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ईसीएस (डेबिट क्‍लीयरिंग) – ग्राहकों द्वारा अधिदेश को वापस लेना

Notification Warning वापस लिया गया w.e.f. 16/11/2021

आरबीआई/2005-06/239
संदर्भ. डीपीएसएस (केका) सं.950/04.01.01/2005-2006

23 दिसम्‍बर 2005

प्रति

अध्‍यक्ष / मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्‍य बैंक

ईसीएस (डेबिट क्‍लीयरिंग) – ग्राहकों द्वारा अधिदेश को वापस लेना

ईसीएस संव्‍यवहारों की मात्रा – डेबिट क्‍लीयरिंग और क्रेडिट क्‍लीयरिंग दोनों में – तेजी से बढ़ती जा रही है। डेबिड क्‍लीयरिंग संव्‍यवहारों की बढ़ोतरी क्रेडिट क्‍लीयरिंग की बढ़ोतरी से कहीं अधिक है और कई उपयोगिता कम्‍पनियों ने अपने उपयोगिता बिलों का संग्रह करने में इस प्रणाली को उपभोग करने में बहुत रुचि दिखाई है। हालांकि जैसा उपयोगिता कम्‍पनियों ने बताया है कि बैंक शाखाओं की तरफ से कतिपय पद्धतिपरक कठोरताओं के कारण ईसीएस की बढ़ोतरी बहुत ज्‍यादा बाधित हो रही है। हमारे ध्‍यान में ऐसे कई वृतांत लाए गए हैं जिनमें ग्राहकों द्वारा प्रयोक्‍ता संस्‍थान और बैंक को पहले ही दिए गए ईसीएस अधिदेश को वापस लेने के अनुरोध को बैंक शाखाओं ने स्‍वीकार करने में अरुचि दिखाई। बैंक शाखाएं इस बात पर जोर देती रहीं कि वापस लेने के इन अनुदेशों को प्रयोक्‍ता संस्‍थान के माध्‍यम से भिजवाया जाए।

2. आप यह तो मानेंगे ही कि ग्राहक ऐसी स्थिति में होना चाहिए कि किसी सेवा से अलग होने की अपनी पसंद का उपयोग ऐसे तरीके से कर सके जो प्रयोक्‍ता के लिए सहज हो। किसी भी ग्राहक द्वारा प्रतिसंहरण अनुदेशों को चेक क्‍लीरिंग प्रणाली के ‘भुगतान रोकिए’ अनुदेश के समतुल्‍य मानने की आवश्‍यकता होती है। ग्राहक इसके साथ ही ‘प्रयोक्‍ता संस्‍थान’ को अनुदेश दे सकता है कि प्रयोक्‍ता संस्‍थान ईसीएस फाइल में अनुदेश शामिल करना बंद कर दे। इस प्रकार बैंकों की शाखाओं द्वारा प्रतिसंहरण अनुदेश पर कार्रवाई करने के लिए यह अनिवार्य नहीं है कि प्रयोक्‍ता संस्‍थान से भी इसकी पुष्टि कराई जाए। इस प्रकार का प्रतिसंहरण नोटिस प्राप्‍त होने पर प्रयोक्‍ता संस्‍थान से यह अपेक्षित नहीं है कि वह इस संव्‍यवहार को ईसीएस फाइल में शामिल करे, और यदि किसी कारण से यह संव्‍यवहार ईसीएस फाइल में शामिल हो भी जाए तो इसे इस प्रकार से निपटाया जाए जैसे कि चेक क्‍लीयरिंग व्‍यवस्‍था में ‘भुगतान रोकिए’ का तरीका अपनाया जाता है।

3. जहां तक प्रयोक्‍ता संस्‍थान की बात है तो प्रयोक्‍ता संस्‍थान का यह दायित्‍व है कि वह ऐसे संव्‍यवहार को ईसीएस इनपुट फाइल में शामिल नहीं करे, बशर्ते ईसीएस क्‍लीयरिंग व्‍यवस्‍था में ईसीएस फाइल को प्रस्‍तुत करने की तारीख से 15 दिन पहले उसे प्रतिसंहरण अनुदेश प्राप्‍त हो चुके हों। यदि बैंक शाखाएं यह पाती है कि प्रतिसंहरण अनुदेश के बाद भी ईसीएस फाइल में बार-बार पूर्ववर्ती अनुदेशों को शामिल किया जा रहा है तो उपयोगिता संस्‍थानों के साथ मामला उठाया जाए। यदि बैंक शाखा द्वारा बताए जाने के बाद भी प्रयोक्‍ता संस्‍थान पूर्ववर्ती अनुदेश को ईसीएस संव्‍यवहार में शामिल करता रहता है तो क्‍लीरिंग हाउस में इस आशय की शिकायत दर्ज की जा सकती है।

4. उक्‍त को देखते हुए आपसे अनुरोध है कि अपनी सभी शाखाओं को तदनुसार सूचित करें और इस बारे में की गई कार्रवाई से हमें अवगत कराएं।

भवदीय

(कजा सुधाकर)
महाप्रबंधक

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