RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S3

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79057260

सार्वजनिक जमाराशियों(निक्षेप) के लिए कवर-

भारिबैं/2006-07/225
गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 87/03.02.004/2006-07

4 जनवरी 2007

जमाराशियाँ स्वीकार करने वाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ
(अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों को छोड़कर)

प्रिय महोदय

सार्वजनिक जमाराशियों(निक्षेप) के लिए कवर-
चल परिसंपत्तियों पर चल प्रभार-सृजन(क्रिएशन)

कृपया उपर्युत्त विषय पर 7 फरवरी 2005 का हमारा परिपत्र सं. गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 47/ 02.01/ 2004-05 देखें। उत्त परिपत्र के पैराग्राफ 3 के अनुसार सार्वजनिक जमाराशियाँ स्वीकार करनेवाली/ जमाराशियों की धारक सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूचित किया गया था कि वे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झख के अनुसार निवेशित सांविधिक चल परिसंपत्तियों पर अपने जमाकर्ताओं के पक्ष में चल प्रभार सृजित करें।

2. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा सांविधिक चल परिसंत्तियों पर बहुसंख्यक जमाकर्ताओं के पक्ष में प्रभार सृजित करने में व्यत्त की गई व्यावहारिक कठनाइयों के मद्देनज़र यह निर्णय लिया गया है कि सार्वजनिक जमाराशियाँ स्वीकार करनेवाली/जमाराशियों की धारक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झख एवं समय-समय पर इस संबंध में बैंक द्वारा जारी अधिसूचनाओं के अनुसार रखी गई सांविधिक चल परिसंपत्तियों पर "ट्रस्ट विलेख" क्रियाविधि से अपने जमाकर्ताओं के पक्ष में चल प्रभार सृजित करें। चल प्रभार कंपनी रजिस्ट्रार के पास पंजीकृत होना है और इस संबंध में सूचना न्यासियों(ट्रस्टीज़) तथा भारतीय रिज़र्व बैंक को दी जानी है। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के मार्गदर्शन के लिए अनुबंध-1 के रूप में "न्यास विलेख के प्रारूप" की प्रति संलग्न है जिसमें इस बाबत ब्योरे दिए गए हैं। "न्यासियों के लिए मार्गदर्शी सिद्धांत" भी अनुबंध II के रूप में सलग्न हैं। कंपनियाँ इस परिपत्र में अंतर्विष्ट अनुदेश अपने निदेशक बोर्ड के समक्ष रखें और इस प्रणाली को अधिकतम 31 मार्च 2007 तक लागू कर दें।

3. हमारे 7 फरवरी 2005 के परिपत्र सं. गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 47/ 02.01/ 2004-05 में अंतर्विष्ट सभी अन्य उपबंध लागू रहेंगे। इसकी पावती और अनुपालन रिपोर्ट आप हमारे उस क्षेत्रीय कार्यालय को भेजें जिसके अधिकार क्षेत्र में आपकी कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आता हो।

भवदीय

(पी. कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध-I

न्यास विलेख का प्रारूप

यह न्यास-विलेख कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत निगमित/गठित ----------------------------कंपनी जिसका पंजीकृत कार्यालय-------------------- में है (जिसे इसके बाद "कंपनी" कहा गया है) एक पक्ष के रूप में और कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत निगमित/गठित----------------------कंपनी लि./------------------------------अधिनियम के अंतर्गत गठित/निगमित-------------------------------------बैंक जिसका पंजीकृत कार्यालय---------------------------में है न्यासी के रूप में (जिसे इसके बाद "न्यासी" कहा गया है) दूसरे पक्ष के बीच वर्ष दो हजार ----------------के ---------माह के------वें दिन को निष्पादित किया जाता है।

जबकि अपने अंतर्नियमों के तहत कंपनी निक्षेपों(जमाराशि) को आमंत्रित करके उधार लेने या जुटाने के लिए अधिकृत है।

