बैंकों के ोडिट कार्ड परिचालन - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों के ोडिट कार्ड परिचालन
आरबीआइ/2005-06/211
बैंपविवि. एफएसडी. बीसी. 49/24.01.011/2005-06
21 नवंबर 2005
30 कार्तिक 1927 (शक)
सभी वाणिज्य बैंक / गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय,
बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन
वार्षिक नीति वक्तव्य 2004-05 में की गई घोषणा के अनुसरण में भारतीय रिज़र्व बैंक ने कार्डों के लिए विनियामक तंत्र पर एक कार्य दल गठित किया था । उक्त कार्य दल ने विभिन्न विनियामक उपाय सुझाये थे, जिनका उद्देश्य एक सुरक्षित, निश्चिंत और कार्यक्षम तरीके से क्रेडिट कार्डों की वृद्धि को प्रोत्साहित करना तथा यह सुनिश्चित करना था कि कार्ड जारी करनेवाले बैंकों के नियम, विनियम, मानक और प्रथाएं सर्वोत्तम ग्राहक प्रथाओं के अनुरूप हों । उक्त कार्य दल की सिफारिशों तथा जनता, कार्ड जारी करनेवाले बैंकों और अन्यों से प्राप्त प्रतिसूचना के आधार पर बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालनों पर निम्नलिखित दिशा-निर्देश बनाये गये हैं । क्रेडिट कार्ड जारी करनेवाले सभी बैंक / गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां इन दिशा-निर्देंशों को तत्काल कार्यान्वित करें ।
प्रत्येक बैंक / गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को क्रेडिट कार्ड परिचालनों के लिए एक सुप्रलेखित नीति और उचित व्यवहार संहिता अवश्य अपनानी चाहिए । मार्च 2005 मे, भारतीय बैंक संघ (आइबीए) ने क्रेडिट कार्ड परिचालनों के लिए एक उचित व्यवहार संहिता जारी की थी जिसे बैंक / गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ अपना सकती हैं । बैंक / गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां उचित व्यवहार संहिता में इस परिपत्र में निहित संगत दिशा-निर्देश न्यूनतम रूप में शामिल करें । बैंकों / गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे अधिक से अधिक 30 नवंबर 2005 तक उक्त संहिता की विषय-वस्तु को अपनी वेबसाइट सहित अन्य प्रचार माध्यमों द्वारा व्यापक तौर पर प्रसारित करें ।
कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश
1. कार्ड जारी करना
क. बैंक / गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ, विशेषत: छात्रों और ऐसे अन्य व्यक्तियों, जिनके स्वतंत्र वित्तीय साधन नहीं हैं, को कार्ड जारी करते समय ऋण जोखिम का निर्धारण स्वतंत्र रूप से करें । एड-ऑन कार्ड अर्थात् ऐसे कार्ड जो मुख्य कार्ड के अनुषंगी हैं, इस सुस्पष्ट शर्त पर जारी किये जा सकते हैं कि देनदारी प्रधान कार्ड धारक की होगी ।
ख. चूँकि अनेक क्रेडिट कार्ड रखने से किसी भी उपभोक्ता के लिए उपलब्ध कुल ऋण में वृद्धि होती है, अत: बैंकों / गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे कार्डधारक द्वारा स्वयं की गई घोषणा / दी गई ऋण सूचना के आधार पर अन्य बैंकों से उसके द्वारा प्राप्त की जा रही ऋण-सीमाओं को ध्यान में रखते हुए क्रेडिट कार्ड के ग्राहक के लिए ऋण-सीमा निर्धारित करें ।
ग. कार्ड जारी करनेवाले बैंक / गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ ‘अपने ग्राहक को जानिए’ (केवाइसी) संबंधी सभी अपेक्षाएँ पूरी करने के लिए उन स्थितियों सहित भी जहाँ उनकी ओर से डीएसए / डीएमए अथवा अन्य एजेंट व्यापार की माँग करते हैं, पूर्णत: जिम्मेदार होंगी ।
