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छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए (एस एम ई) ऋण पुनर्व्यवस्था तंत्र - केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणा

आरबीआइ/ 2005-06/ 159
बैंपविवि. बीपी. बीसी. सं. 34 /21.04.132/ 2005-06

8 सितंबर 2005

17 भाद्र 1927 (शक)

अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक
सभी वाणिज्य बैंक

महोदय,

छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए (एस एम ई) ऋण पुनर्व्यवस्था तंत्र - केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणा

छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए ऋण की उपलब्धता में सुधार लाने के लिए माननीय वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणा के अंश के रूप में सभी बैंकों द्वारा छोटे और मध्यम उद्यमों के क्षेत्र के लिए एक ऋण पुनर्व्यवस्था तंत्र लागू करने की आवश्यकता है। ये विस्तफ्त दिशा-निर्देश यह सुनिश्चित करने के लिए जारी किए जा रहे हैं कि सभी पात्र छोटे और मध्यम उद्यमों को ऋण की पुनर्व्यवस्था कम से कम उतनी ही अनुकूल शर्तों पर हो जो बैंकिंग क्षेत्र में कंपनी ऋण पुनर्विन्यास तंत्र के लिए उपलब्ध है ।

2. छोटे और मध्यम उद्यमों की परिभाषा :

छोटे और मध्यम उद्यम ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग के 19 अगस्त 2005 के परिपत्र आरपीसीडी. पीएलएनएफएस. बीसी. 31/06.02.31/2005-06 में दी गई परिभाषा के अनुसार होंगे जिसे नीचे उद्धफ्त किया जाता है :

‘‘वर्तमान में होज़ियरी, हाथ के औज़ार, दवा और फार्मास्यूटिकल्स, लेखन सामग्री और खेल-कूद के सामान के अंतर्गत कुछ विशेष वस्तुओं के संबंध में, जहाँ निवेश की सीमा 5 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी गई हो, को छोड़कर लघु उद्योग इकाई वह औद्योगिक उपक्रम है, जिसका संयंत्र और मशीनरी में निवेश 1 करोड़ रुपये से अधिक न हों । एक व्यापक विधि व्यवस्था संसद में विचाराधीन है, जिससे लघु उद्योगों का छोटे और मध्यम उद्यमों में आमूल-चूल परिवर्तन सुलभ हो सकेगा । उपर्युक्त विधिव्यवस्था का अधिनियम होने तक वर्तमान लघु उद्योगों /अत्यंत लघु उद्योगों की परिभाषा वही रहेगी । संयंत्र और मशीनरी में लघु उद्योग सीमा से अधिक तथा 10 करोड़ रुपये तक के निवेश वाली इकाइयां मध्यम उद्यम मानी जाएंगी ।’’

3. पात्रता के मानदंड

(व) ये दिशा-निर्देश निम्नलिखित संस्थाओं पर लागू होंगे जो सक्षम हैं अथवा संभाव्य रूप से सक्षम हैं :

क) सभी गैर-कंपनी छोटे और मध्यम उद्यम चाहे उनका बैंकों को देय राशि स्तर कुछ भी क्यों न हो।

ख) सभी कंपनी छोटे और मध्यम उद्यम जो किसी एक बैंक से बैंकिंग सुविधाएं प्राप्त कर रहें है; चाहे उनका बैंक को देय राशि का स्तर कुछ भी क्यों न हो।

ग) सभी कंपनी छोटे और मध्यम उद्यम जिनका बहुविध / सहायता संघ बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत 10 करोड़ रुपये तक निधिक और गैर-निधिक बकाया है (10 करोड़ रुपये और उससे अधिक राशि के बकाया के लिए दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जा रहे हैं ) ।

(वव) ऐसे खाते जो जानबूझकर चूक, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार में लिप्त हो, इन दिशा-निर्देशों के अंतर्गत पुनर्व्यवस्था के लिए पात्र नहीं होंगे ।

(ववव) बैंकों द्वारा "हानिकर आस्तियों" के रूप में वर्गीवफ्त खाते पुनर्व्यवस्था के लिए पात्र नहीं होंगे ।