और जबकि कंपनी के निदेशकों ने कंपनी के अंतर्नियमों के अनुसार विधिवत अधिकृत होने के कारण वर्ष दो हजार ---------के ------- माह के------------वें दिन को बोर्ड की बैठक में पारित संकल्प के अनुसार विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत जनता से निक्षेप (जमाराशि) लेने का निर्णय लिया है।

और भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुदेशों के अनुसार, कंपनी को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झख के उपबंधों के तहत अपने द्वारा खरीदी गई प्रतिभूतियों तथा 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं. DFC.121/ED(G)-1998, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथा सशोधित, के अनुसार रखे गए निक्षेपों पर निक्षेपकर्ताओं का प्रभार निर्मित करना है

और जबकि कंपनी भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झख के उपबंधों के तहत अपने द्वारा खरीदी गई प्रतिभूतियों तथा 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं. अ्इण्.121/अ्(िंउ)-1998, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथा सशोधित, के अनुसार रखे गए निक्षेपों पर निक्षेपकर्ताओं का प्रभार निर्मित करने का प्रस्ताव करती है

और जबकि उत्त न्यासियों ने अपने निदेशक बोर्ड द्वारा------------को पारित संकल्प में निक्षेपकर्ताओं के न्यासी के रूप में कार्य करने की सहमति दी है।

अब यह विलेख दोनों पक्षों के बीच साक्ष्यांकित होता है और एतद्वारा परस्पर सहमति है और निम्नवत घोषित किया जाता है कि :

  1. जब तक कि इस विषय में या प्रसंग से उसके अननुरूप न हो अधोलिखित अभिव्यत्ति का तात्पर्य निम्नवत होगा अर्थात-

  2. क. " कंपनी " का तात्पर्य मेसर्स------------------------------------------कंपनी लि. होगा।
    ख. "न्यासी" का तात्पर्य --------------------------------------------कंपनी है जिसका गठन/ निगमन कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत हुआ है/--------------------------बैंक जिसका गठन/ निगमन -------------------------------------अधिनियम -------i ट अंतर्गत हुआ है और जिसका पंजीकृत कार्यालय -------------------------------में है।
    ग. "निक्षेप" का तात्पर्य कंपनी द्वारा स्वीकार किये गये निक्षेप जो बकाया हैं और जो इस समय इस विलेख के अंतर्गत लाभ के हकदार हैं।
    घ. "निक्षेप धारक " का तात्पर्य उस धारक से है जिसके पास संप्रति निक्षेप रसीद है और जिसका नाम निक्षेप धारक रजिस्टर में है और जिसके संबंध में "निक्षेप प्रमाणपत्र" के परांकन में अंकित शर्तों में सूचना अंकित है।
    V. "प्रभारित प्रतिभूतियों" का तात्पर्य कंपनी द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झख के उपबंधों के अंतर्गत हासिल की गई एवं निवेशित प्रतिभूतियों से है (जिन्हें सीएसजएल खाता सं.-----------------में ----------------------------------के पास और / या मेसर्स -------------------------------------------के पास अमूर्त(डिमैट) प्रतिभूति के रूप में डिपाज़िटरी और मूर्त(फिजिकल) रूप में रखा गया है और /या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अधिसूचना, समय-समय पर यथासंशोधित, के अनुसार बैंक में मीयादी निक्षेप के रूप में रखा गया है।
    च. "अधिनियम" का तात्पर्य कंपनी अधिनिमय, 1956 (1956 का 1) और उसमें किए गए संशोधन या पुन: अधिनियमन से है।
    छ. "निर्दिष्ट बैंकरों" का तात्पर्य उन बैंकों से है जिनमें कंपनी प्रभारित प्रतिभूतियाँ और उसका हिस्सा रखती है जिसकी सूचना न्यासियों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक को दी जानी है।

      जब तक कि प्रसंग से अन्यथा प्रतीत न हो, एक वचन की अभिव्यत्ति में बहुवचन एवं उसका विलोम अंतर्भूत है।

