खातों को खोलने और उनका परिचालन करने और मध्यवर्तियों को शामिल करने वाले इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेनों के लिए भुगतान के निपटान के लिए दिशा-निर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
खातों को खोलने और उनका परिचालन करने और मध्यवर्तियों को शामिल करने वाले इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेनों के लिए भुगतान के निपटान के लिए दिशा-निर्देश
आरबीआई/2009-10/231 24 नवंबर 2009 सभी बैंक, भुगतान प्रणाली प्रदाता और प्रणाली सहभागी महोदय, खातों को खोलने और उनका परिचालन करने और मध्यवर्तियों को शामिल करने वाले इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेनों के लिए भुगतान के निपटान के लिए दिशा-निर्देश माल और सेवाओं जैसे बिल भुगतान, ऑनलाइन शॉपिंग इत्यादि के लिए व्यापारियों को भुगतान के लिए इलेक्ट्रॉनिक / ऑनलाइन भुगतान के तरीके का उपयोग देश में लोकप्रिय हो रहा है। ग्राहकों के हितों की रक्षा करने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके द्वारा इलेक्ट्रॉनिक / ऑनलाइन भुगतान के तरीके का उपयोग करते हुए किए गए भुगतान इस प्रकार के भुगतान प्राप्त करने वाली मध्यवर्तियों के द्वारा विधिवत रूप से लेखांकित किया जाएं और जिन व्यापारियों ने बिना किसी अनुचित देरी के माल और सेवाओं की आपूर्ति की है उनके खातों में प्रेषित किए जाएं, इन लेनदेनों के सुरक्षित और व्यवस्थित संचालन के लिए यथोचित दिशानिर्देश बनाना आवश्यक है। तदनुसार, निम्नलिखित दिशानिर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के तहत जारी किए जा रहे हैं। भवदीय (जी.पद्मनाभन) खातों को खोलने और उनका परिचालन करने और मध्यवर्तियों को शामिल करने वाले इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेनों के लिए भुगतान के निपटान के लिए दिशा-निर्देश 1. परिचय 1.1 माल और सेवाओं जैसे बिल भुगतान, ऑनलाइन शॉपिंग इत्यादि के लिए व्यापारियों को भुगतान के लिए इलेक्ट्रॉनिक / ऑनलाइन भुगतान के तरीके का उपयोग देश में लोकप्रिय हो रहा है। बैंकों और प्रीपेड भुगतान लिखत जारीकर्ताओं द्वारा व्यापारियों को भुगतान करने के लिए ग्राहकों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक साधनों के उपयोग की बढ़ी हुई सुगमता में आम तौर पर एग्रीगेटर्स और भुगतान गेटवे सेवा प्रदाताओं की तरह की मध्यवर्तियों का इस्तेमाल शामिल है। इसके अलावा, ऐसे भुगतानों के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराने के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स और मोबाइल कॉमर्स (ई-कॉमर्स एंड एम-कॉमर्स) सेवा प्रदाता भी मध्यवर्तियों के रूप में कार्य कर रहे थे। 1.2 ऐसी मध्यवर्तियों को शामिल करने वाली अधिकतर मौजूदा व्यवस्थाओं में ग्राहकों द्वारा किए गए भुगतान (ई-कॉमर्स / एम-कॉमर्स / बिल भुगतान लेनदेन के निपटारे के लिए) इन मध्यवर्तियों के खातों में क्रेडिट किए जाते हैं, इससे पहले कि ये निधियाँ भुगतान करने वाले ग्राहकों के दायित्वों के अंतिम निपटान में व्यापारियों के खातों में अंतरित कर दिये जाएँ। मध्यवर्तियों द्वारा व्यापारियों के खातों में धन अंतरण में होने वाला कोई भी विलंब न केवल ग्राहकों और व्यापारियों के लिए जोखिम कारक होगा अपितु यह भुगतान प्रणाली को भी प्रभावित करेगा। 1.3 ग्राहकों के हितों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए और इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कि उनके द्वारा किए गए भुगतानों को इस प्रकार का भुगतान प्राप्त करने वाली मध्यवर्तियों द्वारा विधिवत रूप से लेखांकित किया जाए और इसे उन व्यापारियों को प्रेषित किया जाए जिन्होंने अनुचित देरी के बिना माल और सेवाओं की आपूर्ति की है, यह आवश्यक है कि इन लेनदेनों के सुरक्षित और व्यवस्थित संचालन के लिए इन निर्देशों को तैयार किया जाए। तदनुसार, भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के अंतर्गत निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किए जा रहे हैं। 2. परिभाषाएं 2.1 मध्यवर्तियां: मध्यवर्तियों में ऐसी सभी संस्थाएं शामिल होंगी जो कि ग्राहकों द्वारा उपभोग किए गए माल और सेवाओं के लिए किसी भी इलेक्ट्रॉनिक / ऑनलाइन भुगतान मोड का उपयोग कर व्यापारियों को भुगतान के लिए ग्राहकों से प्राप्त पैसा एकत्र करती हैं और उसके बाद भुगतान करने वाले ग्राहकों के दायित्वों के अंतिम निपटान में व्यापारियों को इन पैसों के हस्तांतरण की सुविधा उपलब्ध कराती हैं। स्पष्टीकरण: इन दिशानिर्देशों के प्रयोजनार्थ सभी मध्यवर्तियां जो ग्राहक द्वारा भुगतान किए जाने पर पर तुरंत / साथ-साथ माल / सेवाओं की डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध कराती हैं (जैसे यात्रा टिकट / मूवी टिकट आदि) वे अभिव्यक्ति "मध्यवर्तियों" की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आएंगी। ये लेनदेन जो कि सुपुर्दगी बनाम भुगतान (डीवीपी) व्यवस्था के समान हैं उन्हें अभी तक चले आ रहे व्यापारियों और मध्यवर्तियों के बीच हुए करार के अनुसार सुविधा उपलब्ध कराया जाना जारी रहेगा और जब बैंक आंतरिक खाते के अलावा कोई अन्य खाता खोलेंगे उस समय स्वयं इस बात से संतुष्ट हो जाएँ कि इस प्रकार की मध्यवर्तियाँ "मध्यवर्तियों" की परिभाषा के अंतर्गत न आती हों। 