घ. कार्ड जारी करते समय, क्रेडिट कार्ड के निर्गम और उपयोग की शर्तें स्पष्ट और सरल भाषा (वरीयत: अंग्रेजी, हिन्दी या स्थानीय भाषा) में कार्ड के उपयोगकर्ता के लिए समझने योग्य रूप में निर्दिष्ट की जानी चाहिए । शर्तों के मानक सेट के रूप में नामित सर्वाधिक महत्वपूर्ण शर्तों (एमआइटीसी), जो परिशिष्ट में दी गई हैं, की ओर संभावित ग्राहक / ग्राहकों का सभी चरणों पर अर्थात् विपणन के दौरान, आवेदन करते समय, स्वीकृति के स्तर (स्वागत किट) पर और बाद के महत्वपूर्ण पत्राचार आदि में विशिष्ट रूप से ध्यान आकर्षित करना चाहिए तथा विज्ञापित की जानी चाहिए /अलग से प्रेषित करनी चाहिए ।
2. ब्याज दरें और अन्य प्रभार
क. कार्ड जारीकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिल भेजने में कोई विलंब न हो और ब्याज का प्रभार शुरू होने से पहले भुगतान करने के लिए ग्राहक को पर्याप्त समय (कम से कम एक पखवाड़ा) मिल सके ।
ख. कार्ड जारीकर्ताओं को चाहिए कि वे कार्ड उत्पादों पर वार्षिकीकृत प्रतिशत दरें (एपीआर) उद्धृत करें (फुटकर खरीद और नकदी अग्रिम के लिए अलग-अलग, यदि दरें भिन्न हाें) । बेहतर समझ के लिए एपीआर की गणना-पद्धति दो उदाहरणों के साथ दी जानी चाहिए । प्रभारित एपीआर और वार्षिक शुल्क को समान महत्व देते हुए दर्शाया जाना चाहिए । विलंब से भुगतान के प्रभार, ऐसे प्रभारों की गणना की पद्धति और दिनों की संख्या सहित प्रमुख रूप से निर्दिष्ट किये जाने चाहिए । वह तरीका भी जिससे भुगतान न की गई बकाया राशि ब्याज के परिकलन के लिए शामिल की जाएगी, सभी मासिक विवरणों में विशिष्ट रूप से प्रमुखता के साथ दर्शाया जाए । उस स्थिति में भी जहाँ कार्ड को वैध रखने के लिए निर्दिष्ट न्यूनतम राशि अदा कर दी गई है, यह मोटे अक्षरों में निर्दिष्ट किया जाना चाहिए कि भुगतान के लिए नियत तारीख के बाद देय राशि पर ब्याज लगाया जाएगा । मासिक विवरण में दिखाने के अतिरिक्त, इन पहलुओं को स्वागत किट में भी दर्शाया जाए ।
ग. बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को ऐसा कोई प्रभार नहीं लगाना चाहिए जो क्रेडिट कार्ड धारक को, संबंधित कार्ड जारी करते समय तथा उसकी सहमति प्राप्त करते समय सुस्पष्ट रूप से दर्शाया नहीं गया हो । तथापि, यह सेवा कर आदि जैसे प्रभारों के लिए लागू नहीं होगा जो सरकार अथवा किसी अन्य सांविधिक प्राधिकरण द्वारा बाद में लगाये जाएंगे ।
घ. क्रेडिट कार्ड की देय राशियों के भुगतान की शर्तें, जिनमें न्यूनतम अदायगी की देय राशि शामिल है, विनिर्दिष्ट की जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई ऋणात्मक परिशोधन नहीं है ।
ङ. प्रभारों में (ब्याज के अलावा) परिवर्तन कम-से-कम एक महीने का नोटिस देकर केवल भावी प्रभाव से किये जाने चाहिए । यदि क्रेडिट कार्ड धारक अपना क्रेडिट कार्ड इस कारण से अभ्यर्पित करना चाहता हो कि क्रेडिट कार्ड प्रभारों में किया कोई परिवर्तन उसे हानिकारक है तो ऐसी समाप्ति के लिए उससे कोई अतिरिक्त प्रभार लिये बगैर कार्ड समाप्ति की अनुमति दी जाए ।
3. गलत बिल बनाना
क. कार्ड जारी करनेवाले बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गलत बिल बनाकर ग्राहकों को जारी नहीं किया जाए । यदि कोई ग्राहक किसी बिल का विरोध करता है तो बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कपंनी को उसका स्पष्टीकरण देना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो शिकायतों के आपसी निवारण की भावना से ग्राहक को अधिकतम साठ दिन की अवधि के भीतर दस्तावेजी प्रमाण देना चाहिए ।
ख. देरी से दिये जानेवाले बिलों की बार-बार की जानेवाली शिकायतों से बचने के लिए क्रेडिट कार्ड जारी करनेवाला बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी बिलों और खातों के विवरणों को ऑनलाईन उपलब्ध कराने पर विचार कर सकती है, जिसमें इस प्रयोजन के लिए समुचित सुरक्षा का प्रावधान हो ।