(वख्) औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोड़ (बीआइएफआर) के मामलों के संबंध में बैंक उक्त पैकेज को कार्यान्वित करने से पहले बीआइएफआर से अनुमोदन प्राप्त करने से संबंधित सभी औपचारिकताओं की पूर्ति सुनिश्चित करें ।

4. सक्षमता के मानदंड

बैंक सक्षमता के स्वीकार्य न्यूनतम मानंदड (बेंच मार्क) के संबंध में निर्णय करें जो यूनिट के 7 वर्ष में सक्षम हो जाने के अनुरूप हो तथा पुनर्व्यवस्थित ऋण की चुकौती अवधि 10 वर्ष से अधिक न हो ।

5. पुनर्व्यवस्थित खातों के लिए विवेकपूर्ण मानदंड

व) पुनर्व्यवस्था के अधीन रखे गए ‘मानक’ खातों का व्यवहार

क) केवल मूलधन की किस्तों को पुनर्व्यवस्थित किये जाने से एक मानक परिसंपत्ति को अवमानक परिसंपत्ति की श्रेणी में वर्गीवफ्त नहीं किया जाएगा, बशर्ते उधारकर्ता की बकाया राशि पूर्णत: मूर्त जमानत द्वारा रक्षित हो । तथापि, मूर्त जमानत की शर्त को उन मामलों में लागू न किया जाए जहाँ बकाया राशि 5 लाख रुपये तक है, क्योंकि

लघु उद्योग /अत्यंत लघु क्षेत्र के लिए 5 लाख रुपये तक के ऋणों के लिए संपार्श्विक जमानत की अपेक्षा समाप्त कर दी गई है ।

ख) ब्याज के तत्व की पुनर्व्यवस्था के कारण कोई भी आस्ति अवमानक श्रेणी में इस शर्त के अधीन निम्नवर्गीवफ्त नहीं किया जाएगा कि घाटे (सैक्रिफॅाइस) की राशि, यदि कोई हो, जो वर्तमान मूल्यानुसार मापी गई हो, या तो बट्टे खाते में डाली जाएगी या संबद्ध घाटे की सीमा तक उसके लिए प्रावधान किया जाएगा ।

ग) उपर्युक्त (ख) के अनुसार वर्तमानमूल्य के संदर्भ में ब्याज की राशि में घाटा होने की स्थिति में, घाटे की राशि को बट्टे खाते में डाल दिया जाए अथवा घाटे के बराबर का प्रावधान किया जाए ।

वव) पुनर्व्यवस्थित किये गये ‘अवमानक’/ ‘संदिग्ध’ खातों का व्यवहार

क) केवल मूलधन की किस्तों का पुनर्निधारण करने से कोई भी ‘अवमानक’ /‘संदिग्ध’ आस्ति एक विशिष्ट अवधि (नीचे पैरा 7 में यथापरिभाषित) के लिए ‘अवमानक’/ ‘संदिग्ध’ श्रेणी में जारी रहने का पात्र बन जाती है बशर्ते उधारकर्ता की बकाया राशि मूर्त जमानत द्वारा पूर्णत: रक्षित हो । तथापि, उन मामलों में मूर्त जमानत की शर्त लागू नहीं की जाए जहाँ 5 लाख रुपये तक बकाया है, क्योंकि लघु उद्योग /अत्यंत छोटे क्षेत्र के उद्योगों के लिए 5 लाख रुपये तक के ऋणों के लिए संपार्श्विक आवश्यकता समाप्त कर दी गई है ।

ख) ब्याज के तत्व का पुनर्निर्धारण करने से किसी अवमानक /‘संदिग्ध’आस्ति को एक विशिष्ट अवधि तक अवमानक/ ‘संदिग्ध’ श्रेणी में वर्गीवफ्त करने की पात्रता इस शर्त के अधीन मिलती है कि वर्तमान मूल्य के संदर्भ में मापित ब्याज के तत्व में घाटे की राशि, यदि कोई हो, को बट्टे खाते में डाल दिया गया हो अथवा घाटे की राशि के बराबर प्रावधान किया गया हो ।

