आरबीआइ /2009-10/408 बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 91/13.03.00/2009-2010 20 अप्रैल 2010 30 चैत्र 1932 (शक) सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदय मीयादी जमाराशियों में पुनर्निवेश के लिए मीयादी जमाराशियों, दैनिक जमाराशियों अथवा आवर्ती जमाराशियों का परिवर्तन कृपया गवर्नर द्वारा 20 अप्रैल 2010 को घोषित मौद्रिक नीति वक्तव्य 2010-11 का पैराग्राफ 104 देखें (उद्धरण संलग्न) । 2. ‘घरेलू, साधारण अनिवासी (एनआरओ) तथा अनिवासी (बाह्य) (एनआरई) खातों में धारित रुपया जमाराशियों पर ब्याज दरें’ पर 01 जुलाई 2009 के मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 2.12 के अंतर्गत निर्दिष्ट मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों द्वारा मीयादी जमाराशियों, दैनिक जमाराशियों अथवा आवर्ती जमाराशियों के परिवर्तन की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि जमाकर्ता उपर्युक्त जमाराशियों में पड़ी राशि का पुनर्निवेश तत्काल उसी बैंक की किसी दूसरी मीयादी जमाराशि में कर सकें । बैंकों से यह अपेक्षित है कि वे अर्थदंड के द्वारा ब्याज घटाए बिना ऐसी मीयादी जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान करें बशर्ते पुनर्निवेश के बाद जमाराशि मूल संविदा की शेष अवधि से अधिक समय तक उस बैंक में ही रहे । 3. मौजूदा विनियामक मानदंडों की समीक्षा के उपरांत तथा बेहतर आस्ति-देयता प्रबंधन (एएलएम) को सुगम बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों को जमाराशियों के परिवर्तन के संबंध में स्वयं अपनी नीतियां बनाने की अनुमति तत्काल प्रभाव से दी जाए । भवदीय (पी. विजय भास्कर) प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक अनुलग्नक : यथोक्त
उद्धरण भारतीय रिज़र्व बैंक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2010 - 11 मीयादी जमाराशियों में पुनर्निवेश के लिए मीयादी जमाराशियों, दैनिक जमाराशियों अथवा आवर्ती जमाराशियों का परिवर्तन 104. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों द्वारा मीयादी जमाराशियों, दैनिक जमाराशियों अथवा आवर्ती जमाराशियों के परिवर्तन की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि जमाकर्ता उपर्युक्त जमाराशियों में पड़ी राशिं का पुनर्निवेश तत्काल उसी बैंक की किसी दूसरी मीयादी जमाराशि में कर सकें । बैंकों से यह अपेक्षित है कि वे अर्थदंड के द्वारा ब्याज घटाए बिना ऐसी मीयादी जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान करें बशर्ते पुनर्निवेश के बाद जमाराशि मूल संविदा की शेष अवधि से अधिक समय तक उस बैंक में ही रहे । मौजूदा विनियामक मानदंडों की समीक्षा के उपरांत तथा बेहतर आस्ति-देयता प्रबंधन (एएलएम) को सुगम बनाने के लिए यह प्रस्तावित किया गया है कि बैंकों को जमाराशियों के परिवर्तन के संबंध में स्वयं अपनी नीतियां बनाने की अनुमति दी जाए । |