4. डीएसए/डीएमए और अन्य एजेंटों का उपयोग
क. बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जब क्रेडिट कार्ड के विभिन्न परिचालनों को बाहरी स्रोतों से (आउटसोर्स) करवाते हैं, तब उन्हें अत्यधिक सावधानी बरतनी होगी कि ऐसी सेवा प्रदान करनेवालों की नियुक्ति से ग्राहक सेवा की गुणवत्ता तथा बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की ऋण, चलनिधि और परिचालनगत जोखिमों के प्रबंधन की क्षमता पर विपरीत असर नहीं होता है । उक्त सेवा प्रदान करनेवाले के चयन में बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को ग्राहकों के अभिलेखों की गोपनीयता, ग्राहक की प्राइवेसी का सम्मान सुनिश्चित करने की तथा ऋण वसूली में उचित प्रणालियों का पालन करने की आवश्यकता को आधार बनाना होगा ।
ख. भारतीय बैंक संघ द्वारा प्रत्यक्ष बिक्री एजेंटों (डीएसए) के लिए तैयार की गयी आचार संहिता का उपयोग बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी उक्त प्रयोजन के लिए अपनी संहिताएं तैयार करने के लिए कर सकती है । बैंकों/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्होंने जिन डीएसए को अपने क्रेडिट कार्ड उत्पादों के विपणन कार्य में लगाया है वे बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की क्रेडिट कार्ड परिचालनों की उस आचार संहिता का कड़ाई से पालन करते हैं जो संबंधित बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की वेबसाइट पर प्रदर्शित की जानी चाहिए और किसी भी क्रेडिट कार्ड धारक को आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए ।
ग. बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के पास आकस्मिक जांच और प्रच्छन्न खरीद (मिस्टरी शॉपिंग) की एक प्रणाली होनी चाहिए ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि उनके एजेंटों को उचित रूप से जानकारी दी गयी है तथा सावधानी और सतर्कता से अपनी जिम्मेदारियां निभाने का प्रशिक्षण दिया गया है, विशेषकर इन दिशा-निर्देशों में शामिल पहलुओं के संबंध में, जैसे ग्राहक बनाना, कॉल करने का समय, ग्राहक की जानकारी की प्राइवेसी, उत्पाद देते समय सही शर्तें सूचित करना ।
5. ग्राहक अधिकारों का संरक्षण
ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन से संबंधित अधिकार मुख्यत: वैयक्तिक प्राइवेसी, अधिकारों एवं दायित्वों संबंधी सुस्पष्टता, ग्राहक के अभिलेखों का परिरक्षण, ग्राहक संबंधी जानकारी की गोपनीयता और ऋण वसूली में उचित प्रणालियों से संबंधित हैं । कार्ड जारी करनेवाला बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी अपने एजेंटों (डीएसए/डीएमए और वसूली एजेंट) की सभी प्रकार की चूक-भूलों के लिए मूल संस्था के रूप में जिम्मेदार होगी ।
व. प्राइवेसी का अधिकार
क. बिना मांग के कार्ड जारी नहीं किये जाने चाहिए । यदि बिना मांगे कोई कार्ड जारी किया जाता है और संबंधित प्राप्तिकर्ता की सहमति के बगैर कार्यान्वित हो जाता है और प्राप्तिकर्ता को उसके लिए बिल भेजा जाता है तो कार्ड जारी करनेवाला बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी न केवल उक्त प्रभारों को तत्काल प्रत्यावर्तित करेगी बल्कि प्रत्यावर्तित किये गये प्रभारों के मूल्य से दुगुनी राशि कार्ड के प्राप्तिकर्ता को दंड के रूप में अविलंब अदा करेगी ।
ख. क्रेडिट कार्ड के ग्राहकों को बिना मांगे ऋण अथवा अन्य ऋण सुविघाएं न दी जाएं । यदि कोई ऋण सुविधा बिना मांगे प्राप्तिकर्ता की सहमति के बगैर दी जाती है और यदि वह इस बात के लिए आपत्ति उठाता है तो ऋण मंजूर करनेवाला बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी न केवल उक्त ऋण सीमा वापस लेगी बल्कि उसे समुचित समझे जानेवाले अर्थ-दंड की अदायगी भी करनी होगी ।
