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फेमा 1999 के अंतर्गत हुए उल्लंघनों की कंपाउंडिंग

 

आरबीआइ/2004-05/355
ए पी(डीआइआर सिरीजॅ)परिपत्र सं.31

फरवरी 1, 2005

सेवा में
विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिवफ्त सभी बैंक

महोदया/महोदय,

फेमा 1999 के अंतर्गत हुए उल्लंघनों की कंपाउंडिंग

प्राधिवफ्त व्यापारियों का ध्यान भारत सरकार के दिनांक 3 मई 2000 के जी.एस.आर.सं.383()िं द्वारा प्रकाशित और 2 नवंबर 2002 के जी.एस.आर.सं.443()िं (प्रति संलग्न) द्वारा यथा संशोधित विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसीडिंग्स) विनियमावली, 2000 की ओर आकर्षित किया जाता है। इन नियमों के अनुसार फेमा 1999 की निम्नलिखित धाराओं के प्रावधानों के अंतर्गत उल्लंघन के कंपाउंडिंग के लिए रिज़र्व बैंक को अधिकार प्रदान किए गए हैं।

क. धारा 7 (माल और सेवाओं का निर्यात)

ख. धारा 8 (विदेशी मुद्रा की वसूली और प्रत्यावर्तन)

ग. धारा 9 (कतिपय मामलों में विदेशी मुद्रा की वसूली और प्रत्यावर्तन से छूट)

घ. विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) विनियमावली, 2000 की तीसरी अनुसूची

फेमा, 1999 की धारा 15 के प्रावधान उल्लंघनों के कंपाउडिंग की अनुमति देते हैं तथा न्याय निर्णयन (एडजुडिकेशन) कार्यवाही के स्थापित होने के पहले या बाद में ऐसे उल्लंघन करनेवाले व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर अधिनियम की धारा 13 के अंतर्गत यथापरिभाषित किसी उल्लंघन के कंपाउंडिंग के लिए कंपाउंडिंग प्राधिकारी को अधिकार दिए गए हैं।

2. जान बूझकर किए गए, कपटपूर्ण और छलपूर्ण लेनदेनों के संबंध में कड़ा रुख अपनाते हुए लेनदेनों की लागत को कम करके नागरिकों और कंपनी समुदायों को सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से फेमा के अंतर्गत हुए उल्लंघनों की कंपाउंडिंग के लिए प्रक्रिया को संगत बनाने का निर्णय लिया गया है। अत: भारत सरकार ने रिज़र्व बैंक के परामर्श से फेमा की धारा 3(क) को छोड़कर कंपाउंडिंग के मामलों की ज़िम्मेदारी रिज़र्व बैंक को दी है।

3. तदनुसार, सरकार ने 13 सितंबर 2004 के जी.एस.आर.सं.609(E) द्वारा विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसीडिंग्स) नियमावली, 2000 में संशोधन अधिसूचित किया है। उक्त नियमों की एक प्रति संलग्नक-1 में दी गई है। संशोधन के परिणामस्वरूप, रिज़र्व बैंक और प्रवर्तन निदेशालय के कंपाउंडिंग अधिकार क्रमश: निम्नानुसार आशोधित किए गए हैं।

क) रिज़र्व बैंक को फेमा, 1999 की धारा 3 के खण्ड (क) को छोड़कर पूर्वोक्त अधिनियम की सभी धाराओं के अंतर्गत हुए उल्लंघनों के कंपाउंडिंग के अधिकार दिए गए हैं।

ख) प्रवर्तन निदेशालय फेमा की धारा 3 के खण्ड (क) (अनिवार्य रूप से हवाला लेनदेनों के संबंध में) के अंतर्गत कंपाउंडिंग के अधिकारों का प्रयोग करना जारी रखेंगे।

4. फेमा के अंतर्गत कंपाउंडिंग प्रक्रिया के प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन हेतु रिज़र्व बैंक ने संलग्नक II में दिए गए उल्लंघनों के कंपाउंडिंग के लिए प्रक्रिया तैयार की है। कंपाउंडिंग प्राधिकारी द्वारा किसी उल्लंघन के कंपाउंडिंग कर दिए जाने पर, उल्लंघनकर्ता के विरुद्ध किसी भी तरह की कार्यवाही अथवा आगे कोई कार्यवाही शुरू अथवा जारी, जैसा मामला हो, नहीं की जाएगी।