      1. इस विलेख से लाभान्वित/आवरित होने वाले निक्षेपों में कंपनी के पास निक्षेपकर्ताओं द्वारा पहले से जमा किए गए कुल निक्षेप और भविष्य में, समगति से, जमा होने वाले निक्षेप शामिल होंगे जो प्रतिभूति के जारी होने की तारीख या अन्यथा से वरीयता प्राप्त नहीं करेंगे और एतद्वारा प्रतिभूति पर किए गए प्रभार से प्राप्त होंगे।
      2. कंपनी एतद्वारा न्यासियों के साथ करार करती है कि कंपनी निक्षेपों की परिपक्वता पर या ऐसी पूर्व अवधि(संबंधित निक्षेपों की परिपक्वता अवधि पूरी होने के बाद अदा किए जाने वाले निक्षेपों ) जब राशि अदा की जानी हो, निक्षेपकर्ताओं को उनके निक्षेपों से प्राप्य राशि की अदायगी करेगी और तब तक जब भी उत्त राशि पर ब्याज का भुगतान निक्षेपधारकों के द्वारा चुने गए विकल्प के आधार पर मासिक या अन्य आवधिकता के अनुसार करती रहेगी।
      3. जारी निक्षेप प्रमाणपत्रों के संबंध में ब्याज या मूलधन की सभी अदायगियाँ कंपनी द्वारा चेक/वारंट/ डीडी/पे आर्डर से की जाएगी और कंपनी ऐसे निक्षेपों के संबंध में मूलधन या ब्याज की अदायगी सुगम रूप में करेगी और उसका व्यय भार स्वयं वहन करेगी।
      4. एतद्वारा अधिकृत निक्षेपों को विचार में लेते हुए और भविष्य में जुटाए जाने वाले निक्षेपों के बाबत हिताधिकारी स्वामी के रूप में कंपनी भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झख के उपबंधों के तहत अपने द्वारा खरीदी गई प्रतिभूतियों तथा 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं. अ्इण्.121/अ्(िंउ)-1998, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथा संशोधित, के अनुसार मीयादी निक्षेपों में रखी गई जमाराशि जो संप्रति रु.-------------------------(---------------------------------------------------रुपए मात्र ) हैं और भवष्यि में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झख के उपबंधों के तहत अपने द्वारा खरीदी जानेवाली प्रतिभूतियों तथा 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं. अ्इण्.121/अ्(िंउ)-1998, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथा सशोधित, के अनुसार बैंकों की मीयादी निक्षेपों में रखी जाने वाली जमाराशि पर निक्षेपधारकों के हित के लिए देय राशियों एवं सभी अन्य प्रभारों, व्ययों और अन्य देयों, जिनका भुगतान करने को सुरक्षित रखने के लिए, जिनके लिए प्रतिभूतियों पर चल प्रभार निर्मित किया गया है, न्यासियों के पक्ष में प्रभार निर्मित करती है। न्यासी किसी भी समय कंपनी को लिखित नोटिस देकर चल प्रभार को निश्चित प्रभार में बदल सकते हैं, यदि उनके विचार में इन्हें हथिया लिए जाने या किसी प्रकार की मुसीबत के तहत तत्संबंध में लगाई गई कार्यान्वयन की कार्रवाई या धमकी या किसी और वजह से उत्त प्रतिभूतियों को खतरा हो तो उनको विधिक प्रभार के रूप में पंजीकृत कराया जा सकता है।
