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79212018

शहरी सहकारी बैंकों में बोर्ड स्तर पर मानद पदनामों का सृजन

भा.रि.बैंक/2022-23/33
डीओआर.जीओवी.आरइसी.सं.26/18.10.004/2022-23

21 अप्रैल, 2022

अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदया/महोदय

शहरी सहकारी बैंकों में बोर्ड स्तर पर मानद पदनामों का सृजन

पर्यवेक्षी समीक्षाओं के दौरान यह देखा गया है कि कुछ शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) ने मानद पदनाम (पारिश्रमिक या अन्यथा) बनाने अथवा बोर्ड स्तर पर अध्यक्ष एमेरिटस, समूह अध्यक्ष, जैसी उपाधि प्रदान करने की प्रथा को अपनाया है, जो लागू संविधियों या विनियमों में मान्यता प्राप्त नहीं हैं।

2. हालांकि इस तरह के पद/उपाधि, बोर्ड की सभी सामग्रियों तक पहुंचने और बोर्ड/समिति की बैठकों में भाग लेने के लिए कुछ विशेषाधिकारों/अधिकारों का संकेत हो सकते हैं लेकिन ऐसे व्यक्ति पर दायित्व या बाध्यताओं को लागू करना मुश्किल हो सकता है। इस तरह के पदों को हितों के टकराव के साथ-साथ समानांतर या आभासी प्राधिकारी के निर्माण के रूप में देखा जा सकता है जो अपने सभी हितधारकों के सर्वोत्तम हित में कानूनी रूप से गठित बोर्ड के प्रभावी और स्वतंत्र कामकाज में बाधा डाल सकते है।

3. तदनुसार, शहरी सहकारी बैंकों को निर्देश दिया जाता है कि वे बोर्ड स्तर पर कोई मानद पद/ उपाधि सृजित न करें या ऐसी उपाधियां प्रदान न करें जो गैर-सांविधिक प्रकृति की हों तथा इस परिपत्र की तारीख से एक वर्ष के भीतर ऐसी किसी भी मौजूदा पद/उपाधि को समाप्त कर दें।

4. ये निर्देश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 35ए और धारा 36(1)(डी) के तहत जारी किए गए हैं।

भवदीय

(श्रीमोहन यादव)
मुख्य महाप्रबंधक

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