ग) ऐसे मामलों में भी जहाँ पिछले देय ब्याज को बट्टे खाते में डालने की वजह से घाटा हो गया हो, वहाँ आस्ति को अवमानक /‘संदिग्ध’ आस्ति के रूप में मानना जारी रखना चाहिए ।

ववव) प्रावधान का व्यवहार

क) ब्याज घाटे के लिए किए गए प्रावधान को लाभ-हानि खाते में नामे डालकर तैयार किया जाना चाहिए तथा एक सुस्पष्ट खाते में रखना चाहिए । इस प्रयोजन हेतु, किसी खाते के संबंध में, वर्तमान बीपीएल आर के अनुसार भावी ब्याज की देयता को उधारकर्ता की जोखिम श्रेणी की समुचित दर पर वर्तमान मूल्य से भुनाया जाना चाहिए (अर्थात् वर्तमान पीएलआर+उधारकर्ता श्रेणी के लिए उचित मीयादी प्रीमियम और ऋण जोखिम प्रीमियम) तथा पुनर्निर्माण पैकेज के अंतर्गत प्राप्त होने की अपेक्षित देयताओं के वर्तमान मूल्य से तुलना करनी चाहिए, जो उसी आधार पर भुनाई गई हों ।

ख) सभी चुकौती बाध्यताओं तथा खाते में बकाया राशि की पूरी चुकौती संतोषजनक तौर पर पूरी हो जाने तक घाटे की प्रत्येक तुलनपत्र के दिनांक पर पुन: गणना की जाए, ताकि बीपीएलआर, सावधि प्रीमियम तथा उधारकर्ता की ऋण श्रेणी में परिवर्तनों के कारण उचित मूल्य में होनेवाले परिवर्तनों को पकड़ा जा सके । परिणामस्वरूप, बैंक प्रावधान में हृास के लिए व्यवस्था करें अथवा सुस्पष्ट खाते में धारित आवश्यकता से अधिक प्रावधान की राशि को रिवर्स किया जाए ।

ग) जब खाते को ‘मानक आस्ति’ के रूप में पुन: वर्गीवफ्त किया जाए तब अनर्जक आस्तियों (एनपीए) के लिए किए गए प्रावधान की राशि को रिवर्स किया जाए ।

6. अतिरिक्त वित्त

यदि कोई अतिरिक्त वित्त हो तो, उसके संबंध में सभी खातों, जैसे मानक, अवमानक और संदिग्ध खातों में ‘मानक आस्ति’ के तौर पर, ब्याज या मूलधन के पहले भुगतान की तारीख के बाद एक वर्ष की अवधि तक, जो भी पहले हो, अनुमोदित पुनर्व्यवस्था पैकेज के अंतर्गत आता हो, ‘मानक आस्ति’ के रूप में माना जाए । यदि पुन: बनाई गई आस्ति, उपर्युक्त अवधि समाप्त होने तक उन्नयन के लिए पात्र नहीं होती है तो अतिरिक्त वित्त को उसी आस्ति वर्गीकरण श्रेणी में पुनर्व्यवस्थित ऋण के रूप में रख दिया जाए ।

7. पुनर्व्यवस्थित खातों का उन्नयन

उपर्युक्त पैरा 5 (वव) (क) एवं (ख) में उल्लिखित अवमानक / संदिग्ध खाते जिन्हें मूलधन की किस्त या ब्याज, जिस किसी भी तौर पर पुनर्व्यवस्थित किया जाना है, निर्दिष्ट अवधि के बाद अर्थात् उस तारीख से एक वर्ष के बाद जब ब्याज या मूलधन का पहला भुगतान, दोनों में से जो भी पहले हो, और पुनर्व्यवस्थित शर्तों के अंतर्गत देय हो, उक्त अवधि के दौरान उनके संतोषप्रद कार्यनिष्पादन के आधार पर मानक श्रेणी में उन्नयन के पात्र होंगे ।

