चेक समाशोधन में विलंब - राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के समक्ष वर्ष 2006 का मामला (केस) संख्या 82 - आरबीआई - Reserve Bank of India
चेक समाशोधन में विलंब - राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के समक्ष वर्ष 2006 का मामला (केस) संख्या 82
आरबीआई/2008-09/295A 24 नवंबर, 2008 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया / प्रिय महोदय, चेक समाशोधन में विलंब - राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग जैसा कि आपको विदित है, अगस्त 2006 के दौरान, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, नई दिल्ली (अर्थात ‘आयोग’) के समक्ष एक मामला दायर किया गया था, जिसमें चेक समाशोधन में देरी और विशेष रूप से स्थानीय और अंतर-शहरीय समाशोधन में फ्लोट के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया गया था। वर्ष 2006 के केस नंबर 82 के रूप में जनहित में स्वीकार की गई इस शिकायत में भारतीय रिजर्व बैंक (अर्थात बैंक) और सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (अर्थात बैंकों) को प्रतिवादी नामित किया गया था और चेक संग्रहण में देरी के लिए ब्याज के रूप में पर्याप्त मुआवजे की मांग की गई थी। बैंक (रिज़र्व बैंक) और बैंकों द्वारा विभिन्न समयों पर कई हलफनामे दायर किए गए और आयोग द्वारा 27 अगस्त 2008 को मामले का अंतिम रूप से निपटान इस टिप्पणी के साथ किया कि बैंक (रिज़र्व बैंक) भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत प्रदत्त विस्तृत शक्तियों का प्रयोग कर बाह्य केंद्र की चेकों के संग्रहण में देरी के कारण उत्पन्न अस्थिरता (फ्लोट), यदि कोई हो, को नियंत्रित करने का प्रयास करेगा। सुनवाई के दौरान, आयोग द्वारा 'बाह्य केंद्र की चेकों के संग्रहण हेतु समय-सीमा (टाइम फ्रेम)' पर पारित आदेशों का समापन अंतिम आदेश के रूप में हुआ जो @ एचटीटीपी://डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.एनसीडीआरसी.एनआईसी.इन/सीसी820605.एचटीएम पर उपलब्ध है। आयोग ने अपनी टिप्पणी में कहा कि उन्हें विश्वास है कि आयोग के आदेशों में दिए अनुसार आपके बैंक द्वारा अपेक्षित कार्रवाई द्वारा पहले ही शुरू कर दी गई होगी (जैसा कि दिनांक 22 सितंबर, 2008 के हमारे पत्र डीपीएसएस.सीओ. संख्या.517/03.01.02(पी)/2008-09) द्वारा पहले ही सूचित किया गया है)। इस अंतर्काल में, बैंकों द्वारा बनाई चेक संग्रहण नीतियों (सीसीपी) की अंतर्वस्तु, साथ ही बेहतर सूचना प्रसार और ग्राहक सेवा के हित में उनकी सार्जनिकता के संबंध में बैंक (रिज़र्व बैंक) द्वारा कई परिपत्र अनुदेश भी जारी किए गए हैं । उपर्युक्त के बावजूद, बेहतर स्पष्टता की दृष्टि से और आयोग के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, हम निम्नलिखित पुनः सूचित करते हैं: - (i) बैंक आयोग द्वारा निर्धारित समय-सीमा के अनुसार स्थानीय और बाह्य चेक संग्रहण को कवर करते हुए अपनी चेक संग्रहण नीतियों (सीसीपी) को फिर से तैयार करेंगे। (ii) स्थानीय चेकों के लिए जमा (क्रेडिट) और नामे (डेबिट) उसी दिन या अधिकतम समाशोधन में प्रस्तुत किए जाने के अगले दिन किया जाएगा। आदर्शतः, स्थानीय समाशोधन के मामले में, बैंक संबंधित वापसी समाशोधन बंद होने के तुरंत बाद ग्राहकों के खातों में आभासी (शैडो) क्रेडिट के उपयोग की अनुमति देंगे और किसी भी मामले में उसी दिन या अधिकतम अगले कार्य-दिवस को कारोबार आरंभ होने के एक घंटे के भीतर सामान्य सुरक्षा उपायों के अधीन आहरण की अनुमति देंगे । (iii) राज्यों की राजधानियों/प्रमुख शहरों/अन्य स्थानों पर आहरित चेकों के संग्रहण की समय-सीमा क्रमशः 7/10/14 दिन होगी। यदि इस अवधि से अधिक वसूली में कोई विलंब होता है तो बैंक की चेक संग्रहण नीति (सीसीपी) में निर्दिष्ट दर पर ब्याज का भुगतान किया जाएगा। यदि सीसीपी में दर निर्दिष्ट नहीं है, तो तदनुरूपी परिपक्वता वाली सावधि जमा पर लागू ब्याज दर देय होगी। आयोग द्वारा निर्दिष्ट संग्रहण की समय सीमा को बाह्य सीमा माना जाएगा और यदि प्रक्रिया पहले पूरी हो जाती है तो क्रेडिट प्रदान किया जाएगा। जैसा कि बैंक (रिज़र्व बैंक) द्वारा दिनांक 8 अक्टूबर 2008 को जारी निदेश (डीपीएसएस.सीओ.सं.611/03.01.03 (पी)/2008-09) द्वारा सूचित किया गया है, 'बैंक संग्रहण के लिए अपने ग्राहकों द्वारा जमा की गईं बाह्य चेकों को स्वीकार करने से मना नहीं करेंगे।' (iv) बैंक अपनी शाखाओं के नोटिस बोर्ड पर चेक संग्रहण नीति (सीसीपी) की मुख्य विशेषताओं को मोटे और स्पष्ट अक्षरों में प्रमुखता से प्रदर्शित कर इसका व्यापक प्रचार करेंगे। (v) ग्राहकों द्वारा मांगे जाने पर पूरी चेक संग्रहण नीति (सीसीपी) की एक प्रति शाखा प्रबंधक द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। (vi) बैंक (रिज़र्व बैंक) ने अपनी वेबसाइट पर बैंकों की तत्संबंधित चेक संग्रहण नीतियों (सीसीपी) की वेबसाइटों का लिंक उपलब्ध करा रखा है। कृपया सुनिश्चित करें कि हमारे स्तर पर लिंक को अद्यतन करने के लिए इस विभाग को पूर्व सूचना दिए बिना उसकी अवस्थिति (लोकेशन) में कोई परिवर्तन न किया जाए। बैंक (रिज़र्व बैंक) अपने द्वारा जारी और साथ ही आयोग द्वारा पारित निदेशों के अनुपालन पर निगरानी रखेगा। कृपया इस मामले को अत्यावश्यक समझें और इस पत्र की तारीख से एक महीने के भीतर की गई कार्रवाई से हमें अवगत कराएं । भवदीय (जी.पद्मनाभन) |