सरकारी प्राप्तियों के विप्रेषण में देरी - विलंबित अवधि ब्याज - आरबीआई - Reserve Bank of India
सरकारी प्राप्तियों के विप्रेषण में देरी - विलंबित अवधि ब्याज
आरबीआई/2006-2007/235 24 जनवरी 2007 अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक / प्रबंध निदेशक महोदय, सरकारी प्राप्तियों के विप्रेषण में देरी - विलंबित अवधि ब्याज कृपया सरकारी राजस्व के विप्रेषण के लिए अनुमत समय सीमा के संबंध में दिनांक 25 अप्रैल 2005 के हमारे परिपत्र आरबीआई/2005/431 और दिनांक 10 अक्तूबर, 2006 के हमारे परिपत्र आरबीआई/2006/150 का संदर्भ ग्रहण करें। 2. सरकारी राजस्व को राजकोष में जमा करने के सभी पहलुओं से संबंधित मौजूदा प्रक्रिया की समीक्षा भारत सरकार द्वारा गठित समिति द्वारा की गई है। समिति की अनुशंसा के आधार पर भारत सरकार, वित्त मंत्रालय, व्यय विभाग ने उपर्युक्त पूर्व अनुदेशों की अनदेखी करते हुए 1 जनवरी, 2007 से प्रक्रिया में निम्न संशोधन किया है- 1) स्थानीय लेनदेन – केंद्रीय लेखा अनुभाग (सीएएस), भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को सरकारी प्राप्तियों के विप्रेषण की मौजूदा समय सीमा जारी रहेगी यानी जहां भी संग्राहक बैंक शाखा एवं स्थानीय फोकल प्वाइंट शाखा एक ही शहर / समूह में हैं, वहाँ आरबीआई के साथ लेनदेन का निपटान टी + 3 कार्य दिवसों के भीतर पूरा हो जाएगा (जहां टी वह दिन है जब बैंक शाखा में पैसा उपलब्ध है)। कार्य दिवसों की गणना के लिए, आरबीआई कैलेंडर का पालन किया जाएगा। 2) बाहरी केंद्र स्थित लेन-देन – भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय लेखा अनुभाग (सीएएस) में सरकारी प्राप्तियों के विप्रेषण के लिए मौजूदा समय सीमा जारी रहेगी, अर्थात जहां भी संग्राहक बैंक शाखा एवं फोकल प्वाइंट शाखा अलग-अलग शहरों / समूह में स्ठित हहैं, वहाँ आरबीआई के साथ लेनदेन का निपटान टी + 5 कार्य दिवसों के भीतर पूरा किया जाएगा (जहां टी वह दिन है जब बैंक शाखा में धन उपलब्ध है)। कार्य दिवसों की गणना के लिए, आरबीआई कैलेंडर का पालन किया जाएगा। 3) स्थानीय और बाहरी केंद्र स्थित लेनदेन के दोनों मामले में, पुट थ्रू डेट, यानी सीएएस, आरबीआई के साथ निपटान की तारीख को क्रमशः टी + 3 और टी + 5 कार्य दिवसों की इस मौजूदा समय सीमा से बाहर रखा जाएगा। 4) विलंबित अवधि का ब्याज बैंकों पर विलंबित अवधि के लिए लगाया जाएगा न कि लेनदेन की तारीख से। दूसरे शब्दों में, 'देरी अवधि' गणना पुट थ्रू डेट के बाद के दिन से शुरू होगी। 5) 1 लाख रुपये और उससे अधिक के लेनदेन में देरी की अवधि पर बैंक दर + 2% पर विलंबित अवधि ब्याज लगेगा। बैंक दर वह दर होगी जिसे आरबीआई समय-समय पर अधिसूचित करेगा। 6) 1 लाख रुपये से कम के लेनदेन के लिए, विलंबित अवधि का ब्याज केवल 5 कैलेंडर दिनों तक की देरी के लिए बैंक दर पर और 5 कैलेंडर दिनों से अधिक के लिए बैंक दर + 2% की पूरी अवधि के लिए लगाया जाएगा। बैंक दर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित दर होगी जो लेनदेन के समय लागू होती है। 7) गैर-कर और अन्य सभी सरकारी प्राप्तियों के संबंध में भी अनुमत समय सीमा के संबंध में, विलंब अवधि की गणना और विलंबित अवधि ब्याज के लिए पैरा 1 से 6 में दिये गए अनुदेश लागू होंगे। 8) महालेखा नियंत्रक द्वारा यह भी निर्णय लिया गया है कि मंत्रालयों/विभागों में प्रत्येक कार्यालय प्रधान मुख्य लेखा नियंत्रक (पीआर सीसीए), मुख्य लेखा नियंत्रक (सीसीए) और लेखा नियंत्रक (सीए) बैंकों द्वारा किए गए सभी विप्रेषणों की तिमाही समीक्षा करेंगे। यदि बैंक के साथ या उसकी किसी भी शाखा के साथ लगातार दो तिमाहियों में 5% और उससे अधिक की देरी पाई जाती है, तो संबंधित बैंक या शाखा का प्राधिकरण, पीआरसीसीए/सीसीए/सीए की अनुशंसा के साथ समीक्षा के लिए सीजीए को अग्रेषित किया जाएगा। बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने लिए स्वयं एक आंतरिक नियंत्रण प्रणाली का निर्माण करें ताकि बैंक द्वारा अपनी शाखाओं के लिए निवारक और सुधारात्मक कार्रवाई समय पर की जा सके। 3. विशेष रूप से ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जो सरकारी व्यवसाय करते हैं उनसे उम्मीद की जाती है कि वे कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) और अन्य इलेक्ट्रॉनिक मोड के कार्यान्वयन में जल्द से जल्द तेजी लाएं। एक वर्ष के बाद भारत के महालेखा नियंत्रक (सीजीए) सरकारी लेन-देन से संबंधित सभी बैंकों के कार्य-निष्पादन की समीक्षा करेंगे और सरकारी व्यवसाय केसंचालन में तकनीकी प्रगति पर उनकी स्थिति की समीक्षा करेंगे। इस समीक्षा के साथ सरकारी लेन-देन के कुशल संचालन के लिए सीजीए बैंक/शाखाओं के प्राधिकरण और अन्य संबंधित मानदंडों पर नए सिरे से विचार कर सकते हैं। भवदीय (ए.एस.कुलकर्णी) |