इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सेवा (ईसीएस) - आरबीआई - Reserve Bank of India
इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सेवा (ईसीएस)
वापस लिया गया w.e.f. 16/11/2021
आरबीआई/2005-06/181 17 अक्तूबर 2005 प्रति अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रिय महोदय इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सेवा (ईसीएस) जैसा कि आप जानते हैं कि वेतन, पेन्शन, लाभांश, ब्याज, आदि जैसे बारंबार होने वाले भुगतानों के लिए सरकारी विभागों, निगमित निकायों, आदि के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिग सेवा (ईसीएस) का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है 2. यद्यपि, प्रयोक्ताओं और लाभभोगी ग्राहकों, दोनों के लिए ईसीएस बहुत सुविधाजनक सिद्ध हुआ है, तथापि शिकायतों की संख्या में भी बढ़ोतरी रही है। मुख्य शिकायत तो यही है कि पासबुक/ खातों में ईसीएस की प्रविष्टियों के लिए जो विवरण बैंकों द्वारा प्रदान किए जाते हैं उनमें सम्पूर्ण विवरण नहीं दिए जाते हैं और विवरणों के नहीं होने के कारण ग्राहकों द्वारा इन संव्यवहारों में त्रुटियों का समाधान कर पाना बहुत कठिन हो जाता है। आप यह मानेंगे कि लोक सेवाओं की पद्धतियों और कार्यनिष्पादन की संवीक्षा समिति (सीपीपीएपीएस) (तारापोर समिति) ने विवरणों में संव्यवहारों का सम्पूर्ण विवरण देने की जरूरत पर जोर दिया था। 3. यह उल्लेख किया जा सकता है कि ईसीएस रिपोर्ट (मुद्रित के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक सहित) में प्रयोक्ता के नाम का संक्षिप्त रूप बैंकों को दिया जाता है ताकि खाते के विवरणों में ब्यौरे देने में सुविधा का प्रावधान किया जा सके। इस संक्षिप्त रूप को समुचित रूप से ग्रहण किया जाए और उपयोग में लिया जाए। 4. उक्त को देखते हुए आप अपनी शाखाओं को समुचित अनुदेश जारी करें कि ईसीएस के माध्यम से किए गए क्रेडिट के बारे में वे ग्राहकों को पासबुक / खाता विवरणों में अपेक्षित विवरण प्रदान करें। इस कार्य को सरल बनाने के लिए समुचित प्रौद्योगिकीय समाधान भी अपनाया जाए। 5. ईएफटी, एसईएफटी, आरटीजीएस, आदि जैसे अन्य भुगतान उत्पादों के लिए भी प्रेषक / धनप्रेषण के ब्यौरों को हासिल करने के लिए भी इसी प्रकार की पद्धति अपनाई जाए। भवदीय, ह/- (कजा सुधाकर) |