कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश, 2011 - कोर निवेश कंपनियों द्वारा जारी गारेंटी पर स्पष्टिकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश, 2011 - कोर निवेश कंपनियों द्वारा जारी गारेंटी पर स्पष्टिकरण
भारिबैं/2011-12/557 11 मई 2012 सभी कोर निवेश कंपनियां कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश, 2011 - कोर निवेश कंपनियों द्वारा जारी गारेंटी पर स्पष्टिकरण 5 जनवरी 2011 का कोर निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश 2011 के अनुसार , संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण कोर निवेश कंपनियों) सीआईसी -एनडी -एसआई) से अपेक्षित है कि पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन करे। संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि महत्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी का अर्थ कोर निवेश कंपनी को निम्नलिखित दोनो परिस्थितियों को पूरा करना है:
उक्त उल्लिखित शर्तों को पूरा नहीं कर पाने वाली कोर निवेश कंपनी को सीआईसी-एनडी-एसआई के रूप में पंजीकरण से छूट प्राप्त है। 2. कोर निवेश कंपनियों को उनके द्वारा अथवा उनके ग्रूप संस्थाओं की तरफ से लिये गये अन्य आकस्मिक देनदारियों पर गारेंटी जारी करने की आवश्यकता है। ऐसा करने के पूर्व, कोर निवेश कंपनियां यह अवश्य सुनिश्चित करें कि इसके तहत जब और जैसे कोई दायित्व उत्पन्न होगी वे इसे पूरा करेंगी। विशेष रूप से, कोर निवेश कंपनियां , जिन्हें पंजीकरण आवश्यकताओं से छूट प्राप्त है उन्हें सार्वजनिक निधियों के आश्रय के बगैर देनदारी के अंतरण की स्थिति के लिए आवश्यक रूप से तैयार रहना होगा। ₹ 100 करोड से अधिक परिसंपत्ति वाली अपंजीकृत कोर निवेश कंपनी यदि भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त किये बगैर सार्वजनिक निधियों तक अभिगमन करती है तो इसे 05 जनवरी 2011 का कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 के उल्लघंन के रूप में देखा जाएगा। 3. जैसा कि कोर निवेश कंपनी निदेश में परिभाषित है, “सार्वजनिक निधियों” में सार्वजनिक जमाराशियां, वाणिज्यिक पत्र, डिबेंचर, अंतर -कार्पोरेट जमायें तथा बैंक वित्त द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निधियां जुटाना, किंतु लिखत को जारी करने की तारीख से अधिकत 10 वर्ष की अवधी के अंदर अनिवार्य रूप से बदले गए ईक्विटी शेयर से बनाये गए निधियों को छोडकर, शामिल है। भवदीया, (उमा सुब्रमणियम) भारतीय रिजर्व बैंक 11 मई 2012 अधिसूचना सं: गैबैंपवि(नीप्र)245 /सीजीएम(यूएस) -2012 भारतीय रिजर्व बैंक , जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए, बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से कोर निवेश कंपनियां (रिज़र्व बैंक) निदेश, इसके बाद इसे निदेश कहा जएगा, को संशोधित करना आवश्यक है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम , 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ञक, 45 ट, 45 ठ 3 और 45 ड द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त निदेश को तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करने का निदेश देता है यथा- भाग II में , पैराग्राफ (1 ( के अधीन एक नया पैराग्राफ) 4) को निम्नानुसार जोडा जाए : भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकरण की छूट प्राप्त करने वाली प्रत्येक कोर निवेश कंपनी को एक बोर्ड संकल्प पास करना होगा कि भविष्य में यह सार्वजनिक निधियों तक अभिगमन नहीं करेंगी। तथापि कोर निवेश कंपनियों को उनके द्वारा अथवा उनके ग्रूप संस्थाओं की तरफ से लिये गये अन्य आकस्मिक देनदारियों पर गारेंटी जारी करने की आवश्यकता है। ऐसा करने के पूर्व, कोर निवेश कंपनियां यह अवश्य सुनिश्चित करें कि इसके तहत जब और जैसे कोई दायित्व उत्पन्न होगी वे इसे पूरा करेंगी। विशेष रूप से, कोर निवेश कंपनियां, जिन्हें पंजीकरण आवश्यकताओं से छूट प्राप्त है उन्हें सार्वजनिक निधियों के आश्रय के बगैर देनदारी के अंतरण की स्थिति के लिए आवश्यक रूप से तैयार रहना होगा, अन्यथा सार्वजनिक निधियों तक अभिगमन के पूर्व उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकरण के लिए अनुरोध करना होगा।। ₹ 100 करोड से अधिक परिसंपत्ति वाली अपंजीकृत कोर निवेश कंपनी यदि भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त किये बगैर सार्वजनिक निधियों तक अभिगमन करती है तो इसे 05 जनवरी 2011 का कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 के उल्लघंन के रूप में देखा जाएगा। (उमा सुब्रमणियम) |