      5. कंपनी एतद्वारा वचन देती है कि इस विलेख के निष्पादन के बाद वह एतद्वारा निर्मित प्रभार को कंपनी रजिस्ट्रार के पास कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 125 के तहत पंजकृत कराएगी और प्रभार के पंजीकरण हो जाने की सूचना न्यासियों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक को देगी। कंपनी संबंधित बैंक/डिपाजिटरी या अन्य प्राधिकारी के पास प्रतिभूतियों पर न्यासियों का धारणाधिकार (लियन) पंजीकृत कराएगी और सूचना न्यासियों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक को देगी।
      6. कंपनी प्रभारित प्रतिभूतियों को धारित रखेगी और उनका लाभ उठाएगी जब तक कि इस प्रकार प्रभारित प्रतिभूति इस विलेख के तहत कार्रवाई के दायरे में न आ जाए जिसमें न्यासी अपने विवेक से जैसाकि आगे कहा गया है, या मूल्य के मद्देनज़र 90% निक्षेपधारकों द्वारा लिखित में अनुरोध किए जाने पर प्रभारित प्रतिभूतियों या उनमें से किसी भी प्रतिभूति का और विवेकानुसार उन्हें बेच सकेगें, मांग सकेगें, वसूल सकेगें और उसे या उसके किसी भाग को नकद धनराशि में बदल सकेगें जिसके लिए न्यासियों को ये प्रतिभूतियाँ पूरी तरह या उनके हिस्से को एक साथ या अलग - अलग, और या एकमुश्त या किस्तों में भुगतान योग्य या खाते की राशि के लिए और बंधक रखने या शेषराशि के लिए प्रभार निर्मित करने का पूरा अधिकार है और बिक्रय करने का पूरा अधिकार है कि वे हक (विलेख) या साक्ष्य में कोई विशेष या अन्य निर्धारण या हक के प्रारंभ या अन्यथा निर्धारण कर सकें जिसे न्यासी उचित समझें और इस बात का भी अधिकार है कि वे उत्त प्रतिभूतियों या उसके किसी भी हिस्से की बिक्री-संविदा को संशोधित या मंसूख या परिवर्तित कर सकें तथा हानि i ा जिम्मेदारी के बिना उनको फिर से बेच सकने का पूरा अधिकार होगा एवं जो तदनुसार होगा और समझैता करने एवं संघटकों के प्रभाव के लिए निष्पादित करने और उनके अनुसार उचित माने जाने वाले वादों के प्रयोजन के लिए व्यवस्था करने का पूरा अधिकार होगा।
      7. निम्नलिखित घटनाओं या उनमें से किसी एक घटना के होते ही इस विलेख के तहत निक्षेप धारकों को देय राशि अविलंब देय हो जाएगी और एतद्वारा निर्मित प्रतिभूति/सुरक्षा लागू हो जाएगी :