ग. कार्ड जारी करनेवाले बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को क्रेडिट जार्ड का एकतरफा उन्नयन नहीं करना चाहिए तथा ऋण सीमा को बढ़ाना नहीं चाहिए । जब भी शर्तों में कोई परिवर्तन हो तब अनिवार्यत: संबंधित उधारकर्ता की पूर्व सहमति ली जाए ।
घ. कार्ड जारी करनेवाले बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को एक ‘कॉल न करें रजिस्ट्री’ (डीएनसीआर) रखना चाहिए जिसमें उन ग्राहकों के तथा ग्राहकेतर फोन नंबर (सेल फोन तथा लैंड फोन) हों, जिन्होंने बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को सूचित किया है कि वे बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के क्रेडिट कार्ड उत्पादों के विपणन हेतु किये जानेवाले अनचाहे कॉल/एसएमएस प्राप्त नहीं करना चाहते । इस परिपत्र की तारीख से दो (2) माह के भीतर ‘कॉल न करें रजिस्ट्री’ आरंभ की जाए और इस व्यवस्था का व्यापक प्रचार किया जाए ।
ङ. कॉल न करें रजिस्ट्री (डू नॉट कॉल रजिस्ट्री) में एकल व्यक्तियों के टेलीफोन नंबर शामिल करने संबंधी जानकारी संबंधित बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की वेबसाइट के माध्यम से अथवा संबंधित बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को प्राप्त ऐसे व्यक्ति द्वारा संबोधित पत्र के आधार पर दी जानी चाहिए ।
च. कार्ड जारी करनेवाले बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को एक प्रणाली लागू करनी चाहिए जिसके द्वारा डीएसए/डीएमए तथा उसके कॉल सेंटरों को पहले संबंधित बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को उन नंबरों की सूची प्रस्तुत करनी होगी जिन्हें वे विपणन प्रयोजन के लिए कॉल करना चाहते हों । उसके बाद बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी उसे कॉल न करें रजिस्ट्री (डीएनसीआर) को भेजेगी और केवल वे नंबर, जो उक्त रजिस्ट्री में नहीं हैं, कॉल करने के लिए अनुमत होंगे ।
छ. कार्ड जारी करने वाले बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा जिन नंबरों को कॉल करने की अनुमति दी गई है, केवल उन नंबरों को कॉल करें । ‘नंबर पर कॉल न करें’ (डू नॉट कॉल नंबर) (डीएनसीएन) पर बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के डीएसए /डीएमए अथवा कॉल सेंटर /सेंटरों द्वारा कॉल करने की स्थिति में उस बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा ।
ज. कार्ड जारी करने वाले बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि कॉल न करें रजिस्ट्री नंबर किसी अनधिकृत व्यक्ति /व्यक्तियों को दिए नहीं जाते हैं अथवा उनका किसी प्रकार का दुरुपयोग नहीं होता है ।
झ. बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी /उनके एजेंटों को प्राइवेसी में दखल नहीं देना चाहिए, जैसे कार्ड धारकों को निरंतर वक्त-बे-वक्त कॉल करके परेशान करना, ‘कॉल न करें’ कोड का उल्लंघन आदि ।
(ii) ग्राहक गोपनीयता
क. कार्ड जारी करने वाले बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को खाता खोलते अथवा क्रेडिट कार्ड जारी करते समय प्राप्त की गयी ग्राहकों से संबंधित जानकारी, ग्राहकों की इस संबंध में विशिष्ट अनुमति प्राप्त किए बिना कि वह जानकारी किस प्रयोजन के लिए उपयोग में लायी जाएगी तथा जिन संगठनों के साथ बांटी जाएगी, किसी अन्य व्यक्ति अथवा संगठन को बतायी न जाए । बैंकों /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को, विशिष्ट विधिक परामर्श के आधार पर, अपने आपको इस बात से संतुष्ट करना होगा कि उनसे मांगी गयी जानकारी का स्वरूप ऐसा नहीं है जिससे लेनदेनों में गुप्तता संबंधी कानूनों के प्रावधानों का उल्लंघन होगा। उक्त प्रयोजन से दी गयी जानकारी की यथातथ्यता अथवा अन्यथा के लिए बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी पूर्णत: जिम्मेदार होगी।
