निर्यात घोषणा फॉर्मों की अनुलिपियों का निपटान - आरबीआई - Reserve Bank of India
निर्यात घोषणा फॉर्मों की अनुलिपियों का निपटान
भारतीय रिज़र्व बैंक
ए.पी.(डीआइ्आर.सिरीज) परिपत्र क्र. 21 सितम्बर 16, 2002 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया / महोदय निर्यात घोषणा फॉर्मों की अनुलिपियों का निपटान प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना फेमा 23/2000-आरबी के विनियम 6 के उप विनियम (ई) की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार निर्यात मूल्यों की वसूली पर प्राधिकृत व्यापारियों से अपेक्षित है कि वे जीआर / एसडीएफ/पीपी/सॉफ्टटेक्स फार्म की अनुलिपियां विधिवत प्रमाणन के उपरांत रिज़र्व बैंक के नजदीकी कार्यालय में प्रस्तुत करें । 2. अब यह निर्णय किया गया है कि निर्यात घोषणा फार्म की अनुलिपियां अर्थात जीआर, पीपी और सॉफ्टटेक्स तथा पोतलदान बिल विदेशी मुद्रा नियंत्रण प्रतिलिपि, सांविधिक घोषणा फॉर्म (एसडीएफ8 के साथ अब से आर-विविरणियों के साथ रिज़र्व बैंक में प्रस्तुत न की जाए ।उसके बदले घोषणा फॉर्म की विधिवत् प्रमाणित प्रतियां निर्यात मूल्य वसूली के पश्चात् पोतलदान बिलों के साथ विदेशी मुद्रा नियंत्रण प्रतिलियां और संबंधित एसडीएफ फार्म प्राधिकृत व्यापारी अपने पास रख लें । 3. तथापि प्राधिकृत व्यापारी अनुलिपि फार्मों की अपने आंतरिक / समवर्ती लेखा परीक्षकों द्वारा यादृच्छिक जांच करा के सुनिश्चित करें कि निर्यात मूल्य की वसूली न होने अथवा कम वसूली की अनुमति, यदि कोई हो, रिज़र्व बैंक द्वारा विधिवत् प्रत्यायोजित शक्तियों के अंतर्गत दी गई है ।तदनुसार, सितंबर 9, 2001 ए.पी. (डीआईआर. सिरीज) परिपत्र क्र. 12 के अनुबध्द के भाग आ के पैरा आ 1 और आ3.आ के अनुसार आशोधित किया जाए । 4. यह स्पष्ट किया जाता है कि प्राधिकृत व्यापारी पहले की तरह अनुसूची 3, 4, 5 और 6 को संबंधित आर-विवरणियों के साथ, जिनका निर्यात मूल्य वसूल किया जा चुका है, उनके विवरण के साथ अनुलिपियों का प्रस्तुत करना जारी रखेंगे । 5. फेमा, 1999 के अंतर्गत बैंक की अधिसूचना मकें संशोधन अलग से जारी किया जा रहा है । 6. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय वस्तु की जानकारी अपने सभी ग्राहकों दे दें । 7. इस परिप त्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं । भवदीया ग्रेस कोशी |