(क) यदि कंपनी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 7 फरवरी 2005 के परिपत्र सं. गैबैंपवि.(नीप्र) कंपरिप.सं.47/02.01/2004-05,समय-समय पर यथासंशोधित, में यथानिर्दिष्ट सार्वजनिक निक्षेप को पूरा कवर देने में चूक करती है।
(ख) यदि कंपनी निक्षेप धारकों की सहमति के बिना कारोबार बंद करती है या इसका इरादा व्यत्त करती है।
(ग) यदि कंपनी को बंद करने के लिए सक्षम अधिकारिता वाले न्यायालय द्वारा आदेश पास किया जाता है या कंपनी के सदस्यों द्वारा विशेष संकल्प पारित किया जाता है।
(घ) यदि कंपनी कंपनी ला बोर्ड या कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत गठित किसी अन्य अधिकरण द्वारा निक्षेप धारकों को भुगतान करने के लिए दिए आदेश का पालन करने मेंचूक करती है।
(V) यदि न्यासियों के विचार में निक्षेप धारकों की प्रतिभूति जोखिम में हो।

  1. जैसे ही राशि देय हो और पूर्ववर्ती खंड 8(और जब तक कि भुगतान एवं लागू की जाने वाली प्रतिभूति के संबंध में निक्षेप धारकों द्वारा साधारण बहुमत से उसे आगे बढ़ाने के लिए संकल्प पारित न किया गया हो) के अंतर्गत प्रतिभूति कार्रवाई योग्य हो, न्यासी प्रभारित प्रतिभूति को कब्जे में ले लेंगे और प्रभारित प्रतिभूतियों को नकद करने और राशि समान दर पर निक्षेप धारकों में वितरित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करेंग।
  2. इस विलेख के खंड 8 एवं 9 में उल्लिखित परिस्थितियाँ जब तक उत्पन्न नहीं होती हैं, न्यासी उत्त कारोबार के परिचालन/व्यवहार में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेंगे सिवाय प्रभारित संपत्ति या उसके किसी हिस्से की सुरक्षा के मद्देनजर या इस विलेख के खंड 8(क) में वर्णित निक्षेपों को पूरा आवरण/संरक्षा देने के लिए।
  3. न्यासी इस प्रकार बिक्री द्वारा या अन्यथा वसूल की गई राशि का विनियोजन निम्नवत करेंगे अर्थात न्यासी निम्नवत भुगतान करेंगे:

(क) सबसे पहले एतद्विषयक बिक्री या अन्य कार्य या न्यास के निष्पादन/गठन या इस विलेख या प्रतिभूति के संबंध में आयी लागत, प्रभार और खर्च जिसमें न्यासियों का पारिश्रमिक, यदि कोई हो, शामिल है।

(ख) उसके बाद निक्षेप धारकों को देय राशि।

(ग) और अंत में यदि कोई राशि शेष रहे तो कंपनी या उसके समनुदेशिती को।

बशर्ते यदि उत्त राशि उल्लिखित समस्त ऐसी राशि को पूरी तरह अदा करने के लिए अपर्याप्त हो तो ऐसी राशि से दर-वार अदायगी की जाए, निक्षेप धारकों द्वारा धारित निक्षेप के अनुसार बिना वरीयता दिए की जाए।

  1. इस विलेख द्वारा सुरक्षित/आवरित समस्त राशि अदा हो जाने और तत्संबंध में संतुष्टि हो जाने पर न्यासी अनुरोध मिलने, कंपनी द्वारा लागत वहन करने तथा उनके द्वारा सभी लागतें, प्रभार व न्यासियों द्वारा प्रतिभूति, पुनर्सूचित करने, पुनर्समनुदेशन, मुत्त करने और प्रभारित प्रतिभूतियों के देने या या उनके उस भांति जैसे उनकी बिक्री न हुई हो या कंपनी या उसके समनुदेशिती/यों को भुगतान न किया गया हो, पर किए गए उचित व्यय की अदायगी के लिए देंगे।
  2. कंपनी एतद्वारा न्यासियों के साथ प्रसंविदा करती है कि :

(क) इस विलेख द्वारा सुरक्षित की गई राशि का दावा प्रभारित प्रतिभूतियों पर सर्व प्रथम होगा।
(ख) कंपनी प्रभारित प्रतिभूतियों या उसके भाग को विनिर्दिष्ट बैंकरों के पास ही रखेगी।
(ग) न्यासियों को अधिकार होगा कि वे प्रभारित प्रतिभूतियों को सत्यापित कर सकें और इस संबंध में कंपनी उन्हें पूरा सहयोग करेगी।
(घ) कंपनी सांविधिक परिसंपत्तियों के संबंध में फार्म एनबीएस-3 में तिमाही विवरणी न्यासियों को प्रस्तुत करेगी।

14. कंपनी इस विलेख को निष्पादित करने और अंतर्भूत प्रतिभूतियों को प्रभावित करने वाले दस्तावेजों के संबंध में न्यासियों को सभी विधिक शुल्क, यात्रा व्यय और अन्य खर्चें जिसमें एतद्विषयक लागत, प्रभार और इस विलेख को अनुमोदित व निष्पादित करने के लिए प्रासंगिक व्यय शामिल हैं, देगी तथा उनके द्वारा किए गए/जानेवाले कार्यें, जिनकी उनसे अपेक्षा है, के संबंध में अवधानत: न की गई चूकों सहित सभी कार्रवाईयों, कार्यवाहियों, लागतों, प्रभारों, व्ययों, दावों और मांगों की क्षतिपूर्ति करेगी।

