चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण - स्पष्टीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण - स्पष्टीकरण
ए.पी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं. 7 अगस्त 12, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी महोदया /महोदय, चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण - स्पष्टीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान जुलाई 17, 2003 के ए.पी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं.3 के पैराग्राफ 1, 2 और 3 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके द्वारा विदेश में रोज़गार, उत्प्रवास, शिक्षा, नज़दीकी रिश्तेदारों के भरणपोषण और चिकित्सीय इलाज के लिए प्रेषण सुंविधाओं के उदारीकरण की सूचना दी गई थी। हमारे ध्यान में यह बात आई है कि प्राधिकृत व्यापारी द्वारा शाखा स्तर पर उक्त प्रेशणों के लिए अनुरोध हेतु समर्थन में अभी भी प्रलेखों पर आग्रह किया जाना जारी है बजाय इसके कि संदर्भाधीन परिपत्र में किए गए प्रावधानों के अनुसार जरूरी जानकारी के लिए स्वयं की घोषणा पर ही विश्वास किया जाए । 2. अत: इस बात पर फिर जोर दिया जाता है कि हमारे परिपत्र में वर्णित प्रयोजनार्थ स्वयं के प्रमाणपत्र और अन्य आधारभूत विवरण के आधार पर लेनदेन के ालिए प्रेषण की अनुमति दी जाए तबकि इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि विदेशी मुद्रा की खरीद के लिए आवेदक द्वारा भुगतान चेक अथवा मांग ड्राफट अथवा उसके खाते में नामे द्वारा ही प्राप्त किया जाए । 3. यह भी स्पष्ट किया जाता है कि आवेदन में सही विवरणों को दिए जाने का दायित्व आवेदक का होगा जोकि ऐंसे प्रेषणों के प्रयोजन के लिए स्वयं विवरणों को प्रमाणित करता है । 4. परामर्शी सेवाओं के संबंध में जुलाई 17, 2003 के ए.पी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं.3 के पैराग्राफ 4 में समाहित निदेश अपरिवर्तित रहेंगे । 5.उक्त स्पष्टीकरण कीर जानकारी अपने सभी संबधित सहायक को दे दें ताकि उदारीकरण की उपायों को पूर्णत: लागू किया जा सके । 6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999(1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं । भवदीय (एफ.आर. जोसेफ) |