5. कंपाउंडिंग की प्रक्रिया

5.1 फेमा के अंतर्गत उल्लंघन की सूचना ज्ञापन द्वारा दिए जाने पर अथवा स्वत: प्रेरणा से अथवा उल्लंघन के बारे में मालूम होने पर फेमा के अंतर्गत उल्लंघन के कंपाउंडिंग का आवेदन कंपाउंडिंग प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। आवेदन पत्र का फार्मेट विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसीडिंग्स) नियमावली के साथ संलग्न है।

5.2 किसी उल्लंघन के कंपाउंडिंग के लिए आवेदन, निर्धारित फार्म में ज्ञापन की प्रति के साथ, जहां लागू हो, निर्धारित शुल्क डजैसा कि विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसीडिंग्स) नियमावली, 2000 में बताया गया है संबंधित तथ्यों और अन्य समर्थक दस्तावेजों के साथ कंपाउंडिंग प्राधिकारी डफेमा के प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन के लिए कक्ष(सीईएफए) विदेशी मुद्रा विभाग, 11वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, फोर्ट, मुंबई 400 001 को प्रस्तुत किया जाना है।

5.3 कंपाउंडिंग के लिए आवेदन की प्राप्ति पर कार्यवाही समाप्त की जाएगी तथा कंपाउंडिंग प्राधिकारी कंपाउंडिंग के आवेदन की प्राप्ति की तारीख से 180 दिनों के भीतर आदेश जारी करेगा।

5.4 वह राशि, जिसके उल्लंघन के संबंध में कंपाउंडिंग की गई है, कंपाउंडिंग के आदेश की तारीख से 15 दिनों के अंदर अदा की जाएगी।

5.5 आवेदन शुल्क तथा वह राशि, जिसके संबंध में उल्लंघन के लिए कंपाउंडिंग की गई है, कंपाउंडिंग प्राधिकारी, अर्थात् "भारतीय रिज़र्व बैंक" के पक्ष में मुंबई में देय डिमांड ड्राफ्ट द्वारा अदा की जाएगी।

6. संशोधित कंपाउंडिंग नियमावली के अंतर्गत कंपाउंडिंग की प्रक्रिया और क्रियाविधि की छ: महीने के बाद समीक्षा की जाएगी।

7. प्राधिवफ्त व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।

8. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

 

भवदीय

(एफ.आर. जोसफ)
मुख्य महाप्रबंधक



विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रक्रिया) नियमावली 2000

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 15 की उप-धारा (1) के साथ पठित धारा 46 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार इसके द्वारा उक्त अधिनियम के खण्ड घ्ङ के तहत उल्लंघनों के कंपाउंडिंग से संबंधित निम्नलिखित नियम बनाती है, अर्थात् :-

  1. संक्षित नाम और प्रारंभ -

(1) ये नियम विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रक्रिया) नियमावली 2000 कहलाएगी।

(2) ये 1 जून 2000 को लागू होंगे।

2. परिभाषा - इन नियमों में, जब तक अन्यता अपेक्षित न हो -

(क) "अधिनियम" का अर्थ विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) है;

(ख) "प्राधिवफ्त अधिकारी" का अर्थ नियम 3 के उप-नियम (1) के तहत प्राधिवफ्त कोई अधिकारी है;

(ग) "आवेदक" का अर्थ उस व्यक्ति से है जो कंपाउंडिंग प्राधिकारी को अधिनियम की धारा 15(1) के अंतर्गत आवेदन करता है;

(घ) "कंपाउंडिंग आदेश" का अर्थ अधिनियम की धारा 15 की उप-धारा (1) के अंतर्गत जारी कोई आदेश है;

(ङ) "फार्म" का अर्थ इन नियमों के साथ संलग्न फार्म है;

(च) "धारा" का अर्थ अधिनियम की किसी धारा से है;

