरेख के लिए समग्र रूप से जिम्मेदार होंगे। एमडी और सीईओ स्वतंत्र अनुपालन कार्य की उपस्थिति और बैंक की अनुपालन नीति का पालन सुनिश्चित करेंगे। 3. परिपत्र में निहित निर्देश इस परिपत्र की तारीख से तुरंत प्रभावी होंगे और कोई भी नई नियुक्ति यहां दिए गए निर्देशों द्वारा नियंत्रित होगी। उन बैंकों में जहां सीसीओ पहले से ही है वे छह महीने की अवधि के भीतर सीसीओ के चयन के लिए उल्लिखित प्रक्रियाओं का पालन करेंगे और अगर वर्तमान पदाधिकारी सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है/ करती है तो उसे सीसीओ के रूप फिर से नियुक्त करने के लिए बैंक स्वतंत्र हैं। 4. यह परिपत्र 20 अप्रैल, 2007 और 04 मार्च, 2015 को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों का पूरक है और मार्गदर्शन के किसी भी सामान्य क्षेत्रों के लिए, इस परिपत्र के निर्देश का पालन किया जाएगा। भवदीय (अजय कुमार चौधरी) |