15. निक्षेप धारकों के न्यासी इस विलेख में उनमें निहित की गई न्यास संबंधी सभी शत्तियों, प्राधिकारों और विवेकाधीन शात्तियों का प्रयोग उचित रूप में और सही रूप में करेंगे और उनके द्वारा अवधानत: तथा इरादतन वचन को भंग करने के सिवाय अन्यथा जिम्मेदार नहीं होगे।

16. न्यासियों को बदलने के मामले में अन्य न्यासी को नियुत्त करना होगा और उसे इस विलेख के तहत वही सभी शत्तियाँ एवं प्राधिकार होंगे एवं ऐसी नियुत्ति कंपनी के निदेशक बोर्ड द्वारा की जाएगी।

17. कंपनी के निदेशकों के साथ करार करके न्यासी इस विलेख i ा शर्तों को किसी आकस्मिकता की अपेक्षानुरूप किसी भी प्रकार से संशोधित कर सकते हैं, बशर्ते वे इस बात से संतुष्ट हों कि इससे निक्षेपकर्ताओं के हितों को फायदा होगा।

18. कंपनी एतद्वारा न्यासी/यों के साथ प्रसंविदा करती है कि वह अंतर्विष्ट प्रतिभूतियों के जारी/बने रहने के दौरान अपने कारोबार को समुचित तत्परता एवं कुशलता से करेगी और प्रभारित प्रतिभूतियों को पूरी तरह सुरक्षित रखने एवं संबंधित अधिनियम के तहत लेखाबहियों को उचित तरीके से अनुरक्षित रखने व न्यासियों को इस विलेख के तहत कर्तव्यों की पूर्ति हेतु समुचित सूचना देने के लिए आवश्यक उपाय करेगी।

19. कंपनी इसके अलावा न्यासियों के साथ यह भी प्रसंविदा करती है कि इस न्यास द्वारा लगाए गए दायित्वों के संबंध में उचित निष्पादन करेगी और दायित्वों का पालन/निर्वाह करेगी।

निम्नलिखित साक्षियों की उपस्थिति में कंपनी ने अपनी आधिकारिक मुहर लगाकर और न्यासियों ने अपने हस्ताक्षर से उल्लिखित वर्ष के निर्दिष्ट दिन को यह विलेख निष्पादित किया है।

साक्षी निम्नलिखित की उपस्थिति में कंपनी ने अपनी आधिकारिक मुहर लगाई।

(    )

(    )

निदेशक

निदेशक

   

(    )

(    )

न्यासी

न्यासी


अनुबंध-II

चल परिसंपत्तियाँ (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ)-न्यासी मार्गदर्शी सिद्धांत

      1. इन मार्गदर्शी सिद्धांतों को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के निक्षेप धारकों के न्यासियों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक मार्गदर्शी सिद्धांत कहा जाएगा।
      2. निक्षेप धारकों के न्यासियों के रूप में कोई कंपनी / बैंक कार्य करने का हकदार नहीं होगा यदि वह अनुसूचित वाणिज्य बैंक नहीं है या न्यासी कारोबार में लगी लिमिटेड कंपनी नहीं है जिसकी न्यूनतम प्रदत्त पूंजी 50 लाख रुपए से कम है और जो स्वतंत्र है तथा उसका संबंध कंपनी के प्रधान शेयरधारकों या कंपनी के निदेशक का है।
      3. निक्षेप धारकों के प्रत्येक न्यासी का कर्तव्य होगा कि वह/वे -
        1. निक्षेप धारकों के हितों की रक्षा के लिए कंपनी के साथ न्यास विलेख का निष्पादन करे।
        2. कंपनी के साथ निष्पादित न्यास विलेख में अंतर्विष्ट कर्तव्यों को अंजाम दें।
        3. न्यास विलेख के अनुसार प्रभारित संपत्ति को अधिकार में लें।
        4. निक्षेप धारकों के हितों के लिए सुरक्षा को लागू करें।
        5. प्रतिभूति/सुरक्षा को लागू किए जाने की स्थिति में वे सभी आवश्यक कार्य करें।
        6. निक्षेप धारकों के हितों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कार्य/कार्रवाई करें।

