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चेक ट्रंकेशन प्रणाली के अंतर्गत केंद्र सरकार के चेकों के लिए पेपर टू फॉलो (पी 2 एफ) की अनिवार्यता को बंद करना

आरबीआई/2015-16/278
डीजीबीए.जीबीडी.डीबीए.सं.2036/42.01.035/2015-16

31 दिसंबर 2015

अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक /
मुख्य कार्यकारी अधिकारी
सभी एजेंसी बैंक

महोदया/महोदय

चेक ट्रंकेशन प्रणाली के अंतर्गत केंद्र सरकार के चेकों के लिए पेपर टू फॉलो (पी 2 एफ) की अनिवार्यता को बंद करना

चेक समाशोधन में दक्षता बढ़ाने की दृष्टि से, रिज़र्व बैंक ने चेकों के समाशोधन के लिए चेक ट्रंकेशन प्रणाली (सीटीएस) शुरू की है, जो चेकों को उनके भौतिक संचलन के बिना प्रस्तुत करने और भुगतान करने की सुविधा प्रदान करती है। इस पहल को आगे बढ़ाते हुए, भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अंतर्गत महालेखा नियंत्रक के कार्यालय के परामर्श से अब यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी भुगते गये चेकों को अब सरकारी विभागों को भौतिक रूप में (जिसे आमतौर पर पी 2 एफ के रूप में जाना जाता है) अग्रेषित करने की वर्तमान आवश्यकता को समाप्त किया जाता है। तदनुसार, मान्यता प्राप्त सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा केंद्रीय मंत्रालयों के व्यय खातों (यूएमईए) के लेनदेन की रिपोर्टिंग और लेखांकन के लिए अनुदेशों के संशोधित ज्ञापन (1 मई 1989 से प्रभावी) को निम्नानुसार संशोधित करने का निर्णय लिया गया है:

  1. इस परिपत्र को अनुदेशों के परिशिष्ट के रूप में माना जा सकता है और अनुदेश ज्ञापन के अनुलग्नक-15 के रूप में सम्मिलित किया जा सकता है।

  2. चेक ट्रंकेशन प्रणाली में आहरणकर्ता बैंक का अर्थ बैंक की उस डीलिंग शाखा से है जो किसी मंत्रालय/विभाग से मान्यता प्राप्त हो, जिस पर चेक आहरित किए जाते हैं। 'प्रस्तुतकर्ता बैंक' का अर्थ है किसी भी बैंक की एक शाखा जहां ग्राहकों द्वारा भुगतान के लिए चेक प्रस्तुत किए जाते हैं। 'प्रस्तुतकर्ता बैंक' और ‘आहरणकर्ता बैंक’ दोनों चेक के भुगतान के संदर्भ में विभिन्न अधिनियमों/विनियमों/नियमों जैसे कि परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881, बैंकर्स बुक्स एविडेंस एक्ट 1891, यूनिफॉर्म विनियमन और बैंकर्स समाशोधन गृहों के लिए नियम, चेक ट्रंकेशन प्रणाली के लिए प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश के तहत निर्धारित अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना जारी रखेंगे। सरकारी चेकों का भुगतान अब सीटीएस क्लियरिंग में केवल उनकी इलेक्ट्रॉनिक इमेज के आधार पर किया जाएगा। भुगतान किए गए चेक प्रस्तुतकर्ता बैंक द्वारा भौतिक रूप में रखे जाएंगे।

  3. यदि कोई आहरणकर्ता बैंक भुगतान करने से पहले सरकारी चेक को भौतिक रूप से सत्यापित करना चाहता है, तो इमेज़ को "दस्तावेज के साथ प्रस्तुत करें" कारण के तहत बिना भुगतान किए हुए वापस करें। ऐसे मामलों में प्रस्तुतकर्ता बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि खाता धारक (आदाता) को किसी भी संदर्भ के बिना अगले लागू समाशोधन सत्र में चेक फिर से प्रस्तुत किया जाए।

  4. प्रस्तुतकर्ता बैंकों के लिए आवश्यक है कि वे सीटीएस के लिए प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों के अंतर्गत यथा अपेक्षित 10 वर्षों की अवधि के लिए अपनी अभिरक्षा में भौतिक लिखितों को सुरक्षित रूप से संरक्षित रखें। यदि कानून के तहत किसी जांच, पूछताछ आदि के उद्देश्य से कुछ विशिष्ट चेक की आवश्यकता होती है, तो उन्हें 10 वर्षों से अधिक समय तक संरक्षित किया जा सकता है। आहरणकर्ता बैंक सभी सरकारी चेकों के इमेज़ को 10 वर्षों की अवधि के लिए स्वयं के पास या भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा स्थापित राष्ट्रीय अभिलेखीय प्रणाली के माध्यम से संरक्षित करने के लिए आवश्यक व्यवस्था करेंगे।