ख. कार्ड धारक के ऋण इतिहास /चुकौती रिकार्ड से संबंधित जानकारी किसी क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी (भारतीय रिजॅर्व बैंक द्वारा विशिष्ट रूप से प्राधिकृत) को देने की स्थिति में, बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को उन ग्राहकों के ध्यान में यह बात स्पष्टत: लानी होगी कि यह जानकारी क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 के अंतर्गत दी जा रही है ।
ग. क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया लि.(सिबिल) अथवा भारतीय रिजॅर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य क्रेडिट कंपनी को किसी क्रेडिट कार्ड धारक के संबंध में चूक की स्थिति की सूचना देने से पूर्व, बैंक / गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ यह सुनिश्चित करें कि वे अपने बोर्ड द्वारा विधिवत् अनुमोदित क्रियाविधि जिसमें ऐसे कार्ड धारक को क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी को उसे चूककर्ता के रूप में रिपोर्ट करने के उद्देश्य के बारे में पर्याप्त सूचना जारी करना शामिल है, का अनुपालन करती हैं । इस क्रियाविधि में ऐसी सूचना देने के लिए आवश्यक सूचना अवधि तथा चूककर्ता के रूप में सूचित किए जाने के बाद ग्राहक द्वारा अपनी देयताओं का निपटान करने की स्थिति में, ऐसी सूचना को जिस अवधि के भीतर वापस लिया जाएगा, उस अवधि को भी शामिल किया जाए । बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को उन कार्डों के मामले में विशेष रूप से सावधान रहना होगा जिनमें विवाद लंबित हैं । जानकारी का प्रकटीकरण /जारी किया जाना, विशेषत: चूक से संबंधित जानकारी, जहां तक संभव हो विवाद के निपटान के बाद ही किया जाए । सभी मामलों में एक सुव्यवस्थित क्रियाविधि का पारदर्शिता से अनुपालन किया जाए । इन क्रियाविधियों को पारदर्शिता से एमआइटीसी के भाग के रूप में बताया जाए ।
घ. डीएसए/वसूली एजेंटों को किए गए प्रकटीकरण भी उन्हें अपने कार्य करने में समर्थ बनाने की सीमा तक सीमित होने चाहिए । कार्ड धारक द्वारा दी गयी ऐसी व्यक्तिगत जानकारी जो वसूली के प्रयोजनों के लिए अनावश्यक है, कार्ड जारी करने वाले बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा जारी नहीं करनी चाहिए । कार्ड जारी करने वाले बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि क्रेडिट कार्ड उत्पादों के विपणन के दौरान डीएसए /डीएमए किसी ग्राहक संबंधी जानकारी का अंतरण अथवा दुरुपयोग नहीं करते हैं ।
(iii) ऋण वसूली की उचित प्रथाएं
(क) देय राशियों की वसूली के मामले में, बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ यह सुनिश्चित करें कि वे तथा उनके एजेंट भी उधारदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता (देखें 5 मई 2003 का परिपत्र बैंपविवि. एलईजी. सं. बीसी. 104/09.07.007/2002-03) संबंधी मौजूदा अनुदेशों तथा देय राशियों की वसूली तथा जमानत के पुनर्ग्रहण के लिए भारतीय बैंक संघ (आइबीए) की संहिता का अनुपालन करते हैं । यदि देय राशियों की वसूली के लिए बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की अपनी खुद की संहिता है तो उसमें कम-से-कम आइबीए संहिता की सभी शर्तों को शामिल किया जाना चाहिए ।