(छ) सभी अन्य शब्द और अभिव्यक्तियां, जिनका इन नियमों में प्रयोग किया गया है और परिभाषित नहीं किया गया है किन्तु अधिनियम में परिभाषित किया गया है, का अर्थ अधिनियम में उनके अपने-अपने लिए निर्धारित किए गए अर्थ होंगे।

3. (1) "कंपाउंडिंग प्राधिकारी" का अर्थ उस व्यक्ति से है जिसे अधिनियम की धारा 15 की उप-धारा (1) के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा प्रधिवफ्त किया गया है, अर्थात् :

(क) प्रवर्तन निदेशालय का कोई अधिकारी जो कम से कम उप-निदेशक अथवा उप-विधि परामर्शदाता की श्रेणी का हो।

(ख) भारतीय रिज़र्व बैंक का अधिकारी, जो कम-से-कम सहायक महाप्रबंधक की श्रेणी का हो।

4. उल्लंघनों को कंपाउंड करने के लिए रिज़र्व बैंक के अधिकार

ड(1) यदि कोई व्यक्ति विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 3 के खण्ड (क) को छोड़कर अधिनियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन करता है।

(क) पांच लाख रुपये अथवा उससे कम की राशि के उल्लंघनों के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक के सहायक महाप्रबंधक द्वारा;

(ख) पांच लाख रुपये से अधिक किन्तु बीस लाख रुपये से कम के उल्लंघनों के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के उप महाप्रबंधक द्वारा;

(ग) बीस लाख रुपये से अधिक किन्तु पचास लाख रुपये से कम के उल्लंघनों के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के महाप्रबंधक द्वारा;

(घ) पचास लाख रुपये अथवा उससे अधिक के उल्लंघनों के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक द्वारा;

बशर्ते आगे ऐसे उल्लंघनों में शामिल राशि के परिमाण निर्धारित होने तक किसी भी उल्लंघन की कंपाउंडिंग नहीं की जाएगी।

(2) उप-धारा (1) में दी गई कोई भी बात उस उल्लंघन पर लागू नहीं होगी जो किसी व्यक्ति द्वारा उस दिनांक से तीन वर्ष के अंदर किया गया है जिस दिनांक को उसके द्वारा किए गए समान उल्लंघन के लिए कंपाउंडिंग की गई थी।

स्पष्टीकरण : इस नियम के प्रयोजन के लिए पूर्व में किए गए उल्लंघन की कंपाउंडिंग की तारीख से तीन वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद किए गए किसी दूसरे या बाद के उल्लंघन को पहला उल्लंघन समझा जाएगा।

(3) नियम 4 के उप-नियम (1) के अंतर्गत विनिर्दिष्ट भारतीय रिज़र्व बैंक का प्रत्येक अधिकारी किसी उल्लंघन के कंपाउंडिंग के अधिकार का प्रयोग भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के निदेश, नियंत्रण, पर्यवेक्षण के अधीन करेगा।

(4) इस नियम के अंतर्गत किसी उल्लंघन के कंपाउंडिंग का प्रत्येक आवेदन, फार्म में कंपाउंडिंग प्राधिकारी के पक्ष में 5000/- रुपये के डिमांड ड्राफट के शुल्क के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई को किया जाए।

5. उल्लंघनों के कंपाउंडिंग के लिए प्रवर्तन निदेशालय के अधिकार

ड(1) यदि कोई व्यक्ति विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम की धारा 3(क) के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।

(क) पांच लाख रुपये अथवा उससे कम की राशि के उल्लंघनों के मामले में प्रवर्तन निदेशालय के उप निदेशक द्वारा;

(ख) पांच लाख रुपये से अधिक किन्तु दस लाख रुपये से कम की राशि के उल्लंघनों के मामले में प्रवर्तन निदेशालय के अपर निदेशक द्वारा;

(ग) दस लाख रुपये से अधिक किन्तु पचास लाख रुपये से कम की राशि के उल्लंघनों के मामले में प्रवर्तन निदेशालय के विशेष निदेशक द्वारा;

(घ) पचास लाख रुपये अथवा उससे अधिक किन्तु एक करोड़ रुपये से कम की राशि के उल्लंघनों के मामले में प्रवर्तन निदेशालय के उप विधि परामर्शदाता के साथ विशेष निदेशक द्वारा;

