ऋण सूचना कंपनियां (विनियमन) अधिनियम, 2005 - आरबीआई - Reserve Bank of India
ऋण सूचना कंपनियां (विनियमन) अधिनियम, 2005
आरबीआई/2009-10/240 01 दिसंबर 2009 सभी राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक महोदय, ऋण सूचना कंपनियां (विनियमन) अधिनियम, 2005 जैसा कि आप जानते हैं, ऋण सूचना कंपनियां (विनियमन) अधिनियम, 2005 दिनांक 14 दिसंबर 2006 से लागू हो गया है । अधिनियम की धारा 15 (1) के अनुसार प्रत्येक ऋण संस्था को अधिनियम के लागू होने से तीन माह की अवधि के अंदर या आवेदन करने पर रिज़र्व बैंक द्वारा बढ़ाई गई समय सीमा के अंदर कम से कम एक ऋण सूचना कंपनी का सदस्य बनना जरुरी है । 2. चूंकि अधिनियम की धारा 2 की उप-धारा (एफ) में दी गई परिभाषा के अनुसार सहकारी बैंक ऋण संस्थाओं के अंतर्गत आते हैं, इसलिए उन्हें कम से कम एक ऋण सूचना कंपनी की सदस्यता लेनी होगी तथा ऋण सूचना कंपनी द्वारा निर्धारित प्रारुप में ऋण सूचना कंपनी को ऋण संबंधी डाटा (सकारात्मक और नकारात्मक) प्रस्तुत करना होगा । ऋण सूचना एकत्रीकरण और प्रकटन प्रणाली की सफलता बैंकों द्वारा ऋण सूचना कंपनियों को प्रदान की गई जानकारी पर निर्भर करेगा । अत: यह वांछनीय है कि सभी राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक ऋण सूचना कंपनियों को जब वे काम करना आरंभ करें, डाटा प्रदान करने के लिए तैयार रहें । इस बात को ध्यान में रखते हुए, वे डाटाबेस तैयार करने के लिए तुंरत आवश्यक उपाय करें तथा समय गंवाए बिना ऋण सूचना के कारगर आदान-प्रदान के लिए सुसज्ज रहें । 3.इस संबंध में हम आपका ध्यान ऋण सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 21 की उप धारा(1) के उपबंधों की ओर आकर्षित करते हैं जिसमें यह व्यवस्था दी गई है कि किसी ऋण संस्था से ऋण सुविधा की मंजूरी के लिए आवेदन करने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसी संस्था से अनुरोध प्राप्त होने पर, विनियमावली के अंतर्गत रिजर्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट प्रभारों के भुगतान के अधीन ऐसे व्यक्ति को ऋण सूचना की प्रति प्रदान करेगी । 4. आप जानते ही हेंगे कि रिजर्व बैंक ने उक्त अधिनियम के अंतर्गत बनाई गई ऋण-सूचना कंपनी विनियमावली 2006 के विनियमन 12(3) में इस प्रयोजन के लिए 50 रुपए (पचास रुपए मात्र) का अधिकतम शुल्क पहले ही निर्धारित किया है । 5. अत: राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक ऋण सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 के उपबंधों के साथ-साथ उक्त अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए नियमों और विनियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें । भवदीय (आ.सी.षडंगी) |