चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण
ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र क्र.3 जुलाई 17, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) विनियमावली 2000, समय समय पर यथा संशोधित, के नियम 5 की अनुसूची III के अंतर्गत विदेशी मुद्रा देने की मौजूदा सीमाओं की ओर आकृष्ट किया जाता है । इसमें और अधिक उदारीकरण के उपाय स्वरूप वर्तमान सीमाओं को निम्नलिखित प्रकार से बढ़ाने का निर्णय किया गया है :-
2. तदनुसार प्राधिकृत व्यापारियों को प्रत्येक श्रेणी के अंतर्गत उल्लिखित राशि सीमाओं तक, कोई समर्थनकारी दस्तावेज़ का आग्रह किए बिना, स्वयं घोषणा के आधार पर, जिसमें लेनदेन का आधारभूत विवरण और फार्म ए2 में आवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा जाए, प्रेषण की अनुमति है। प्राधिकृत व्यापारी यह भी सुनिश्चित करें कि विदेशी मुद्रा की खरीद के लिए आवेदक द्वारा कहा जानेवाला भुगतान चेक अथवा उसके खाते में नामे द्वारा किया जाए। चिकित्सीय इलाज 3. प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान सितंबर 12, 2002 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं.17 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार 50,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य राशि तक की विदेशी मुद्रा विदेश में चिकित्सीय इलाज के लिए अस्पताल / डॉक्टर के किसी अनुमान का आग्रह किए बिना, दी जा सकती है । अब निर्णय किया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी अब से 100,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य राशि तक विदेशी मुद्रा निवासी भारतीयों को विदेश में इलाज के लिए अस्पताल / डॉक्टर भारत/विदेश के, से कोई अनुमान के आग्रह के बिना दे सकते हैं। परिपत्र के पैराग्राफ 3 में दी गई अन्य शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी। परामर्शी सेवाएं 4. इसके अतिरिक्त यह भी निर्णय किया गया है कि भारत से बाहर से लिए जानेवाली परामर्शी सेवाओं के लिए प्रेषण करने के लिए 100,000 अमरीकी डॉलर प्रति परियोजना के दर से दी जानेवाली राशि को बढ़ाकर एक मिलियन अमरीकी डॉलर प्रति परियोजना कर दी गयी है जैसा कि उक्त अनुसूची III की मद सं.15 में उल्लिखित है। प्राधिकृत व्यापारी आवेदक द्वारा संतोषजनक देस्तावेज प्रस्तुत करने पर 1 मिलियन अमरीकी डॉलर तक प्रेषण की अनुमति दे सकते हैं। 5. विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन ) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं। 6. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु की जानकारी अपने सभी संबंधित ग्राहकों को दे दें। 7. इस परिप त्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय, (ग्रेस कोशी) |