(ङ) एक करोड़ रुपये अथवा उससे अधिक राशि के उल्लंघन की स्थिति में प्रवर्तन निदेशालय के विशेष निदेशक के साथ प्रवर्तन निदेशक द्वारा;

बशर्ते आगे ऐसे उल्लंघनों में शामिल राशि के परिमाण निर्धारित होने तक किसी भी उल्लंघन की कंपाउंडिंग नहीं की जाएगी।

(2) उप धारा 1 में दी गई कोई भी बात उस उल्लंघन पर लागू नहीं होगी जो किसी व्यक्ति द्वारा उस दिनांक से तीन वर्ष के अंदर किया गया है जिस दिनांक को उसके द्वारा किए गए समान उल्लंघन के लिए कंपाउंडिंग इन नियमों के अधीन की गई थी।

स्पष्टीकरण : इस नियम के प्रयोजन के लिए पूर्व में किए गए उल्लंघन की कंपाउंडिंग के दिनांक से तीन वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद किए गए दूसरे या बाद के उल्लंघन को पहला उल्लंघन समझा जाएगा।

(3) इस नियम के उप नियम (1) के अंतर्गत निर्दिष्ट प्रवर्तन निदेशालय का प्रत्येक अधिकारी किसी भी उल्लंघन के कंपाउंडिंग के लिए अधिकार का प्रयोग प्रवर्तन निदेशालय के निदेश, नियंत्रण और पर्यवेक्षण में करेंगे।

(4) इस नियम के अंतर्गत उल्लंघन के कंपाउंडिंग के लिए प्रत्येक आवेदन फार्म में कंपाउंडिंग प्राधिकारी के पक्ष में 5,000/- रुपये के डिमांड ड्राफट के शुल्क के साथ निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय, नई दिल्ली को किया जाए।

6. जहां पैरा 16 के अंतर्गत किसी उल्लंघन के न्याय निर्णयन के पूर्व किसी उल्लंघन की कंपाउंडिंग की जाती है तो ऐसे उल्लंघन के न्याय निर्णयन के लिए ऐसे उल्लंघन के संबंध में उस व्यक्ति के विरुद्ध कोई जांच पड़ताल नहीं की जाएगी जिसके उल्लंघन की इस तरह कंपाउंडिंग की गई है।

7. जहां पैरा 16 की उप-पैरा (3) के अंतर्गत शिकायत करने के बाद किसी उल्लंघन की कंपाउंडिंग की जाती है तो ऐसे कंपाउंडिंग की सूचना नियम 4 और 5 में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी द्वारा निर्णायक प्राधिकारी को लिखित रूप में दी जाए तथा उल्लंघन के कंपाउंडिंग की ऐसी सूचना देने पर उस व्यक्ति, जिसके संबंध में उल्लंघन की इस तरह का कंपाउंडिंग की गई है, को मुक्त कर दिया जाएगा।

8. कंपाउंडिंग करने की प्रक्रिया

(1) कंपाउंडिंग प्राधिकारी कंपाउंडिंग प्रक्रिया से संबंधित कोई भी सूचना, रिकाड़ या संबंधित दस्तावेज की मांग कर सकता है।

(2) कंपाउंडिंग प्राधिकारी यथासंभव शीघ्रता से सभी संबंधितों की सुनवाई करने के बाद आवेदन की तारीख से अधिक से अधिक 180 दिनों के अंदर कंपाउंडिंग के आदेश जारी करेगा।

9. कंपाउंड की गई राशि का भुगतान -

नियम 8 के उप-नियम (2) के अधीन कंपाउंडिंग के आदेश में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार जिस राशि के उल्लंघन के लिए कंपाउंडिंग की जाती है वह ऐसे उल्लंघन के कंपाउंडिंग के आदेश की तारीख से 15 दिनों के अंदर कंपाउंडिंग प्राधिकारी के पक्ष में डिमांड ड्राफट द्वारा अदा की जाएगी।