8. आस्ति-वर्गीकरण की स्थिति

निर्दिष्ट एक वर्ष की अवधि में, पुनर्व्यवस्थित खातों के आस्ति-वर्गीकरण की स्थिति में कमी नहीं आएगी, यदि इस अवधि में खाते का संतोषजनक कार्य-निष्पादन प्रदर्शित होता है । फिर भी, एक वर्ष की अवधि के दौरान संतोषजनक कार्य-निष्पादन प्रकट न होने पर, पुनर्व्यवस्थित खाते का आस्ति-वर्गीकरण पुनर्व्यवस्था के पूर्व की भुगतान अनुसूची के संदर्भ में लागू होने वाले विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार नियंत्रित किया जाएगा । आस्ति वर्गीकरण, बैंकों पर लागू होने वाले वर्तमान विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार, प्रत्येक बैंक के वसूली रिकॉड़ के आधार पर प्रत्येक बैंक के लिए अलग-अलग होगा ।

9. बार-बार पुनर्व्यवस्था

उपर्युक्त पैरा 5, 6 एवं 7 के अनुसार आस्ति वर्गीकरण के लिए विशेष प्रबंध तभी किया जा सकेगा जब खाते की पुनर्व्यवस्था पहली बार की जा रही हो ।

10. क्रियाविधि

(व) बैंक अपने निदेशक बोड़ के अनुमोदन से छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए एक ऋण पुनर्व्यवस्था योजना इन दिशानिर्देशों के आधार पर बनाएँ । योजना बनाते समय बैंक यह सुनिश्चित करें कि योजना समझने के लिए सरल हो और कम-से-कम इन दिशानिर्देशों में दर्शाए गये मानदंडों को उसमें शामिल किया जाये ।

(वव) उधारकर्ता यूनिटों से इस संबंध में अनुरोध प्राप्त होने पर यह पुनर्व्यवस्था की जाएगी ।

(ववव) संघीय /बहुविध बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत पात्र छोटे और मध्यम उद्यमों के मामले में अधिकतम बकाया वाला बैंक बकाये का दूसरा सबसे अधिक अंश रखनेवाले बैंक के साथ पुनर्व्यवस्था पैकेज तैयार करें ।

11. समय-सीमा

बैंकों को चाहिए कि वे अनुरोध प्राप्त होने की तारीख से अधिक से अधिक 60 दिन की अवधि में पुनर्व्यवस्था पैकेज तैयार कर उसका कार्यान्वयन करें ।

12. समीक्षा

छोटे और मध्यम उद्यमों के खातों के पुनर्वास और पुनर्व्यवस्था के संबंध में हुई प्रगति की समीक्षा बैंक तिमाही आधार पर करें और इसकी जानकारी बोड़ को दें ।

13. प्रकटीकरण

छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए ऋण पुनर्व्यवस्था योजना बैंक की वेबसाइट पर प्रदर्शित की जानी चाहिए और सिडबी को भी अपने वेबसाइट पर रखने के लिए प्रेषित की जानी चाहिए ।

छोटे और मध्यम उद्यमों के खातों हेतु वर्ष के दौरान प्रारंभ की गयी पुनर्व्यवस्था के संबंध में बैंक निम्नलिखित जानकारी अपने प्रकाशित वार्षिक तुलनपत्रों में भी ‘लेखों पर टिप्पणी’ के अंतर्गत प्रकट करनी चाहिए :

(क) पुनर्व्यवस्था के अधीन छोटे और मध्यम उद्यमों की आस्तियों की कुल राशि ।
[ (क) = (ख) +(ग) + (घ)]

(ख) पुनर्व्यवस्था के अधीन छोटे और मध्यम उद्यमों के मानक आस्तियों की राशि ।

(ग) पुनर्व्यवस्था के अधीन छोटे और मध्यम उद्यमों की अवमानक आस्तियों की राशि ।

(घ) पुनर्व्यवस्था के अधीन छोटे और मध्यम उद्यमों की संदिग्ध आस्तियों की राशि ।

14. वफ्पया प्राप्ति-सूचना दें ।

भवदीय

(आनंद सिन्हा)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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