        7. निम्नलिखित के संबंध में स्वयं को सुनिश्चित एवं संतुष्ट रखना कि :-

(क) निक्षेपों पर देय ब्याज की अदायगी कंपनी द्वारा देय तारीखों को या उसे पूर्व की गई है।

(ख) निक्षेपों की परिपक्वता तारीख को निक्षेप धारकों को राशि अदा की गई है।

(ग) न्यास विलेख के उपबंधों के अनुसार कंपनी द्वारा अनुपालन किए जाने को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त तत्परता बरती जाती है।

(घ) निक्षेप धारकों के हितों की सुरक्षा के लिए उचित उपाय करना ताकि न्यास विलेख की शर्तों के भंग होने का तत्काल पता चल सके।

(V) जैसे ही न्यास विलेख भंग होने का पता चले, उससे भारतीय रिज़र्व बैंक को तुरत अवगत कराना।

(च) भारतीय रिज़र्व बैंक के जिस क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आाता हो,उसे छमाही आधार पर कंपनी द्वारा न्यास विलेख के अनुपालन के संबंध में सूचना देना। यदि निक्षेप धारकों को ब्याज देने में कोई चूक, आदि हुई हो तो उसकी एवं तत्संबंध में कृत कार्रवाई की सूचना देना।

4. निक्षेप धारकों के न्यासी सभी निक्षेप धारकों की बैठक बुलाएंगे या कंपनी द्वारा आयोजित कराएंगे।

(क) निक्षेप की संप्रति रही देय शेष राशि के कम से कम 51% निक्षेप धारकों द्वारा लिखित अनुरोध करने पर।
(ख) ऐसी कोई घटना होने पर जिससे चूक हो व जिससे न्यासियों के मत/ विचार में निक्षेपधारकों की प्रतिभूति खतरे में पड़ जाए।

ऐसी बैठक की रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक, गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भेजी जाए जिसके अधिकारक्षेत्र में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आता हो।

5. भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्याल को पूर्व सूचना देकर जिसके अधिकारक्षेत्र में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पंजीकृत है न्यासी अपने उत्तरदायित्वों के निर्वाह/को पूरा करने के लिए कंपनी की लेखा बहियों, अभिलेखों, रजिस्टरों एवं न्यासगत संपत्ति का आवश्यक सीमा तक निरीक्षण कर सकते हैं।

6. निक्षेप धारकों के न्यासी भारतीय रिज़र्व बैंक को असत्य विवरण नहीं देगे या किसी दस्तावेज, रिपोर्ट, कागजात, सूचना में कोई तथ्य नहीं छिपाएंगे/दबाएंगे।

7. निक्षेप धारकों के न्यासी यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी विधि, नियम, भारतीय रिज़र्व बैंक या किसी विनियामक प्राधिकारी के निदेश के खास भंग(material breach) करने या अनुपालन न करने के संबंध में उसके/उनके विरुद्ध प्रारंभ की गई किसी कार्रवाई, कानूनी कार्यवाही आदि के बाबत भारतीय रिज़र्व बैंक को तुरत सूचना देंगे।

8. निक्षेप धारकों के न्यासी एतद्विषयक किसी कार्य को अपने किसी कर्मचारी या एजेंट को नहीं सौंपेंगे। हालांकि, न्यासी नेमी कार्य के लिए कर्मचारी, एजेंट या एडवोकेट या किसी अन्य पेशेवर व्यत्ति को नियोजित कर सकते हैं। यदि न्यासी किसी कर्मचारी को नियोजित करता है/ते हैं तो वह/वे उसके द्वारा की जाने वाली किसी भी भूल-चूक के लिए जिम्मेदार होगा/होंगे।

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?