10. इस नियम में विनिर्दिष्ट समय के अंतर्गत नियम 9 के अनुसार कंपाउंडिंग की गई राशि के भुगतान करने में किसी व्यक्ति के असफल होने के मामले में यह समझा जाएगा कि उस व्यक्ति ने इन नियमों के अंतर्गत किसी उल्लंघन के कंपाउंडिंग के लिए कभी कोई आवेदन नहीं किया है तथा उल्लंघन के लिए अधिनियम के प्रावधान उस पर लागू होंगे।

11. यदि अपील अधिनियम के खण्ड 17 अथवा खण्ड 19 के अंतर्गत फाइल की गई है तो उल्लंघन के लिए कोई कंपाउंडिंग नहीं की जाएगी।

12. कंपाउंडिंग प्राधिकारी के आदेश की विषयवस्तु

(1) प्रत्येक आदेश तथा कथित उल्लंघन के ब्योरों के साथ अधिनियम के उन प्रावधानों या उसके तहत बनाए गए नियम, निदेश अथवा शर्त अथवा आदेश को विनिर्दिष्ट करेंगे जिसके संबंध में उल्लंघन हुआ है।

(2) ऐसे प्रत्येक आदेश पर कंपाउंडिंग प्राधिकारी के हस्ताक्षर उसके सील और दिनांक के साथ होंगे ।

13. आदेश की प्रति

नियम 8(2) के अंतर्गत दिए गए आदेश की एक प्रति आवेदक और निर्णायक प्राधिकारी, जैसा भी मामला हो, को दी जाएगी।


फार्म

(नियम 4 अथवा 5 देखें)
( दो प्रतियों में भरा जाए और जारी किए गए ज्ञापन की अधिप्रमाणित प्रतिलिपि के साथ प्रस्तुत की जाए।)

1. आवेदक का नाम (स्पष्ट अक्षरों में)

2. आवेदक का पूरा पता

3. क्या आवेदक भारत में अथवा भारत के बाहर निवास करता है डवफ्पया अधिनियम की धारा 2(ख्) देखें

4. उस न्याय निर्णयन प्राधिकारी का नाम जिसके पास मामला विचाराधीन है।

5. उल्लंघन का प्रकार डधारा 13 की उप-धारा (1) के अनुसार

6. मामले के संक्षिप्त तथ्य

7. कंपाउंडिंग के आवेदन के शुल्क के ब्योरे

8. मामले से संबंधित कोई अन्य सूचना

मैं / हम एतद्द्वारा यह प्रमाणित करता हूं/करते हैं कि मेरी अधिकतम जानकारी और विश्वास के अनुसार उपर्युक्त दिए गए ब्योरे सही और तथ्यपरक है और मैं/हम मेरे/हमारे मामले के कंपाउंडिंग के संबंध में कंपाउंडिंग प्राधिकारी के निदेश/ आदेश को स्वीकार करने के इच्छुक हैं।

दिनांक : (आवेदक का/के हस्ताक्षर)


संलग्नक - II

डए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.31

दिनांक फरवरी 1, 2005

कंपाउंडिंग प्रक्रिया

1. समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रक्रिया) नियमावली, 2000 कंपाउंडिंग प्रक्रिया का मूल ढांचा होगा। नियमावली के नियम 4 के उप-नियम (3) के अनुसार कंपाउंडिंग प्रक्रिया भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के निदेश, नियंत्रण और पर्यवेक्षण में होगी।

2. फेमा, 1999 (अर्थात् जून 1, 2000 से लागू) के अंतर्गत किए गए किसी उल्लंघन की कंपाउंडिंग के लिए आवेदन पत्र कंपाउंडिंग प्राधिकारी को प्राप्त होने पर उसके द्वारा कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। नियमों के अनुसार कंपाउंडिंग प्राधिकारी द्वारा प्रक्रिया 180 दिनों के अंदर समाप्त की जाएगी। इस समय सीमा की गणना कंपाउंडिंग के लिए आवेदन प्राप्ति की तारीख से कंपाउंडिंग आदेश के जारी होने की तारीख तक की जाएगी। कंपाउंडिंग प्राधिकारी कंपाउंडिंग कार्यवाही से संबंधित कोई भी सूचना, रिकाड़ अथवा कोई अन्य दस्तावेज़ मांग सकते हैं और कार्यवाही करेंगे।