2.2 व्यापारी: इन दिशानिर्देशों के प्रयोजन के लिए, व्यापारी के अंतर्गत सभी इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य / मोबाइल वाणिज्य सेवा प्रदाताओं और अन्य व्यक्तियों (उपयोगिता सेवा प्रदाताओं को शामिल करते हुए किन्तु इन तक सीमित न रहते हुए) जो इलेक्ट्रॉनिक / ऑनलाइन भुगतान मोड के माध्यम से उनके द्वारा प्रदान किए गए माल और सेवा के लिए भुगतान स्वीकार करते हैं, शामिल किए जाएंगे। 3. भुगतान की वसूली के लिए खाता रखना 3.1 व्यापारियों के ग्राहकों से मध्यवर्तियों द्वारा भुगतानों के संग्रह की सुविधा प्रदान करने के लिए बैंकों द्वारा खोले गए और बनाए रखे गए सभी खाते बैंकों के आंतरिक खाते माने जाएंगे। जबकि, इस तरह के खातों के सही नामकरण का उत्तरदायित्व बैंकों के ऊपर छोड़ दिया गया है, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस तरह के खातों का रखरखाव या परिचालन मध्यवर्तियों द्वारा न किया जाए। 3.2 बैंक इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि इन दिशानिर्देशों के अंतर्गत आने वाले प्रयोजन के लिए सभी मौजूदा खाते जिनका रखरखाव या परिचालन मध्यवर्तियों द्वारा किया जा रहा है उन्हें इन दिशानिर्देशों के जारी किए जाने के पश्चात तीन महीनों के भीतर पूरा किया जाएगा। 3.3 और अधिक स्पष्टता के लिए इन खातों में क्रेडिट / डेबिट की अनुमति नीचे दी गई है: i. क्रेडिट a. माल / सेवाओं की खरीद के लिए विभिन्न व्यक्तियों से भुगतान। b. यदि यह खाता मध्यवर्ती के लिए नोडल बैंक खाता है तो खाते में पूर्व निर्धारित समझौते के अनुसार अन्य बैंकों से अंतरण। c. विफल / विवादित लेनदेनों के लिए प्रतिदान को दर्शाने वाले अंतरण। ii. डेबिट a. विभिन्न व्यापारियों / सेवा प्रदाताओं को भुगतान। b. यदि वह खाता मध्यवर्ती के लिए नोडल बैंक खाता है तो खाते में पूर्व निर्धारित समझौते के अनुसार अन्य बैंकों में अंतरण। c. विफल / विवादित लेनदेनों के लिए प्रतिदान को दर्शाने वाले अंतरण। d. मध्यवर्तियों को कमीशन। ये राशियां पूर्व निर्धारित दरों / आवृत्ति के अनुसार होंगी। टिप्पणी : पूर्व निर्धारित दरों / आवृत्ति के अनुसार कमीशन के अलावा अन्य कोई भुगतान मध्यवर्तियों को देय नहीं होगा। इस तरह के अंतरण केवल उसी बैंक खाते में किए जाएंगे जिसके बारे में मध्यवर्ती संस्था ने करार के समय बैंक को सूचित किया था। 3.4 मौजूदा खातों का आंतरिक खातों में लंबित परिवर्तन के संबंध में बैंक इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि, केवल पैराग्राफ 3.3 में वर्णित लेनदेनों को ही इन खातों में अनुमति प्रदान की जाए। यह प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से लागू की जाए। 4. निपटान 4.1 व्यापारियों को धन का अंतिम निपटान वर्तमान में मध्यवर्तियों / व्यापारियों द्वारा पालन की जा रही कारोबारी प्रथाओं द्वारा निर्देशित हो रहा है। भुगतान प्रक्रिया की कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि बैंक न्यूनतम विलंब के साथ अंतिम लाभार्थियों को धन अंतरण करें। अत: यह अधिदेशित किया जाता है कि बैंक व्यापारियों को किए जाने वाले सभी अंतिम निपटानों के लिए निम्नलिखित निपटान चक्र को लागू करेंगे। यह निपटान व्यवस्था इस परिपत्र के जारी होने के तीन महीने के भीतर लागू की जाएगी : -
5. बैंकों द्वारा बकाए का निपटान 5.1 पैराग्राफ 3.1 में दर्शाए गए अनुसार खातों में धारित निधियाँ बैंक की बाहरी देयता की प्रकृति की होंगी, इन खातों में बकाया को बैंक की निवल मांग और मीयादी देयताओं की गणना के प्रयोजन के रूप में माना जाएगा। 6. समवर्ती लेखा परीक्षा 6.1 बैंक इन खातों की समवर्ती लेखा परीक्षा कराएंगे और भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक को तिमाही आधार पर इस आशय का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाएगा कि इन खातों का परिचालन इन निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है। 7. अन्य भुगतान प्रणाली परिचालकों पर लागू निर्देश 7.1 प्रीपेड भुगतान लिखतों और कार्ड योजनाओं को जारी करने के लिए भुगतान प्रणाली को परिचालित करने के लिए प्राधिकृत सभी व्यक्ति इन निर्देशों का अनुपालन करेंगे। |