(ख) ऋण वसूली के लिए अन्य एजेंसियों को नियुक्त करने के संबंध में यह विशेष रूप से आवश्यक है कि ऐसे एजेंट कोई ऐसा कार्य नहीं करते जिससे बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की ईमानदारी तथा प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचे तथा वे ग्राहक की गोपनीयता का कड़ाई से पालन करते हैं । वसूली एजेंट द्वारा जारी किए गए सभी पत्रों में कार्ड जारी करने वाले बैंक के जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी का नाम तथा पता होना चाहिए जिससे ग्राहक उसके स्थान पर संपर्क कर सके ।
(ग) बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी /उनके एजेंटों को अपने ऋण वसूली के प्रयासों में किसी व्यक्ति के विरुद्ध किसी भी प्रकार से मौखिक अथवा शारीरिक रूप से डांट-डपट अथवा परेशान करने का सहारा नहीं लेना चाहिए । इनमें क्रेडिट कार्ड धारकों के परिवार के सदस्यों, मध्यस्थों तथा मित्रों को खुलेआम अपमानित करने अथवा उनकी प्राइवेसी में दखल देने के कार्य, धमकी देनेवाले तथा बेनामी फोन कॉल अथवा झूठी तथा गलत जानकारी देना भी शामिल है ।
- शिकायत निवारण
- आंतरिक नियंत्रण और निगरानी प्रणाली
- दंड लगाने का अधिकार
क. ग्राहकों को अपनी शिकायतों को प्रस्तुत करने के लिए सामान्यत: साठ (60) दिन की समय सीमा दी जाए ।
ख. कार्ड जारी करने वाले बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी में ही शिकायत निवारण तंत्र गठित करना चाहिए तथा इलैक्ट्रॉनिक तथा प्रिंट मीडिया के माध्यम से उसका व्यापक प्रचार करना चाहिए । बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के नामित शिकायत निवारण अधिकारी के नाम तथा संपर्क नंबर का उल्लेख क्रेडिट कार्ड के बिलों में होना चाहिए। नामित अधिकारी को सुनिश्चित करना चाहिए कि क्रेडिट कार्ड के ग्राहकों की वास्तविक शिकायतों का बिना विलंब के तत्परता से निवारण किया जाता है ।
ग. बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की शिकायत निवारण क्रियाविधि तथा शिकायतों का प्रत्युत्तर देने के लिए निर्धारित समयावधि बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की वेबसाइट पर दी जाए । बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के महत्वपूर्ण कार्यपालकों तथा शिकायत निवारण अधिकारी का नाम, पदनाम, पता तथा संपर्क नंबर वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाए । ग्राहकों की शिकायत पर अनुवर्ती कार्रवाई के लिए शिकायतों की पावती की प्रणाली जैसे शिकायत /डॉकेट नंबर होना चाहिए, भले ही शिकायतें फोन पर प्राप्त हुई हों ।
घ. शिकायत दर्ज करने की तारीख से अधिकतम 30 दिन की अवधि में शिकायतकर्ता को यदि बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी से संतोषप्रद प्रतिसाद नहीं मिलता है तो उसके पास अपनी शिकायत के निवारण के लिए संबंधित बैंकिंग लोकपाल के कार्यालय में जाने का विकल्प होगा । बैंक की गलती के कारण और समय पर शिकायत का निवारण न होने के कारण उसे जो समय की हानि, व्यय, वित्तीय हानि तथा परेशानी और मानसिक संत्रास भुगतना पड़ा उसकी भरपाई करने के लिए बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी बाध्य होगी ।
बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी में ग्राहक सेवा की गुणवत्ता सतत आधार पर सुनिश्चित की जाती है, यह सुनिश्चित करने की दृष्टि से प्रत्येक बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी में ग्राहक सेवा से संबंधित स्थायी समिति मासिक आधार पर क्रेडिट कार्ड के कार्यकलापों की समीक्षा सिबिल को प्रस्तुत चूककर्ता की रिपोर्टों, क्रेडिट कार्ड से संबंधित शिकायतों सहित करे और सेवाओं के सुधार हेतु उपाय करे तथा क्रेडिट कार्ड परिचालन में व्यवस्थित वृद्धि सुनिश्चित करे । बैंकों /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को क्रेडिट कार्ड से संबंधित शिकायतों का ब्योरेवार तिमाही विश्लेषण अपने वरिष्ठ प्रबंधतंत्र को प्रस्तुत करना चाहिए । कार्ड जारीकर्ता बैंक में व्यापारी लेनदेनों की सत्यता की नमूना जाँच करने के लिए एक उपयुक्त निगरानी प्रणाली होनी चाहिए ।
भारतीय रिजॅर्व बैंक इन दिशा-निर्देशों में से किसी के भी उल्लंघन के लिए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत किसी बैंक /गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर दंड लगाने का अधिकार रखता
है ।
भवदीय
(पी. विजय भास्कर)
मुख्य महाप्रबंधक
परिशिष्ट
1. अत्यधिक महत्वपूर्ण शर्तें (एमआईटीसी)
(क) फीस एवं प्रभार
i) प्राथमिक कार्ड धारक तथा अतिरिक्त जोड़े गये (एड-ऑन) कार्ड धारक के लिए सदस्य बनने की फीस
ii) प्राथमिक कार्ड धारक तथा अतिरिक्त जोड़े गये (एड-ऑन) कार्ड धारक के लिए वार्षिक सदस्यता
iii) नकद अग्रिम फीस
iv) कुछ लेन-देनों के लिए लगाये जानेवाले सेवा प्रभार
v) ब्याज रहित (अनुग्रह) अवधि - उदाहरणों के साथ बतायी जाए
vi) परिक्रामी ऋण (रिवाल्विंग क्रेडिट) तथा नकद अग्रिमों दोनों के लिए वित्त प्रभार
vii) अतिदेय ब्याज प्रभार - मासिक और वार्षिक आधार पर देना होगा
viii) चूक के मामलों में प्रभार
(ख) आहरण सीमाएं
i) ऋण सीमा
ii) उपलब्ध ऋण सीमा
iii) नकद आहरण सीमा
(ग) बिलिंग
i) बिलिंग विवरण - आवधिकता एवं प्रेषण का जरिया
ii) न्यूनतम देय राशि
iii) भुगतान की विधि
iv) बिलिंग संबंधी विवादों का समाधान
v) कार्ड जारीकर्ता के 24 घंटे काम करनेवाले कॉल सेंटरों के संपर्क विवरण
vi) शिकायत समाधान में वृद्धि - जिस अधिकारी से संपर्क किया जाए उससे संपर्क करने के संपूर्ण विवरण
vii) कार्ड जारी करनेवाले बैंक का पूरा डाक पता
viii) उपभोक्ता सेवाओं के लिए टोल-फ्री नंबर
(घ) चूक और परिस्थितियां
i) नोटिस अवधि सहित वह प्रक्रिया जिसमें किसी कार्ड धारक को चूककर्ता के रूप में ii) रिपोर्ट किया जाता है
ii) चूक-रिपोर्ट वापस लेने के लिए प्रक्रिया तथा वह अवधि जिसमें देय राशियों के निपटारे के बाद चूक-रिपोर्ट वापस ली जाएगी ।
iii) चूक के मामलों में वसूली की प्रक्रिया
iv) कार्ड धारक की मृत्यु/स्थायी रूप से असक्षमता के मामले देय राशियों की वसूली
v) कार्ड धारक के लिए उपलब्ध बीमा कवर तथा पॉलिसी शुरू होने की तारीख
(ङ) कार्ड सदस्यता की समाप्ति/निरसन
i) कार्ड घारक द्वारा कार्ड वापस करने के लिए प्रक्रिया - उचित नोटिस
(च) कार्ड के गुम/चोरी/दुरुपयोग होने पर
i) कार्ड के गुम/चोरी/दुरुपयोग होने के मामले में अपनाई जानेवाली प्रक्रिया - कार्ड जारीकर्ता को सूचित करने का प्रकार
ii) उपर्युक्त (व) के मामले में कार्ड धारक का दायित्व
(छ) प्रकटीकरण
i) कार्ड धारक से संबंधित सूचना का प्रकार जो कार्ड धारक के अनुमोदन से या अनुमोदन बगैर प्रकट करनी है ।
2. एमआईटीसी का प्रकटीकरण - विभिन्न चरणों में प्रकट किए जानेवाली मदें
i) |
मार्केटिंग के दौरान |
- |
मद संख्या : क |
ii) |
आवेदन के समय |
- |
मद संख्या : क से छ तक सभी मदें |
iii) |
स्वागत किट |
- |
मद संख्या : क से छ तक सभी मदें |
iv) |
बिलिंग के समय |
- |
मद संख्या : क, ख एवं ग |
v) |
निरंतर आधार पर, शर्तों में हुए कोई भी परिवर्तन |
नोट :
(i) एमआईटीसी का फौंट साइज़ कम-से-कम एरियल - 12 होना चाहिए
(ii) कार्ड जारीकर्ता द्वारा कार्ड धारकों को विभिन्न स्तरों पर सूचित की जानेवाली शर्तें पहले की तरह ही रहेंगी ।