3. अतिरिक्त सूचना/ दस्तावेज मंगाने की स्थिति में, उपर्युक्त पत्र की तारीख से 30 दिनों के अंदर अथवा ऐसी अतिरिक्त अवधि जैसा कंपाउंडिंग प्राधिकारी द्वारा सूचित किया गया हो के अंदर, ऐसी अतिरिक्त सूचना/ दस्तावेज प्रस्तुत की जाएगी। मांगी गई अतिरिक्त सूचना/ दस्तावेज विनिर्दिष्ट अवधि में उल्लंघनकर्ता द्वारा जमा न करने की स्थिति में कंपाउंडिंग के आवेदन को अस्वीवफ्त किया जा सकता है।

4. कंपाउंडिंग प्राधिकारी आवेदन पर विचार करेगा और इस संबंध में उचित निर्णय लेगा। कंपाउंडिंग प्राधिकारी उल्लंघनकर्ता और अन्य संबंधित व्यक्तियों की सुनवाई के बाद कंपाउंडिंग का आदेश जारी करेगा। कंपाउंडिंग आदेश तथा कथित उल्लंघन के ब्योरों के साथ अधिनियम के प्रावधानों अथवा उसके तहत बनाए गए नियम, निदेश, शर्तों और आदेशों को विनिर्दिष्ट करेगा, जिसके संबंध में उल्लंघन किया गया है।

5. उल्लंघनकर्ता को ऐसे उल्लंघन की कंपाउंडिंग आदेश की तारीख से 15 दिनों के अंदर कंपाउंडिंग के लिए विनिर्दिष्ट राशि का भुगतान करना पड़ेगा। यदि कोई व्यक्ति उसमें विनिर्दिष्ट समय के अंदर राशि का भुगतान नहीं करता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उपर्युक्त उल्लंघन के कंपाउंडिंग के लिए कोई आवेदन नहीं किया था।

6. उल्लंघन के कंपाउंडिंग के लिए आवेदन, कंपाउंडिंग प्राधिकारी के पास दर्ज किया जाए जिसमें न्याय निर्णयन की प्रक्रिया के अधीन विचाराधीन और अब तक नहीं निपटाए गए उल्लंघन भी शामिल होंगे। न्याय निर्णयन प्राधिकारी द्वारा अंतिम रूप से न्याय निर्णयन और निपटाए गए उल्लंघनों की कंपाउंडिंग नहीं की जाएगी।

7. विनियामक ढांचे का घोर उल्लंघन करनेवाले मनी लाँडरिंग, राष्ट्रीय और सुरक्षा से संबंधित मामलों सहित ऐसे मामलों को, जहां भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ज्ञापन में विनिर्दिष्ट अवधि में कंपाउंडिंग के लिए आवेदन नहीं किया गया है, अधिनियम की धारा 37 के अधीन आगे की जांच और आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रवर्तन निदेशालय को अथवा "प्रिवेन्शन ऑफ मनी लाँडरिंग एक्ट, 2002" के अंतर्गत गठित एन्टी मनी लाँडरिंग एथॉरिटी या किसी अन्य एजेंसी को, जैसा उपयुक्त समझा जाए, भेजा जाए।

8. नियम 4 के उप-नियम (2) में किए गए उल्लेख के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा एक ही तरह के उल्लंघन के लिए पूर्व में किए गए कंपाउंडिंग की तारीख से तीन वर्षों के अंदर उसी प्रकार के उल्लंघन के लिए कंपाउंडिंग नियमों के अंतर्गत यदि आवेदन किया जाता है तो उसे अधिनियम की धारा 37 के अंतर्गत प्रवर्तन निदेशालय को भेज दिया जाए।

9. संबंधित सरकार अथवा किसी सांविधिक प्राधिकरण, जैसा भी मामला हो, से उचित अनुमोदन अथवा अनुमति के बगैर किए गए किसी भी लेनदेन से संबंधित उल्लंघन की, फेमा के अंतर्गत किए गए उल्लेख के अनुसार संबंधित कानून/ विनियमावली के तहत संबंधित प्राधिकारी से अपेक्षित अनुमोदन की प्राप्ति तक, कंपाउंडिंग नहीं की जाएगी।

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