  5. नकद निकासी या हस्तांतरण के माध्यम से एक आहरणी बैंक द्वारा अपने काउंटर पर भुगतान किए गए सरकारी चेक को भी 10 साल के लिए ट्रंकेशन और संरक्षित करने की आवश्यकता होती है। इन इमेजों को आहरणकर्ता बैंकों द्वारा अलग से कैप्चर किया जाए और ये समाशोधन में भुगतान के लिए प्राप्त उपकरणों कि इमेज़ के साथ मिश्रित न हो यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जाएं। सरकारी विभागों को प्रेषित करने के लिए दैनिक आधार पर एक सामान्य इलेक्ट्रॉनिक फ़ाइल बनाई जाएगी जिसमें सभी भुगतान किए गए चेकों कि इमेज़ होंगी।

  6. जैसा कि निर्देश ज्ञापन के पैरा 7 में निर्धारित किया गया है, आहरणकर्ता बैंक (डीलिंग शाखा) अब तक निर्दिष्ट फोकल प्वाइंट शाखा को भुगतान स्क्रॉल, मासिक डीएमएस आदि भेजना जारी रखेगा। फोकल प्वाइंट शाखा, आगे इसे संबंधित वेतन और लेखा अधिकारी को अग्रेषित करेगी। चूंकि भुगतान किए गए चेक अब डीलिंग शाखा के पास उपलब्ध नहीं होंगे, इसलिए इसे भुगतान स्क्रॉल के साथ संलग्न नहीं किया जाएगा। तथापि, प्रस्तुत शाखा द्वारा परिशोधित भुगतान किए गए चेकों (नकद, समाशोधन और अंतरण के माध्यम से) की इलेक्ट्रॉनिक इमेज़ वेतन और लेखा अधिकारियों (फोकल प्वाइंट शाखा के माध्यम से) को उनकी आवश्यकता के अनुसार सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक संचार/ई-मेल आदि के माध्यम से प्रदान की जाएंगी।

  7. चेकों की परिरक्षण अवधि के दौरान किसी भी समय, मिलान, पूछताछ, जांच आदि के उद्देश्य से, वेतन और लेखा अधिकारी को भौतिक रूप में किसी भी भुगतान किए गए चेक की आवश्यकता हो सकती है जिसके लिए भुगतान और लेखा अधिकारी फोकल प्वाइंट शाखा से संपर्क करेगा। वेतन और लेखा अधिकारी द्वारा जब भी ऐसा मांग की जाती है तब फोकल प्वाइंट शाखा लेनदेन शाखा द्वारा नकद अथवा हस्तांतरित रूप में भुगतान किए गए चेकों को तुरंत प्रस्तुत करने की व्यवस्था करेगी। समाशोधन के माध्यम से भुगतान किए गए चेकों के मामले में, इसे प्रस्तुतकर्ता बैंक से प्राप्त करने के बाद उचित अवधि के भीतर, वेतन और लेखा अधिकारी को प्रेषित किया जाएगा। ऐसे मामलों में यह प्रस्तुतकर्ता बैंक की जिम्मेदारी है कि वह किसी भी भौतिक चेक के लिए वेतन और लेखा अधिकारी/आहरणकर्ता बैंक के अनुरोध का अनुपालन करे और उचित अवधि के भीतर संबंधित वेतन और लेखा अधिकारी/आहरणकर्ता बैंक को प्रदान करे।

  8. वर्तमान में, सीटीएस ग्रिड आधार पर संचालित किया जाता है। इसलिए, आरबीआई / एजेंसी बैंकों पर आहरित सरकारी चेक उस ग्रिड में प्रस्तुत किए जाएंगे, जिसके अधिकार क्षेत्र में भुगतान करने वाले बैंक की मान्यता प्राप्त / अधिकृत शाखा स्थित है।

  9. जैसा कि अभी होता है, फोकल प्वाइंट शाखा, डीलिंग शाखा के माध्यम से यह सुनिश्चित करेगी कि भुगतान स्क्रॉल, मासिक डीएमएस आदि में बताई गई गलतियों / विसंगतियों को प्रक्रिया के अनुसार ठीक की जायें, भुगतान किए गए चेक की गुम हुई इमेज को तुरंत जमा किया जाये, पीएओ द्वारा विधिवत सत्यापित स्क्रॉल की प्रतियां रिकॉर्ड में रखी जायें।

2. संशोधित दिशानिर्देश 1 फरवरी, 2016 से केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) द्वारा जारी चेक के संबंध में प्रभावी होंगे।

भवदीय

(जी श्रीकुमार)
मुख्य महाप्रबंधक

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